पहली बार एक साथ असिस्टेंट प्रोफेसर बना ये आदिवासी जोड़ा

कर्ज लेकर पिता ने पढ़ाया, बेटी ने मान बढ़ाया, रेतीले समंदर के बाड़मेर जिले की बेटी रमीला ने कामयाबी का ऐसा परचम लहराया कि जो लोग बेटियों की पढ़ाई पर ताने मारते थे, वे भी रमिला की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वाले रमिला व जसवंत
असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वाले रमिला व जसवंत
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कुछ कर दिखाने के लिए संसाधनों पर निर्भरता जरूरी नहीं होती है। लगन, मेहनत और लक्ष्य को पाने का जुनून हो तो सफलता कदम चूमती है। इस बात को साबित कर दिखाया राजस्थान के बाड़मेर जिले में चौहटन बिंजासर की रमिला भील व उसके पति जसवंत ने रेतीले समंदर के बाड़मेर जिले की बेटी रमीला ने कामयाबी का ऐसा परचम लहराया कि जो लोग बेटियों की पढ़ाई पर ताने मारते थे, वे भी रमिला की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

आदिवासी भील समाज में पहली बार यह मौका आया है कि एक साथ पति व पत्नी ने असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर समाज का गौरव बढ़ाया। रमिला व जसवंत दोनों ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रमिला के माता-पिता ने निरक्षर होने के बावजूद कर्ज लेकर अपने बच्चों को पढ़ाया. रमिला बेन मूल रूप से चौहटन के बिंजासर गांव से आती है। वहीं जसवंत राजस्थान के डीसा तहसील क्षेत्र के निवासी हैं। दोनों की पांच साल पहले सगाई हुई थी और छह माह पहले ही शादी हुई. रमिला को असिस्टेंट प्रोफेसर पीजी कॉलेज पाटन व जसवंत को असिस्टेंट प्रोफेसर पीजी कॉलेज राधनपुर में नियुक्ति प्राप्त हुई है.

द मूकनायक से बात करते रमीला ने बताया कि उसके पिता गुजरात में मार्बल फैक्ट्री में मजदूरी करते है। "मेरे पिता परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति हैं और कम आय के बावजूद उन्होंने हमें कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। पैसे की कमी की वजह से कर्ज लेकर मुझे पढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए।" रमिला ने भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने पर प्रोफेसर बनने की मन में ठान ली। बी कॉम व एमकॉम करने के बाद नेट पास किया। माता पिता व ससुराल वालों के सहयोग और स्वयं की कड़ी मेहनत से असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर उसका चयन हो गया.

ससुराल से भी मिला पूरा सपोर्ट - रमीला

रमीला बताती है कि मेरी सगाई पांच साल पहली हो गई थी माता पिता व ससुराल वालों के सपोर्ट से मुझे ज्यादा ऊर्जा मिली और ज्यादा तैयारी करने लगी थीं. जंसवत और मैंने गरीबी को काफी नजदीक से देखा है इसलिए हम दुसरे के सहयोग से दिन-रात मेहनत करने लगे. मेरे पति तथा मेरे ससुराल वालों के पक्ष से मुझे पूरा सपोर्ट मिला. रमीला ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ ससुराल को भी दिया है। अब दोनों परिवार में खुशियों का माहौल बना हुआ है।

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