झारखंड के आखिरी गांवों तक 'मंईयां सम्मान योजना' की क्या है हकीकत?

झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी बाहुल्य गांवों में सरकारी योजनाओं की पड़ताल और बीजेपी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों की हकीकत जानिए द मूकनायक के इस ग्राउंड रिपोर्ट में...
झारखंड के अंतिम गांव बिशुनपुर में मंईया सम्मान योजना की लाभार्थी हैं रुनवा देवी.
झारखंड के अंतिम गांव बिशुनपुर में मंईया सम्मान योजना की लाभार्थी हैं रुनवा देवी.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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झारखंड। चुनाव आयोग द्वारा झारखंड में 2024 के विधानसभा चुनावों की घोषणा होते ही राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई। चुनावी शंखनाद ने कई पार्टियों को इस तरह हिलाया की कई पार्टियों के नेता, विधायक और पूर्व मंत्री का दर्जा प्राप्त प्रत्याशी भी अपनी पार्टियों को छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। वहीं चुनावों को जीतने के लिए सभी पार्टियां जनता का वोट हासिल करने के लिए कई तरह के वादे और योजनाएं लागू करने की बात कर रहे हैं।

इन सबके बीच जेल से बाहर आते ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ताबड़तोड़ कई योजनाएं लागू कर दी। इनमे 'मंईयां सम्मान योजना' सबसे तेजी से लागू होने वाली योजना है। इस योजना से 2024 के विधानसभा चुनाव पर भी गंभीर प्रभाव होता दिख रहा है। द मूकनायक ने ग्राउंड पर जाकर इस योजना की पड़ताल की। टीम झारखंड के अंतिम गांव तक पहुंची। यह गांव बिहार और झारखंड की सीमा पर मौजूद है। आइए जानते हैं कि स्थानीय लोगों ने क्या कहा...?

दरअसल, झारखंड में होने वाले 2024 के विधानसभा चुनाव को लेकर द मूकनायक की टीम भी इस चुनावी यात्रा की कवरेज पर है। जमीन पर जाकर लोगों से बातचीत करके मालूम हो रहा है कि झारखण्ड के लोगों का सियासी झुकाव किस पार्टी की तरफ है। झारखंड के कोडरमा मुख्यालय से लगभग बीस किमी दूर पहाड़ी इलाके में बिंद्राहा वॉटरफॉल मौजूद है। यह अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। इस वॉटरफाल से गिरने वाला पानी आगे जाकर नदी का रूप ले लेता है।

बिशुनपुर गांव में मौजूद स्कूल
बिशुनपुर गांव में मौजूद स्कूलफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

वॉटरफॉल से लगभग दो किमी दूरी पर हजार फ़ीट ऊंची पहाड़ियों के बीच बहती नदी के किनारे एक बड़े भू भाग पर बिशुनपुर और झरखी नाम के दो गांव भी मौजूद है। इन गांवों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। दोनों गांव की कुल आबादी छह सौ के करीब है। यह क्षेत्र कोडरमा विधानसभा क्षेत्र में आता है। इन गावों में प्राथमिक विद्यालय भी मौजूद है। लेकिन इस गांव में आने के लिए नदी वाले मार्ग के आलावा और कोई मार्ग नहीं है। नदी के अतिरिक्त कोई भी मार्ग न होने के कारण स्थानीय लोगों का जीवन और अधिक जटिल हो जाता है।

पहाड़ के बीच बह रही नदी के किनारे मौजूद झरखी गांव
पहाड़ के बीच बह रही नदी के किनारे मौजूद झरखी गांवफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

दो साल पहले वॉटरफॉल तक बनी सड़क

कोडरमा के रहने वाले विशाल मोदी बताते हैं कि, "मैं इस वॉटरफॉल को देखने अपने दोस्तों के साथ 2022 से पहले आया था। तब तिलैया से यहां तक आने के लिए सड़क भी नहीं बनी हुई थी। अब यहां एक अच्छी सड़क बन गई है। इससे आने जाने में सुविधा हो गई है। इससे पूर्व कच्चे मार्ग के अलावा और कोई भी रास्ता नहीं था। बारिश में यह रास्ता और भी खराब हो जाता था। मुझे इस बात की जानकारी थी कि इस वॉटरफॉल से लगभग दो किमी दूरी पर गांव मौजूद है। वॉटरफॉल के पास जाते ही मोबाईल में नेटवर्क चले जाते थे, ऐसे में हम कभी गांव देखने नहीं गए थे।"

बिशुनपुर गांव के रहने वाले मिथुन कहते हैं कि, "इस गांव में आने के लिए आज भी कोई ठीक रास्ता नहीं है। पहले कोडरमा तक जाने के लिए मार्ग बिलकुल कच्चा था। गांव में कोई बीमार होता था तो उसे ले जाने के लिए बांस और चारपाई के सहारे हमें बीस किमी तक पैदल सफर करना पड़ता था। बारिश में यह और भी कठिन हो जाता था। दो साल पहले तिलैया से वॉटर फॉल तक सड़क बनाई गई है। इससे हमें राहत हुई है। पिछली कई सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। गांव में बिजली भी तीन साल पहले आई है। अब हमारी मांग है कि इस गांव को जोड़ने वाला पुल बन जाए।"

मंईया सम्मान योजना की लाभार्थी गीता देवी द मूकनायक से बातचीत करते हुए.
मंईया सम्मान योजना की लाभार्थी गीता देवी द मूकनायक से बातचीत करते हुए.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

गांव तक पहुंची 'मंईयां सम्मान योजना' की राशि

बिशुनपुर गांव में रहने वाली गीता देवी का कहना है, "हमारे गांव में आने-जाने के लिए रास्ता न होना सबसे बड़ी समय है। बारिश के समय में हमेशा यहां हादसे होते हैं। महिला की तबियत खराब होने पर एम्बुलेंस तक गांव में नहीं आ पाती है।"

सरकार हम महिलाओं के लिए अच्छा कदम उठा रही है। इससे हम आत्मनिर्भर हुए हैं। हमें पैसे के लिए किसी का मुंह नहीं देखना पड़ता है। यह पैसा हमारे निजी काम और जरूरत पड़ने पर बहुत मदद करता है।

गीता देवी

बिशुनपुर की रहने वाली रुनवा देवी कहती हैं कि, "सरकार हमें एक हजार रूपये महीना दे रही है। यह सरकार की अच्छी योजना है। इससे हमारे घर के कई काम हो जाते हैं। तबियत खराब होने पर हम इसी पैसे का इस्तेमाल कर इलाज भी करा पा रहे हैं। इस महंगाई के दौर में यह छोटी से मदद हमारे बहुत काम आ रही है।"

गांव में तीन साल पहले पहुंची बिजली, माफ़ हुआ बिजली का बिल

झरखी गांव के रहने वाले बंधन सिंह (65) बताते हैं,"इस गांव में रास्ते की ज्यादा समस्या है। इस क्षेत्र से हमने दो बार भारतीय जनता पार्टी से विधायक नीरा यादव को जिताकर विधानसभा भेजा है, लेकिन उन्होंने हमारे लिए कोई भी काम नहीं किया है। वह आज तक हमारे गांव में झांकने तक नहीं आई हैं। इस सरकार से हमें लाभ हुआ है। सरकार ने हमारा बिजली का बिल माफ़ किया है। महिलाओं को आर्थिक मदद भेजी है। हमारी सरकार से एक ही मांग है कि एक पुल का निर्माण हो जाये। इससे हमें आने-जाने में सहायता मिलेगी।"

क्या है मंईयां सम्मान योजना?

'मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना' को झारखंड सरकार ने महिलाओं के लिए लॉन्च किया है। उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए 21 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए की वित्तीय मदद प्रदान कर रही है। इससे राज्य की महिलाओं के खाते में सालाना 12000 रुपए जमा होंगे। सरकार का मानना है कि इस योजना से महिलाओं को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने और अपने परिवार को बेहतर जीवन देने में मदद मिलेगी।

झारखंड सरकार द्वारा मंईयां सम्मान योजना के तहत वर्तमान में प्रदेश की पंजीकृत महिलाओं के खाते में प्रत्येक महीने की 15 तारीख को 1000 रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर कर रही है। अक्टूबर में दुर्गा पूजा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तय तिथि से पहले महिलाओं के खाते में मंईयां सम्मान योजना की राशि भेज दी थी। वहीं, अब सरकार ने घोषणा की कि नवंबर में छठ महापर्व से पहले योजना की राशि उनके खाते में भेज दी जाएगी।

भाजपा ने भी की थी घोषणा

हेमंत सोरेन सरकार द्वारा महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना के तहत प्रत्येक महीने आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हाल के दिनों में ऐसी ही घोषणा की। भाजपा ने चुनावी संकल्प पत्र जारी करते हुए प्रदेश में सरकार बनने पर महिलाओं को गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपये प्रत्येक महीने और साल में 25 हजार 200 रुपये देने की घोषणा की है।

बीजेपी की गोगो योजना पर मास्टर स्ट्रोक

वहीं, अब झारखंड सरकार ने भी मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा कर दी है। साथ ही लाभार्थी महिलाओं की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया है। हेमंत सरकार के कैबिनेट के इस फैसले को कई लोग बीजेपी की गोगो दीदी योजना पर मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं। बहरहाल, राजनीतिक खींचतान में राज्य की करीब 53 लाख महिलाओं को प्रत्येक महीने आर्थिक सहायता राशि मिलना शुरू गया है, जिससे महिलाएं अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं।

कोडरमा सीट पर BJP का रहा है दबदबा

झारखंड की कोडरमा सीट पर विधानसभा में 2014 से अभी तक भाजपा से डॉक्टर नीरा यादव विधायक हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ नीरा यादव और महागठबंधन से राजद के प्रत्याशी सुभाष यादव निर्दलीय प्रत्याशी शालिनी गुप्ता के बीच टक्कर है। जबकि कोडरमा विधानसभा सीट से चुनाव के लिए कुल 16 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है।

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