भोपाल। आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने एक बार फिर से उनके अधिकारों को मजबूत करने के लिए कदम उठाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स का पुनर्गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम और पेसा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। इस टास्क फोर्स में विषय विशेषज्ञों और पूर्व विधायकों को शामिल कर एक विशेष कार्यकारी समिति का भी गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स की शीर्ष समिति में प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत उपाध्यक्ष के रूप में शामिल हैं। वहीं, प्रमुख सचिव (जनजातीय कार्य विभाग) को पदेन सदस्य सचिव और मुख्य सचिव को पदेन सचिव नियुक्त किया गया है। कार्यकारी समिति में विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है ताकि निर्णय-प्रक्रिया और क्रियान्वयन में तेजी लाई जा सके।
टास्क फोर्स की कार्यकारी समिति में डॉ. मिलिंद दांडेकर, डॉ. शरद लेले, और मिलिंद थत्ते जैसे विधि और विषय विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। साथ ही, पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम, राम डांगोरे, डॉ. रूपनारायण मांडवे और कालू सिंह मुजाल्दा को भी सदस्य बनाया गया है। इन विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से योजना की जमीनी स्तर पर प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सकेगी।
पुनर्गठित टास्क फोर्स को राज्य में वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विशेष रूप से जिम्मेदारियां दी गई हैं। इनके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. वन अधिकार अधिनियम के प्रविधानों की जिला-स्तरीय मैपिंग: टास्क फोर्स प्रत्येक जिले में वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत चिन्हित क्षेत्रों की सूची तैयार करेगी और नए संभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए संस्तुति प्रदान करेगी।
2. सीएफआर प्रावधानों का आकलन: सामुदायिक वन अधिकार (सीएफआर) प्रावधानों के अंतर्गत लंबित मामलों का आकलन किया जाएगा, जिससे वन समुदायों के अधिकारों की पुष्टि और सुदृढ़ीकरण हो सके।
3. पेसा और वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन: राज्य शासन के विभिन्न विभागों और जिला पंचायतों को संभावित रणनीतियों और कार्ययोजना के लिए सुझाव प्रदान किए जाएंगे ताकि कानूनों का सही और समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित हो।
4. प्रस्तावित अनुशंसाओं का प्रशासनिक अनुमोदन: अनुमोदित कार्ययोजना के अनुसार समय-सीमा में बिंदुवार क्रियान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन किया जाएगा।
5. विकल्पों का सुझाव: समिति, आवश्यकतानुसार, अन्य उपायों और अनुसंशाओं को प्रस्तुत करेगी ताकि पेसा और वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।
इस टास्क फोर्स का कार्यकाल दो वर्ष का होगा, जिसमें यह तीन महीने के भीतर अपनी प्रथम अनुशंसाओं का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। हर छह महीने में टास्क फोर्स की बैठकें आयोजित की जाएंगी, जबकि कार्यकारी समिति की बैठक मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार की जा सकेगी।
मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदायों के लिए वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन उनके आजीविका, भूमि अधिकारों और परंपरागत संसाधनों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। आदिवासी समुदाय, जो पारंपरिक रूप से जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहे हैं, अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक होते जा रहे हैं और सरकारी सहायता से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयासरत हैं।
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