भोपाल। मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने आदिवासी छात्रावासों में बिजली की समस्या को दूर करने और बिजली बिल के बढ़ते खर्च पर नियंत्रण पाने के लिए सोलर पॉवर सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है। इस पहल के तहत जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित सभी छात्रावासों, आश्रमों, शालाओं, कन्या शिक्षा परिसरों और क्रीड़ा परिसरों में सोलर पावर सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। प्रदेश भर में 2,378 संस्थानों में यह व्यवस्था की जाएगी, जिसके लिए करीब 1,500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार कर अनुमोदन के लिए भेजा गया है।
इस योजना का उद्देश्य सिर्फ बिजली बिल को कम करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को पढ़ाई में स्मार्ट तरीके से मदद प्रदान करना भी है। सोलर पॉवर सिस्टम के लगने से इन संस्थानों में ई-कक्षाओं, स्मार्ट क्लासेस और स्मार्ट लैब्स की शुरुआत हो सकेगी। नई तकनीक के इस्तेमाल से न सिर्फ स्कूल परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलेगी, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगी। इसके माध्यम से छात्र आधुनिक शिक्षा और डिजिटल साधनों का लाभ उठा सकेंगे, जो कि उन्हें प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे बढ़ने में मदद करेगा।
राज्य सरकार के इस कदम से दूरस्थ क्षेत्रों के आदिवासी विद्यार्थियों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बिना किसी बिजली कटौती के, छात्र अब अधिक समय तक पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे उनकी शैक्षणिक सफलता की संभावनाएं बढ़ेंगी। स्मार्ट क्लासेस की स्थापना से छात्रों को डिजिटल माध्यमों का सही उपयोग सिखाया जाएगा, जिससे वे आधुनिक युग की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार हो सकेंगे।
सोलर पॉवर सिस्टम लगाने के अलावा, आदिवासी छात्रावासों और आश्रमों में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। यह पहल संस्थानों की सुरक्षा को और पुख्ता करेगी, जिससे न केवल विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि उनके अध्ययन-अध्यापन और अन्य गतिविधियों की नियमित मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2,810 संस्थानों में से 1,305 में पहले से ही सीसीटीवी कैमरे स्थापित हैं। शेष संस्थानों में भी कैमरे लगाने का अनुमानित खर्च 1,053.85 लाख रुपए है।
जनजातीय कार्य विभाग की इस योजना को राज्य सरकार से अनुमोदन मिलते ही सभी संस्थानों में सोलर पॉवर सिस्टम लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इससे न केवल प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों को बिजली की समस्या से निजात मिलेगी, बल्कि स्मार्ट शिक्षा की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा।
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