भोपाल। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून, जिसे पेसा कानून के नाम से जाना जाता है, उसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों को स्वशासन और उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि, मध्य प्रदेश में इस कानून का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे को लेकर आदिवासी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपकर पेसा कानून के उचित क्रियान्वयन की मांग की है।
गुरुवार को दिल्ली में रामू टेकाम ने आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर ज्ञापन के माध्यम से, कहा कि पेसा कानून के तहत आदिवासी ग्राम सभाओं को स्थानीय संसाधनों पर स्वायत्तता और पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की मान्यता दी गई है। इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आदिवासी समुदायों के जल, जंगल और जमीन पर उनके अधिकार सुरक्षित रहें और वे अपने संसाधनों का प्रबंधन खुद कर सकें। लेकिन मध्य प्रदेश में सरकार और प्रशासन द्वारा पेसा कानून को नजर अंदाज किया जा रहा है, जिससे आदिवासी समुदायों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है।
रामू टेकाम ने बताया कि राज्य में पेसा कानून को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्तावों को अमल में नहीं लाया जा रहा है, जिससे आदिवासी समुदायों के अधिकार और उनकी स्वायत्तता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "यह चिंता का विषय है कि मध्य प्रदेश सरकार ने पेसा कानून को केवल कागजों पर लागू किया है, लेकिन वास्तविकता में इस कानून के तहत आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं।"
ज्ञापन में मुख्य मांगें:
1. पेसा कानून के सभी प्रावधानों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
2. ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्तावों को प्रशासनिक स्तर पर त्वरित कार्रवाई के साथ लागू किया जाए।
3. आदिवासी समुदायों को जल, जंगल, जमीन और वनोपज पर उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।
4. सरकारी योजनाओं में ग्राम सभाओं की अनुमति और सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
पेसा कानून के प्रमुख प्रावधान:
1. भूमि अधिग्रहण में ग्राम सभा की अनुमति: किसी भी सरकारी योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है।
2. जल, जंगल और जमीन पर अधिकार: आदिवासी समुदायों को उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा और इन संसाधनों का प्रबंधन करने का अधिकार है।
3. वनोपज का प्रबंधन और बिक्री: ग्राम सभाओं को वनोपज के संग्रह, प्रबंधन और बिक्री का अधिकार दिया गया है।
4. स्थानीय विकास योजनाओं में सहभागिता: ग्राम सभाओं को स्थानीय विकास योजनाओं की मंजूरी देने और उनके क्रियान्वयन में भूमिका निभाने का अधिकार है।
5. सामाजिक मुद्दों पर नियंत्रण: ग्राम सभाओं को गांव के सामाजिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों की निगरानी का अधिकार दिया गया है।
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