दक्षिण ओडिशा में हैजा से आदिवासियों और दलितों की मौत, न्याय की मांग पर दलित एक्टिविस्ट के साथ पुलिस ने की बदसलूकी

दक्षिण ओडिशा में हैजा से आदिवासियों और दलितों की मौत, न्याय की मांग पर दलित एक्टिविस्ट के साथ पुलिस ने की बदसलूकी
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नई दिल्ली। पुलिस वाला बार-बार मेरा सरनेम (उपनाम) पूछा रहा था। जब मैंने अपना सरनेम सेठी बताया तो दलित कहकर मेरा अपमान करने लगा। मेरे साथ धक्का-मुक्की करने लगा। यह कहना है ओडिशा के दलित एक्टिविस्ट मधुसूदन सेठी का जो 9 अगस्त आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पदयात्रा में शामिल होने ओडिशा के रायगढ़ा जिला गए थे। इस यात्रा में लगभग 100 लोग शामिल हुए थे।

हैजा की चपेट में आया दक्षिण ओडिशा

मधुसूदन ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि ओडिशा के रायगढ जिले के लगभग 70 गांव हैजा की चपेट में आ गए है, जिसमें लगभग अब तक 13 लोगों की मौत हो गई है। 10 आदिवासी और 3 दलित हैं। इन्हीं पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए पदयात्रा की जा रही थी। इसी दौरान रायगढ़ा जिले के एसपी रश्मि रंजन प्रधान ने पदयात्रा को रोकते हुए मधुसूदन से कहा "तुम दलित हो, आदिवासी नहीं। आदिवासी दिवस में आदिवासी ही शामिल होंगे। मधुसूदन से जब उन्हें कहा कि संविधान हमें किसी भी आंदोलन में शामिल होने का अधिकार देता है। आप मुझे नहीं रोक सकते हैं। इस पर पुलिस वाले ने मधुसूदन से कहा कि दलित कितने पढ़े लिखे होते हैं मुझे पता है। तुम्हारे पास कितना ज्ञान है। यह भी मुझे पता है।"

दरअसल इस पूरी बहस का एक मात्र कारण था। हैजा से लोगों की मौत। दक्षिण ओडिशा के रायगढ़ा जिले में जुलाई महीने में लगभग 70 गांव हैजा की चपेट में आ गए थे। आदिवासी इलाके के इन गांव में अब तक 13 लोगों की मौत हो गई है। जिसमें 10 आदिवासी और 3 दलित है।

इन गांवों में हैजा होने का सबसे बड़ा कारण है गंदा पानी। मधुसूदन बताते हैं कि कांशीपुर ब्लॉक जहां सबसे अधिक लोगों की मौत हुई है। वह स्वच्छ जल की कोई सुविधा नहीं है। सरकार अमृत महोत्सव मना रही है। यहां लोग स्वच्छ पानी के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं। पश्चिम घाट के छोटी-छोटी पहाडि़यों के बीच बसे इन गांवों में चापानल ( हैंडपंप) तो बना दिया है। लेकिन उसके आस-पास की जगह गंदगी के कारण साफ पानी की कोई सुविधा नहीं है। इसी गंदगी का रिसाव जमीन में होता है और पानी दूषित हो जाता है। वह बताते हैं कि इस ब्लॉक के कई गांव के किसी भी घर में शौचालय नहीं है। सभी लोग शौच के लिए इन छोटी-छोटी पहाडि़यों में जाते हैं। बरसात के दिनों में यही गंदगी पहाडि़यों से नीचे की तरफ आती है। जिसके कारण पानी दूषित हो जाता है।


गांववासी इसी भूजल का इस्तेमाल खाना बनाने और अन्य कामों के लिए करते हैं। जिसके कारण यहां कोलेरा और अन्य बीमारियों बड़ी तेजी से लोगों को हो रही हैं। जिसमें बच्चे भी शामिल है। वहीं डॉक्टर्स की मानें तो मौत का आंकडा 30 से 35 लोगों का है। ऑल इंडिया लॉयर एसोसिएशन फॉर जस्टिस में छपी रिपोर्ट के अनुसार रायगढ़ा जिले के सीएमओ ने भी माना है कि इस क्षेत्र के गांवों में अत्यधिक गंदगी के कारण भूजल दूषित हो गया है। जिसके कारण यह महामारी तेजी से फैल रही है।

भविष्य में 345 गांव महामारी की चपेट में आ जाएंगे

लगातार बढ़ते मौत के आंकड़े को देखते हुए डॉक्टर्स का कहना है कि आने वाले दिनों में अक्सर नागरिकों के लिए साफ पानी की व्यवस्था नहीं की गई तो 345 गांव इस महामारी की चपेट में आ जाएंगे। इस वक्त स्थिति ऐसी है कि सरकारी अस्पतालों में लोगों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। पूरी दवाइयां भी नहीं मिल पा रही हैं।

सरकारी आंकडों

ऐसा पहली बार नहीं है जब रायगढ़ा जिले के काशीपुर ब्लॉक में इस तरह की महामारी का प्रकोप देखने के मिल रहा है। सरकारी आंकडों के अनुसार साल 1992, 1998, 2022, 2007, 2010 हैजा से लोगों की मौत हुई थी। साल 2007 में 70 लोग और 2010 में 30 लोगों की मौत हुई थी। मौतों के आंकड़ों को देखते हुए राज्य सरकार ने काशीपुर ब्लॉक को महामारी मुक्त बनाने की बात कही थी। लेकिन आज एक बार फिर स्थिति वैसी ही है।

अस्पतालों की स्थिति खराब

दक्षिण ओडिशा में फैल रही महामारी से लोगों की स्थिति जितनी खराब है। उससे ज्यादा स्थिति खराब तो जिला अस्पताल की है। ऑल इंडिया लॉयर एसोशिएसन फॉर जस्टिस में छपी रिपोर्ट के अनुसार पीएचससी(पब्लिक हेल्थ सेंटर) और सीएचसी(सेंटर हेल्थ सेंटर) में सुविधा नही होने के कारण मरीज को रायगढ़ा जिला अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार जिला अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि वहां पेसेंट के भर्ती करने के लिए गरीब लोगों से पांच सौ रुपए मांगे जा रहा है। अपनी परिजनों की जान बचाने के लिए लोग पैसे भी दे रहे हैं। लेकिन मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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