नई दिल्ली। म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के मोरेह शहर में आदिवासी महिलाओं का एक समूह पिछले कुछ दिनों से यहां ‘अतिरिक्त’ पुलिस कमांडो की तैनाती का विरोध कर रहा है, कुकी बहुल शहर मोरेह से लगभग 3 किमी दूर चिकिम गांव में महिलाएं धरने पर बैठी हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुकी इंपी’ और ‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी’ (सीओटीयू) जैसे कई आदिवासी संगठनों ने दावा किया कि शहर में इंफाल घाटी से अधिक पुलिस कर्मियों को शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं और इससे शांति भंग हो सकती है। सीओटीयू ने एक बयान में कहा, ‘अर्द्धसैनिक बलों और भारतीय सेना की मौजूदगी और मोरेह के भीतर शांति सुनिश्चित करने के बावजूद, हेलिकॉप्टरों के माध्यम से अतिरिक्त मैतेई पुलिस की तैनाती गंभीर चिंता का विषय है।’
इसमें दावा किया गया कि इंफाल पूर्वी जिले में हाल के अभियानों में हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी समुदाय को बदनाम करने के लिए ‘पहले से गढ़ी’ गई साजिश है। ‘कुकी इंपी’ ने इंफाल-मोरेह सड़क के किनारे काकचिंग लमखाई और वांगजिंग क्षेत्रों में मैतेई लोगों द्वारा कथित तौर पर स्थापित की गई चौकियों को हटाने की भी मांग की।
द मूकनायक ने मणिपुर में रहने वाली क्रिस्टी से बात की, "यहां पता नहीं कितने प्रदर्शन होते रहते हैं। यहां के लोगों की जिंदगी आसान नहीं है। इन प्रदर्शनों में हिंसा भी होती है। कितने लोगों की जान भी चली जाती हैं। हमेशा ही कमांडो, पुलिस बल आदि को हटाने के लिए प्रदर्शन होता ही रहता है। क्योंकि यहां की जनता इन लोगों पर भरोसा नहीं करती है। उनको लगता है कि यह लोग कहीं ना कहीं अशांति फैलाते हैं। उनको इन लोगों पर भरोसा नहीं होता। यहां की महिलाएं बिल्कुल भी पुलिस वालों पर भरोसा नहीं करती हैं, इसलिए वह हमेशा प्रदर्शन का हिस्सा रहती है", कुकी बाहुल्य जिले चुराचांदपुर की निवासी क्रिस्टी ने द मूकनायक को बताया।
इस मामले पर आईआरबी (Indian Reserve Battalion) से रिटायर्ड रघु सिंह (66), जो मोयरोंग के खोयोल कैथेल राहत शिविर में हैं, द मूकनायक को बताते हैं कि, हाल ही में खबर आई थी की कुछ कुकी लड़के ड्रग्स के साथ पकड़े गए थे। इसलिए कुकी नहीं चाहते हैं कि उनके एरिया में ‘अतिरिक्त’ पुलिस कमांडो फोर्स की तैनाती हो।
अधिकारियों ने कहा कि असम राइफल्स के एक कमांडेंट और अन्य सुरक्षा अधिकारियों ने पिछले कुछ दिनों में प्रदर्शनकारियों के साथ कई बार बातचीत की लेकिन मुद्दे का समाधान अभी तक नहीं हुआ है।
आपको बात दें कि, मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53% है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40% हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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