इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जताई चिंता: पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में आकर जीवन बर्बाद कर रहे युवा

असफल प्रेम के कारण अदालतों में बढ़ रहे हैं बलात्कार, छेड़छाड़, आत्महत्या को उकसाने सरीखे मामले
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जताई चिंता: पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में आकर जीवन बर्बाद कर रहे युवा
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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में युवक युवतियों के लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी आई है। हाईकोर्ट ने कहा कि लिव- इन-रिलेशनशिप में मुक्त संबंध के लालच में देश का युवा जीवन बर्बाद कर रहा है। पश्चिमी संस्कृति के अनुकरण से वास्तविक जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है।

कोर्ट ने पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और संचार माध्यमों से हो रहे सामाजिक बदलावों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि देश का युवा पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करते हुए  विपरीत लिंग के साथ मुक्त संबंधों को तरजीह दे रहा है और शारीरिक संबधों की लालसा में युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहा है।

कोर्ट ने कहा कि इससे उन्हें कोई सही जीवनसाथी नहीं मिल पाता है। इस देश के युवा सोशल मीडिया, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और ओटीटी वेब श्रृंखलाओं के प्रभाव में अपने जीवन के सही मार्ग के बारे में निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। सही साथी की तलाश में वे अक्सर गलत साथी की संगति में पहुंच जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया, फिल्में आदि दिखाती हैं कि जीवन साथी के साथ बेवफाई सामान्य बात है। इससे कल्पना भड़क जाती है और वे उसी के साथ प्रयोग करना शुरू कर देते हैं, लेकिन वे प्रचलित मानदंडों में फिट नहीं बैठते हैं. जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने एक मामले में सुनवाई के दौरान यह बात की। 

क्या था प्रकरण?

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक युवती को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी जय गोविंद उर्फ रामजी यादव की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए की।  

मामले में याचिकाकर्ता और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध था। याचिकाकर्ता और सह अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर उसका अपहरण कर लिया। नशीला पदार्थ खिलाकर उसका बलात्कार किया। उसका वीडियो बना लिया और वह अवसाद में चली गई। नौ जून 2022 को उसका फिर से अपहरण कर लिया गया और उसे बाजार में छोड़ दिया गया।

इसके बाद उसने मच्छर मारने वाली दवा पी ली और उसे अस्पताल ले जाया गया और 10 जून 2022 को उसकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता और सहअभियुक्तों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार, अपहरण, नशा और हत्या करने का आरोप लगाया गया है. झांसी के नवाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। जांच के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 306, 504 और 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन लड़की के परिवार के सदस्य उनके रास्ते में आ गए। उसके बाद पीड़िता ने दूसरे लड़के के साथ संबंध बना लिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए आवश्यक तथ्य नहीं हैं।

भ्रम में भारतीय समाज- पश्चिमी शैली या भारतीय परंपरा? 

कोर्ट ने कहा कि ऐसे युवा कभी-कभी समाज, अपने माता-पिता के खिलाफ और कभी-कभी अपने पार्टनर के खिलाफ भी दुर्व्यवहार करते हैं। उन्हें स्थिति से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है, जिससे वे इस तरह के रिश्ते में फंस जाते हैं। भारतीय परंपराओं में ऐसे रिश्तों को स्वीकार नहीं किया जाता है। भारतीय समाज इस बात को लेकर भ्रम में है कि क्या अपने बच्चों को पश्चिमी मानदंडों को अपनाने की अनुमति दी जाए, या उन्हें भारतीय संस्कृति की सीमा के भीतर से मजबूती से रखा जाए?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि उनका परिवार अपने बच्चे द्वारा चुने गए साथी की जाति, धर्म, वित्तीय स्थिति आदि के मुद्दों पर भी लड़खड़ाता है. इसके कारण कभी-कभी उनके बच्चे अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए घर से भाग जाते हैं, कभी-कभी आत्महत्या कर लेते हैं। और कभी-कभी पहले असफल रिश्ते द्वारा छोड़ी गई भावनात्मक कमी को पूरा करने के लिए जल्दी में दूसरा रिश्ता आगे बढ़ा लेते हैं।  इस स्थिति के कारण शादी का झूठा वादा करके बलात्कार का अपराध करते हैं।  फिर आत्महत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने, बिछड़े दोस्त या उसके साथियों की मदद से हत्या का अपराध या गैर इरादतन हत्या का अपराध करते हैं। कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि झूठे आरोप लगाने जैसे मामले अदालत में बड़ी संख्या में आ रहे है।

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