रांची। रोबिन मिंज, झारखंड के पहले आदिवासी युवा इंग्लैंड क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने जा रहे हैं। रोबिन रांची शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित नामकुम नामक इलाके के रहने वाले हैं. आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस ने उन्हें ट्रेनिंग, जो अगस्त में शुरू होगी, देने का जिम्मा लिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, रॉबिन को पहले एक टीम के ट्रायल के लिए रवाना किया गया था, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया और इससे उन्हें बहुत निराशा हुई थी। परंतु, तीन दिन पहले, उसी टीम ने फोन करके उन्हें पासपोर्ट तैयार करने के लिए कहा, जिससे उन्हें अपनी सफलता की खुशी हुई। इस सफलता के लिए न केवल उनके परिवार, बल्कि उनके गुरु चंचल भट्टाचार्य और कोच आशिफ भी बहुत खुश हैं।
झारखंड के रांची ने देश को एक ऐसा खिलाड़ी और वह कैप्टन दिया जिसने भारत को विश्व कप जिताया है. महेंद्र सिंह धोनी जो ना केवल पूरे देश के आदर्श है पर देश के भावी खिलाड़ी रोबिन मिंज के भी आदर्श हैं.
बता दें फिलहाल रोबिन सीनेट क्रिकेट क्लब नामकुम में पिछले 6 साल से ट्रेनिंग ले रहे है. अपने कोच चंचल भट्टाचार्य और आशिफ के साथ साथ उन्हें क्रिकेटर एसपी गौतम का भी सहयोग मिलता रहता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते सालों में लखनऊ सुपरजाइंट्स, दिल्ली कैपिटल्स, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से रोबिन को ट्रायल में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। जिसमें दिल्ली कैपिटल्स का ट्रायल भी उसने दिया था पर उसका सेलेक्शन नहीं हो सका। हालांकि इससे वह निराश तो जरूर हुआ था। पर जल्दी ही वह फिर मेहनत के लिए तैयार हो गया। रॉबिन ने 2020-21 के दौरान अंडर-19 का ओपन ट्रायल हुआ था। इसने अपने पहले ट्राई मैच में 5 छक्कों के साथ, 60 रन बनाए थे।
रॉबिन मिंज के पारिवार की बात करें तो उसके पिता पूर्व आर्मीमैन हैं। उनका नाम जेवियर फ्रांसिस मिंज है। वे फिलहाल रांची एयरपोर्ट में सेक्यूरिटी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इनकी दो बहनें हैं। रॉबिन अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं. क्रिकेट के प्रति रूचि देखकर पिता ने उसे एकेडमी ज्वाइन करने को कहा तो मां उसे एकेडमी तक हर रोज छोड़ने जाती थी।
1. विनोद कांबली: विनोद काम्बली पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत के लिए मध्यक्रम बल्लेबाज के लिए और समान रूप से मुम्बई और बोलांड, दक्षिण अफ़्रीका के लिए खेलते थे।
2. अशोक डिंडा: पश्चिम बंगाल के तेज गेंदबाज अशोक डिंडा दलित समुदाय से हैं। उन्होंने 2010 और 2013 के बीच वनडे और टी-20 सहित विभिन्न प्रारूपों में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। अशोक कोलकाता से लगभग तीन घंटे की दूरी पर नैचनपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 2005 में बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया और अपनी निरंतर गति से कई लोगों को प्रभावित किया.
3. पालवंकर बालू: पलवंकर बालू भारतीय क्रिकेट में दलित प्रतिनिधित्व के अग्रणी थे। वह 1900 के दशक की शुरुआत में खेले और एक कुशल बाएं हाथ के स्पिनर थे। बालू को अपने करियर के दौरान अपनी जाति के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला.
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