उदयपुर- बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में 18 जुलाई को भील प्रदेश सांस्कृतिक महारैली में ' भील प्रदेश' के समर्थन को लेकर दिए गए अपने वक्तव्य से प्रदेश की भाजपा सरकार के टारगेट में आई डूंगरपुर की सेकंड ग्रेड टीचर मेनका डामोर को 24 जुलाई को निलंबित किया गया था.
मेनका डूंगरपुर के सीमलवाडा पंचायत समिति में सादडिया स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत थी जिन्हें निलंबित कर मुख्यालय कार्यालय मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी - दोवडा में नियत किया गया है.
सरकारी आदेश में डामोर के विरुद्ध राजस्थान आचरण नियमों एवं शिक्षा विभाग की छवि खराब करने के तहत विभागीय जांच की अनुशंसा और निलंबन किया जाना अंकित किया गया है.
द मूकनायक ने शिक्षिका मेनका डामोर से विस्तृत बातचीत की और पूरे घटनाक्रम को उन्ही की जुबानी समझने का प्रयास किया. शिक्षिका ने द मूकनायक को साफ़ किया कि " मैंने किसी भी महिला को सिंदूर या मंगलसूत्र पहनने से मना नहीं किया, मेरी मंशा सभा को यह समझाने की थी की आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, पहले आदिवासी महिलाएं सिन्दूर मंगलसूत्र नहीं पहनती थी , मुझे भी यह बात नहीं मालूम थी और इसलिए जब तक जानकारी नहीं थी मैं भी सिन्दूर और मंगलसूत्र पहना करती थी लेकिन 2016 से जब से आदिवासी परिवार से जुड़ी हूँ, मुझे पता चला ये आदिवासी संस्कृति नहीं है, उसके बाद मैंने सिन्दूर मंगलसूत्र पहनना छोड़ दिया . "
मेनका ने द मूकनायक को बताया कि स्कूलों में देवी देवताओं का जो पूजन होता है उसका हमने कभी विरोध नहीं किया लेकिन अभी हाल ही में एक स्कूल में भील प्रदेश का समूह गीत बच्चों से बुलवाया गया तो तीन टीचर्स को सस्पेंड कर दिया . उस घटना को लेकर मैंने सभा में कहा कि थोड़ी तो शर्म करो - इसी बात को लेकर मेरे विरुद्ध एक्शन लिया गया, लेकिन मुझे बिलकुल नहीं लगता कि मैंने कोई गलत बात कही या विभाग की छवि बिगाड़ी हो.
18 जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में भारत आदिवासी पार्टी के प्रतिनिधियों समेत कई आदिवासी संगठनों ने हिस्सा लिया था जिसमें आदिवासी परिवार की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने कहा कि मैं ना तो मंगलसूत्र पहनती हूं, ना ही सिंदूर लगाती हूं और मैं कोई व्रत तक नहीं रखती हूं. जो खुद गुड खाता हो दुसरे को गुड नहीं खाने की नसीहत नहीं दे सकता है. डामोर ने कहा था कि हमारे स्कूलों को देवी देवताओं का घर बना दिया गया है, जाने कितने कितने पर्व और उत्सव होते हैं. स्कूल शिक्षा का मंदिर है, जहां बच्चे सिर्फ पढने के लिए आते हैं, वहां उत्सव नहीं होना चाहिए. डामोर ने महिलाओं और बालिकाओं को शिक्षा में अपना ध्यान लगाने की सीख देते हुए बाबा साहेब के शब्द दोहराए थे - शिक्षा वो शेरनी का दूध है, जो भी पियेगा वो दहाड़ेगा .
इसके बाद इस मामले में कई संगठनों ने शिक्षिका के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी. उनका आरोप था कि शिक्षा विभाग की छवि को खराब किया गया है.
मेनका डामोर संस्कृत विषय की अध्यापिका हैं , मूकनायक से बातचीत में वे कहती हैं कि वे पहले हिन्दू रीति रिवाज को मानती थी, सुहाग प्रतीक मंगलसूत्र -सिन्दूर सब लगाती थी और व्रत उपवास भी करती थी लेकिन पिछले 5-7 सालों से आदिवासी परिवार के संपर्क में आने के बाद बदलाव आया. " मुझे मालूम हुआ कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, मैंने इस बारे में बहुत किताबें पढ़ी, डाक्यूमेंट्स से जानकारी हासिल की तब मुझे सुप्रीम कोर्ट के 5 जनवरी 2011 का जजमेंट का पता चला जिसमे कोर्ट ने भी माना कि आदिवासी हिन्दू नहीं है , उसके बाद मेरे जीवन में परिवर्तन आया और मुझे अहसास हुआ की आदिवासियो के मन में गलत बातें बिठाकर उनपर रस्म-रिवाज आदि थोपे जा रहे हैं, केवल शिक्षा ही वह माध्यम है जिसे अपनाकर आदिवासी समुदाय जाग्रत हो सकता है, अपने अधिकार की मांग कर सकता है.
" मेनका कहती हैं कि मैंने किसी भी महिला को सिन्दूरं या मंगलसूत्र पहनने से मना नहीं किया , उस दिन के भाषण के वीडियो अंश उपलब्ध हैं जिसमे मैंने कोई गलत बात नहीं की, मैंने अपनी बात कही है कि मैं मंगलसूत्र या सिंदूर नहीं लगाती- इसमें क्या गलत है. आदिवासी समुदाय जिसमे शिक्षा का अभाव है, उन्हें ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरित करना किसी भी लिहाज से गलत नहीं कहा जा सकता है. डामोर ने बताया की उनका निलंबन आदेश गलत है और इसके विरुद्ध वे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रहीं हैं.
मेनका ने बताया कि उनका परिवार पहले हिन्दू रिवाज मानता था लेकिन आदिवासी परिवार से जुड़ने के बाद वे भी ये नहीं मानते हैं, मेनका के पति गुजरात में सरकारी शिक्षक हैं और दंपत्ति के दो बेटे हैं जो नवी और सातवी कक्षाओं में पढाई कर रहे हैं . मेनका कहती हैं मेरे बेटों को भी मैं यही सीख देती हूँ कि वे धार्मिक ढकोसलों से दूर रहे, और पढ़ाई लिखाई पर फोकस करते हुए वैज्ञानिक सोच रखे. वे कहती हैं कि पूरा परिवार उनके समर्थन में है और उनके बेटे भी यह मानते हैं की मम्मी ने कुछ भी गलत नहीं किया है.
द मूकनायक ने मेनका के भाई सीताराम डामोर से बात की जो जोधपुर में उनके रिट पेटीशन की तैयारी कर रहे हैं. सीताराम ने बताया कि मेनका के निलंबन का आधार सेवा नियम आचरण को बनाया गया है लेकिन मेनका ने कोई भी अशोभनीय या असंवैधानिक शब्द नहीं कहे हैं. अगर कोई शिकायत है तो विभाग को कायदे से कारण बताओ नोटिस देना चाहिए था, जांच बिठानी चाहिए और शिक्षिका का पक्ष जाने के बाद कारवाई की जानी चाहिए लेकिन यहाँ तो बिना APO किये सीधे सस्पेंड कर दिया जो अनुचित है और हाई कोर्ट में इस आदेश के विरुद्ध याचिका लगाई जायेगी.
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