भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के आदिवासी युवाओं को आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, और अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती होने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने की योजना शुरू की है। यह योजना प्रदेश के हर जिले में 50 आदिवासी युवाओं को मिलिट्री और अन्य सुरक्षा बलों की तैयारी कराने के उद्देश्य से लागू की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना को शौर्य संकल्प के नाम से जाना जाएगा। इस योजना को राज्य के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह द्वारा मंजूरी दी गई है।
शौर्य संकल्प योजना आदिवासी युवाओं के लिए एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इससे न केवल उन्हें सुरक्षा बलों में शामिल होने का अवसर मिलेगा, बल्कि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। सरकार का यह कदम आदिवासी समाज के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाएगी।
राज्य शासन के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने बताया, कि इस योजना के अंतर्गत हर जिले में 50-50 आदिवासी युवाओं को नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, पुलिस, और अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया, कि यह निर्णय मिलिट्री, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज के साथ टाइअप कर के लिया गया है। इन संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षण के साथ-साथ युवाओं के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था भी की जाएगी।
योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है, कि अगले दो सालों में करीब 682 करोड़ रुपये खर्च कर 5,500 युवाओं को ट्रेनिंग दी जाए। हर साल लगभग 2,750 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। योजना की अवधि 60 दिनों की होगी, और इसका उद्देश्य आदिवासी युवाओं को भर्ती परीक्षाओं के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना है।
योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष शर्तें निर्धारित की गई हैं, जो आदिवासी युवाओं के चयन और प्रशिक्षण प्रक्रिया को सुनिश्चित करती हैं। ये शर्तें निम्नलिखित हैं:
1. आवेदक का मध्य प्रदेश का मूल निवासी और जनजाति वर्ग का होना अनिवार्य है: इस योजना का लाभ केवल उन युवाओं को मिलेगा, जो मध्य प्रदेश के स्थायी निवासी हैं और अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। इसका उद्देश्य आदिवासी समुदाय के युवाओं को प्राथमिकता देना है ताकि वे आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। यह प्रावधान आदिवासी वर्ग के युवाओं के सशक्तिकरण और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि राज्य के जनजातीय समुदायों को योजना का सीधा लाभ मिले।
2. आवेदक की आय सीमा पर कोई बंधन नहीं होगा: योजना के तहत आय सीमा को कोई बंधन नहीं रखा गया है, जिसका मतलब यह है कि आवेदक के माता-पिता, अभिभावक, या स्वयं की सभी स्रोतों से होने वाली वार्षिक आय की कोई सीमा तय नहीं की गई है। यह प्रावधान खासकर उन आदिवासी परिवारों के लिए सहायक होगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिनकी आय सामान्य है। आय सीमा पर कोई प्रतिबंध न होने से इस योजना का लाभ सभी पात्र आदिवासी युवाओं को मिलेगा, चाहे उनकी पारिवारिक आय कितनी भी हो।
3. योजना का लाभ एक व्यक्ति को केवल एक बार ही प्राप्त होगा: इस योजना के अंतर्गत एक व्यक्ति को केवल एक बार ही प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा। यह प्रावधान इसलिए लागू किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा आदिवासी युवा इसका लाभ उठा सकें और सुरक्षा बलों में भर्ती होने की तैयारी कर सकें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि एक ही व्यक्ति बार-बार योजना का लाभ न उठाए और अधिकतम युवाओं को इसके जरिए रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें।
आवेदकों का चयन जिला कलेक्टर द्वारा गठित समिति द्वारा किया जाएगा। चयनित युवाओं को विभागीय क्रीडा परिसर, कन्या शिक्षा परिसरों और अन्य आवासीय संस्थानों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। गर्मी के दिनों में इन परिसरों का उपयोग किया जाएगा, ताकि बेहतर सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।
प्रत्येक प्रशिक्षार्थी के आवास और भोजन पर प्रति माह 3,000 रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके साथ ही प्रत्येक युवा को एक शर्ट, एक टी-शर्ट, पीटी शूज, और दो जोड़ी मोजे भी प्रदान किए जाएंगे। ट्रेनिंग के लिए पूर्व सैनिकों को विशेष रूप से नियुक्त किया जाएगा। शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जेसीओ (Junior Commissioned Officer) और अन्य विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी। वहीं लिखित परीक्षा के लिए अनुभवी ट्रेनर होंगे, जो युवाओं को भर्ती परीक्षाओं के सभी चरणों के लिए तैयार करेंगे।
मंत्री विजय शाह ने यह भी घोषणा की कि यदि कोई आदिवासी छात्र परीक्षा में असफल हो जाता है, तो उसे छात्रावास से बाहर नहीं निकाला जाएगा। अब यदि कोई छात्र 11वीं कक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे छात्रावास में रहने का एक और मौका दिया जाएगा। यह फैसला आदिवासी छात्रों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
शौर्य संकल्प योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातीय समूहों (PGVTs) जैसे बैगा, भारिया, और सहरिया के युवाओं के लिए विशेष बटालियन भी गठित की जाएगी। इन जनजातीय युवाओं को पुलिस, सेना, और होमगार्ड में भर्ती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए पीवीटीजीएस बटालियन के गठन का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना और उन्हें देश की मुख्यधारा से जोड़ना है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के युवाओं को रोजगार और नौकरियों से जोड़ने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा है कि बैगा, भारिया, और सहरिया जैसे जनजातीय समूहों के युवाओं को आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती कराने के लिए उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए जनजातीय कार्य विभाग एक व्यापक कार्ययोजना तैयार कर रहा है।
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