भोपाल। मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक नाबालिग आदिवासी छात्रा ने हॉस्टल में फांसी लगाकर जान दे दी। घटना रविवार-सोमवार की दरमियानी रात की है। परिजनों ने आरोप लगाया कि हॉस्टल वार्डन और पुलिस उसे टॉर्चर कर रही थी। जिसके चलते छात्रा ने आत्महत्या की है।
पुलिस के मुताबिक 15 बर्षीय आदिवासी समाज की छात्रा जिले के कराहल इलाके के डूंडीखेडा गांव की रहने वाली थी। छात्रा श्योपुर के एक्सीलेंस गर्ल्स हॉस्टल में रह कर 9वी कक्षा में पढ़ाई कर रही थी। इसी हॉस्टल में उसने अपने दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। आरोप है कि हॉस्टल वॉर्डन और अन्य स्टाफ लक्ष्मी को गालियां देकर टॉर्चर कर रहे थे। उसे हॉस्टल के बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। यहां तक की परिजनों से भी मिलने नहीं दे रहे थे। इसके कारण छात्रा डरी हुई थी।
लक्ष्मी के साथ रहने वाली छात्राओं ने बताया कि लक्ष्मी ने पिछले तीन दिनों से खाना नहीं खाया था। प्रियंका नाम की एक छात्रा के मुताबिक रात को वह सोई थी सुबह जब 4 बजे नींद खुली तो वह फंदे पर लटकी हुई दिखी, जिसकी सूचना तुरंत वार्डन को दी। इधर घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर संजय कुमार और एसपी डॉ. राय सिंह नरवरिया हॉस्टल पहुंचे। इस मामले में अपर कलेक्टर अनुज कुमार रोहतगी जांच कर रहें हैं.
स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक लक्ष्मी की साथी प्रियंका ने बताया - लक्ष्मी के साथ एक और छात्रा रहती थी, जो अगस्त के महीने में हॉस्टल से घर जाने की बात कह कर कहीं चली गई थी। इसके बाद से कोतवाली पुलिस लक्ष्मी को पूछताछ के नाम पर टॉर्चर कर रही थी। पुलिस लक्ष्मी को जेल भेजने की धमकी देकर उसके पिता और अन्य लोगों को भी जेल में डालने की धमकी दे रही थी। हॉस्टल की वार्डन और सहायक वार्डन भी उसे गालियां देकर टॉर्चर कर रही थी। उसे हॉस्टल से बाहर नहीं आने दिया जा रहा था, जिससे वो किसी को अपनी परेशान बता नहीं पा रही थी। उसने यह कदम पुलिस और अधीक्षक की प्रताड़ना से तंग आकर उठाया होगा।'
लक्ष्मी के पिता दिनेश भील खेती करते हैं। लक्ष्मी की मां भी खेती किसानी का काम करती हैं। उन्होंने कहा, बेटी को अच्छी शिक्षा के लिए शहर के इस हॉस्टल में भर्ती कराया था। छात्रा के पिता दिनेश भील का कहना है कि जो लड़की लक्ष्मी के साथ में रहती थी, वो उनकी बेटी को घर जाने की बात कहकर किसी लड़के के साथ भाग गई थी। उन्होंने पुलिस को उस लड़के का पता भी बताया था। उसके परिजन से पूछताछ करने के लिए पुलिस से को कहा था।
पुलिस ने लड़की का पता लगाने या आरोपी के परिजन से पूछताछ करने की बजाय उनकी बेटी को और उन्हें लगातार परेशान किया। दिनेश का आरोप है कि पुलिस ने शनिवार को लक्ष्मी को धमकी दी थी कि सोमवार को वह उसे उठाकर जेल ले जाएंगे। इस वजह रविवार की रात ही उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्रा के पिता कोतवाली पुलिस और वार्डन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहें हैं।
इस मामले में श्योपुर एसडीओपी राजीव कुमार गुप्ता का कहना है कि पुलिस ने किसी को परेशान नहीं किया है। एक लड़की अगस्त के महीने में कहीं चली गई थी, जिसके संबंध में पुलिस की ओर से मामूली पूछताछ की गई थी। उस समय वहां छात्रा के पिता भी मौजूद थे। द मूकनायक से बातचीत करते हुए श्योपुर के पुलिस अधीक्षक राय सिंह नरवरिया ने बताया कि छात्रा को किसी भी तरह से परेशान नहीं किया गया था। पुलिस पर लगाए गए आरोप गलत है। छात्रावास में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है जांच की जा रही है।
कोतवाली थाना टीआई योगेंद्र सिंह ने बताया कि छात्रा लक्ष्मी से पूछताछ कोतवाली थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र परिहार ने की थी, उनके साथ में एक महिला आरक्षक भी थी। पूछताछ के दौरान उन्होंने छात्रा के पिता को भी वहां बुला लिया था और पूछताछ हॉस्टल परिसर के बाहर बुलाकर की गई थी। इस मामले में द मूकनायक ने हॉस्टल वार्डन मीनू चौधरी से बात करने के लिए फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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