UP: अकबरनगर इनसाइड स्टोरी- दूसरों के घर बर्तन मांजकर पेट पालने वाले कहाँ से लाएंगे क़िस्त के पैसे?

अकबरनगर बस्ती के विस्थापन के लिए सरकार के विकल्प को नहीं चुन रहे लोग, प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं हो पाया पंजीकरण.
अकबरनगर में बनाई गई लगभग 22 लाख की इंटरलॉकिंग सड़क.
अकबरनगर में बनाई गई लगभग 22 लाख की इंटरलॉकिंग सड़क.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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लखनऊ। "हम दूसरों के घर बर्तन मांजकर पेट पालने वाले कहाँ से लाएंगे क़िस्त के पैसे..." यह शब्द अकबरनगर में रहने वाली घरेलू कामगार महिलाओं के हैं। लखनऊ के फैजाबाद रोड पर कुकरैल नाले के किनारे बसी अकबरनगर बस्ती में ध्वस्तिकरण व हाईकोर्ट के स्टे के बाद एक बार फिर द मूकनायक की टीम बस्ती पहुंची थी। फ़ैजाबाद रोड पर कुकरैल नाले से पहले दुकानों के बीच से एक हल्की ढलान अकबरनगर ले जाती है। मोहल्ले में प्रवेश करते ही दाएं हाथ पर एक शिलापट्ट लगा हुआ है। यह शिलापट्ट पर 2022 -23 की सासंद निधि योजना के लगभग 22 लाख खर्च करके बनाई गई नई इंटरलॉकिंग सड़क गवाही दे रही है, सरकार ने बसावट को माना है। टीम जब इस इलाके में पहुंची तो कई दुकान और घर पर ताले नजर आए, जबकि अन्य लोग पूर्व की तरह ही अपनी दुकानों पर काम करते नजर आये। कुछ लोग घर के बाहर खड़े थे।

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एक निर्माणाधीन मकान के बाहर चार लोग खड़े होकर बातें कर रहे थे। लगभग खंडहर में तब्दील हो चुके इस घर पर बस ईंटों की चुनाई और छत थी। इस घर पर प्लास्टर न होना यह बता रहा था कि किस तरीके से पैसे जोड़ जोड़कर इस घर को बनाया गया था। मकान मालिक गोविन्द मौर्या ने अपने घर कि ओर इशारा करते हुए एलडीए और नगर निगम द्वारा अपनाई जा रही विस्थापन की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि, "क्या आपको लगता है एक आठ हजार की नौकरी करने वाला पांच हजार रुपए की रजिस्ट्रेशन और इतने रुपए की प्रतिमाह किश्त भर पायेगा? बच्चों की परवरिश बूढ़े मां-बाप की देखभाल करने की जिम्मेदारी है। 25 -30 साल बीत गए, लेकिन अभी तक घर का प्लास्टर नहीं करवा पाया। एक 25 साल की बेटी कुंवारी बैठी है। पैसा नहीं था इसलिए भाई की शादी नहीं करवा सका। भाई की उम्र 45 साल हो गई है। आपको लगता है कि यह सब करना आसान है।"

अपना मकान दिखाते गोविंद मौर्या
अपना मकान दिखाते गोविंद मौर्याफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

थोड़ा आगे बढ़ने से पुरानी सी शाल पहने एक महिला मिली। आस-पास खड़े लोगों ने बताया कि यह खतीजा बनो है। महिला के पति की मौत हो चुकी है। अब बेटियां ही हैं। महिला दूसरों के घर में झाड़ू पोछा का काम कर अपना और अपनी बेटियों का पेट पालती हैं।

खतीज बानो से बात की तो वो भावुक हो गईं। उसकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि यही जो लोग खड़े हैं, अब मेरा परिवार है। हर दुःख-सुख, हंसने-रोने,जिंदगी मौत में साथ रहते हैं। बताइये यहां से हटाया जाएगा तो कहाँ जाएंगे हम सब?

द मूकनायक को पीड़ा बताती खतीज बानो
द मूकनायक को पीड़ा बताती खतीज बानोफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

पास में खड़े रिजवान ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा, "मेरा तो इस जगह से रोजगार ही चलता है। लगभग 20 साल से अकबरन नगर में पेपर बांटने का काम करता हूँ। मेरी तरह ही कोई दालमोठ सप्लाई का काम करता है तो कोई दुकान में सामान सप्लाई का काम करता है। सब गरीब परिवार से है। यहां की महिलाएं लोगों के घर बर्तन धोने और कपड़े धुलने का काम करती हैं। यहां जितने भी घर बने हैं, वह यहां रहने वाली महिलाओं की कमाई से ही बने हैं। वह महिलाएं जो दिनभर लोगों के घर झाड़ू पोछा का काम करती हैं। अब ऐसे लोग इस तरह की महंगी किश्त कहा से भर पाएंगे?"

दरअसल, यूपी की राजधानी लखनऊ के अकबरनगर प्रथम व द्वितीय में कुकरैल नदी व बंधे के चौड़ीकरण को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम यहां मौजूद लगभग 1200 मकान और लगभग 200 दुकान के ध्वस्तिकरण की कार्रवाई करने वाली थी। इस बीच लोगों का भारी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था। कुछ लोगों इस मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए हैं। ऐसे में कोर्ट ने 22 जनवरी तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। विस्थापितों को आवास व दुकान आवंटित करने के लिए आधा दर्जन से अधिक विशेष पंजीकरण शिविर लगाया गया है। हालांकि, कैंप में लोग पंजीकरण के लिए नहीं आ रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर सिर्फ एक व्यक्ति ने आवेदन किया है। शुक्रवार को नौ लोगों ने फॉर्म लिए थे। वहीं, कुछ लोगों ने एलडीए से आवेदन शुल्क वापस करने की मांग की।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा व मुख्य नगर नियोजक केके गौतम ने गत शुक्रवार को शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि विस्थापितों को आवास व दुकानें आवंटित की जा रही हैं। लोगों को पंजीकरण कराने में किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए प्राधिकरण की ओर से अकबरनगर पुलिस चौकी के निकट ही शिविर लगाया गया है। शिविर में डूडा की आसरा आवास योजना के लिए भी पंजीकरण कराया जा सकता है। प्रधानमंत्री आवास की पंजीकरण धनराशि 10,000 से घटाकर 5,000 रुपए कर दी गई है। वहीं, दूसरी तरफ व्यावसायिक श्रेणी में 25 प्रतिशत के स्थान पर मात्र 15 प्रतिशत धनराशि के अग्रिम भुगतान पर ही दुकानों का कब्जा दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मकान मालिकों की ओर से भी दबाव बनाया जा रहा है और लोगों को घर खाली करने नहीं दिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि कुकरैल नदी पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए एलडीए ने नोटिस दिया था। फिलहाल हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

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