इम्फाल: मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक ठोस प्रयास में, सुरक्षा बलों ने क्षेत्र के संवेदनशील पहाड़ी और घाटी जिलों में व्यापक तलाशी अभियान चलाया है। इन सक्रिय उपायों के परिणामस्वरूप चुराचांदपुर जिले में एक लंबी दूरी के मोर्टार (पंपी) को एक जिंदा गोले के साथ बरामद किया गया।
अभियानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 37 और 2 पर क्रमशः 319 और 184 वाहनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की, जिससे आवश्यक वस्तुओं के परिवहन में सुविधा हुई। सुरक्षा बनाए रखने के लिए, सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए गए थे, जिसमें निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों से वाहनों को एस्कॉर्ट करने वाले काफिले थे।
विभिन्न जिलों में कुल 125 नाके और चेकपॉइंट स्थापित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न उल्लंघनों के लिए 68 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। ये सख्त सुरक्षा उपाय मणिपुर में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक पहल हैं।
राजधानी इम्फाल से लगभग 63 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य पहाड़ी क्षेत्र में बसे चुराचांदपुर (Churachandpur) जिले के आईबी रोड जिला अस्पताल के पास YVA (Young Vaiphei Association) की ओर से एक पुराने ब्वॉयज हॉस्टल को रिलीफ कैम्प में तब्दील किया गया है। इस रिलीफ कैम्प के वालेंटियर जैरी द मूकनायक को बताते हैं कि, आर्मी फोर्स मणिपुर पुलिस के साथ मिलकर जगह-जगह पर तलाशी अभियान चलाते रहते हैं. यह तलाशी ओपरेशन ज्यादातर रात में या सुबह में चलाया जाता है. इस बीच वह विलेज वालेंटियर (आदिवासी इलाकों में गांव की रखवाली करने वाला हथियार बंद व्यक्ति) को पकड़ लेते हैं, और बताते हैं कि इनके पास से उन्हें आर्म्स मिला है.
हाल ही में बरामद हुए मोर्टार के बारे में जैरी ने बताया कि यह मैन-मेड है, इसे स्थानीय लोगों ने बनाया होगा. क्योंकि अत्याधुनिक हथियार खरीदने के लिए इन पहाड़ी के लोगों के पास कोई फंड नहीं होता है. इसलिए स्थानीय मैकेनिक इसे खुद बनाते हैं, जिसका उद्देश्य अपनी और अपने समुदाय के लोगों की रक्षा करना होता है.
पिछले साल अगस्त में द मूकनायक की ग्राउंड रिपोर्ट में जैरी ने हमें दिखाया था कि उनके पास खुद की एक बन्दूक थी जिसका लाइसेंस भी था. जैरी ने बताया कि, “हम लोग विलेज वालेंटियर के तौर पर आर्म्स रखते हैं, क्योंकि हम पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं इसलिए जानवरों के हमले से अपनी सुरक्षा के लिए रखना पड़ता है. इसका लाइसेंस भी हमारे पास होता है. जब से हिंसा शुरू हुई है तब से हमारे कई लाइसेंसी आर्म्स को पुलिस ने जब्त कर लिया है, वह अभी तक हमें लौटाए नहीं गए.”
उसने बताया कि, “लेकिन हमारे क्षेत्रों में कई सारे मिलिटेंट ग्रुप भी हैं जिनके पास हथियार हैं. पूरे मणिपुर में 40 से अधिक ऐसे ग्रुप्स हैं. एक ग्रुप में लगभग 50 से 100 के आसपास की संख्या होती है. हालांकि, इन समूहों, कुकी-जो समुदाय के लोगों और केंद्र सरकार के बीच लगभग 7 साल पहले, 2015 में एक शांति समझौता हुआ था, जिसके कारण अब वह केंद्र सरकार के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाते. इन समूहों का पूरा ब्यौरा केंद्र सरकार के पास मौजूद है.”
“कई बार इस आपरेशन में हमारे विलेज वालेंटियर के लोगों के हथियार भी जब्त किये गए हैं, जिन्हें मीडिया में प्रोपेगेंडा की तरह इस्तेमाल किया गया है. मीडिया में बताया जाता है कि यह कुकी लोगों के पास से मिला है. लेकिन इसके आगे का सच नहीं बताया जाता है”, जैरी ने बताया.
जैरी का आरोप है कि, “जबकि, मैतेई क्षेत्रों में आरमबाई टेंगोल, मैतेई लिपुन पूरे आटोमैटिक हथियारों से लैस होकर पब्लिक के बीच जाते हैं. इनके पास जो हथियार हैं वह कंपनी-मेड हैं. इसमें एके47 और मशीनगन सहित कई अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं. कोई भी इनके सोशल मीडिया एकाउंट्स में यह चीजें देख सकता है.”
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