पूर्वी राजस्थान की 41.13 प्रतिशत जनसंख्या को पेयजल व फसल सिंचाई के लिए पानी दिलाने पैदल निकली महिला। सौे किलोमीटर के सफर में पांव में पड़े छाले, जनप्रतिनिधियों का बुरा व्यवहार भी सहा।
रिपोर्ट- अब्दुल माहिर
सवाईमाधोपुर। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के कागजों से धरातल पर नहीं उतरने से आहत आदिवासी महिला राजेश्वरी मीना राजस्थान के दौसा जिला स्थित पैतृक गांव खुर्रा से पैदल ही सरकार के द्वार गुहार लगाने निकल पड़ी। पदयात्रा कर रही महिला के बारे में जब जानकारी मिली तो लोगों का हुजूम भी पैदल ही उसके साथ निकल पड़ा। महिला 150 किलोमीटर तय कर गत गुरुवार रात को जयपुर पहुंची। वहीं मुख्यमंत्री निवास जाकर मांगपत्र सौंपा।
महिला पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय नहर परियोजना घोषित करने व योजना में शामिल सभी 13 जिलों के वंचित बांध व गांवों को शामिल करने की मांग को लेकर रास्ते में मिलने वाले सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, विधायक व सांसदों को ज्ञापन देते हुए गांधीवादी तरीके से जल सत्याग्रह कर रही है।
राजेश्वरी बताती है कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान के 13 जिलों के लिए महत्वपूर्ण योजना है। योजना को लेकर राजनेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। जबकि जरूरत इस योजना को जल्द से जल्द शुरू करने की है। इसी बात से आहत होकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अकेले ही जयपुर के लिए कूच कर दिया।
राजेश्वरी बताती है कि शुरुआत में कुछ दूर चलने के बाद वह हताश होने लगी थीं। यात्रा निरस्त करने का मन में ख्याल भी आया था, लेकिन युवा किसानों ने उन्हें हौसला दिया। बुजुर्गों ने भी हिम्मत नहीं हारने की बात कहकर आशीर्वाद दिया। इसके बाद वे मंजिल की ओर निकल पड़ी। राजस्थान के लोगों को पीने व सिंचाई के लिए पानी दिलाने निकली महिला के साथ किसान जुड़ते चले गए।
राजेश्वरी ने बताया कि 17 जुलाई 2022 से गांव के माता जी मंदिर से पैदल यात्रा शुरू की थी। 150 किलोमीटर का सफर तय कर गत गुरुवार रात सीएम हाउस तक पहुंची। सीएम से मुलाकात नहीं हुई। हालांकि सीएम हाउस के प्रमुख अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर सीएम से मुलाकात का समय मांगा है। मीना बताती है, इतनी लंबीयात्रा में पैरों में छाले भी हुए। शारीरिक कष्ट भी हुआ, लेकिन आदिवासी बाहुल्य पूर्वी राजस्थान के लिए पानी लाने का उद्देश्य है। ऐसे में यह कष्ट कुछ भी नहीं।
13 जिलों को मिलेगा लाभ
ईआरसीपी में पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को शामिल किया गया है। इनमे कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, भरतपुर, करौली, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, जयपुर, अलवर, दौसा, अजमेर व टोंक जिले शामिल हैं। इन जिलों को इस योजना का सीधे तौर पर लाभ मिलेगा।
यह होगा फायदा
यह परियोजना राजस्थान के 23.67 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करेगी। इससे राज्य की 41.13 प्रतिशत जनसंख्या लाभान्वित होगी। योजना के तहत चंबल और उसकी सहायक नदी कुन्नू कुल, काली सिंध, पार्वती व मेज के अतिरिक्त पानी को बनास, मोरेल व बाणगंगा गम्भीर नदी में डाला जाएगा। दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में 80 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि में सिंचित सुधार होगा। 1268 किलोमीटर केनाल तंत्र विकसित किया जाएगा। इससे 1723 एमसीएम पेयजल के लिए। 286.4 एमसीएम पानी उद्योग के लिए तथा 1500.4 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा। डीएमआईसी को पानी उपलब्ध करवाया जा सकेगा। जिससे राज्य में निवेश बढ़ेगा। उद्योगों का विकास होगा। लोगों को रोजगार मिलेगा।
केन्द्र व राज्य सरकार एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
राजेश्वरी ने राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीना को ज्ञापन सौंप कर सहयोग मांगा था। मीना भी आदिवासी समाज से आते हैं। मंत्री ने कहा कि जाइए केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करिए। राजेश्वरी कहती हैं हमारी केंद्र व राज्य सरकार से एक ही मांग है। अब दोनों सरकारों के नेता एक दूसरे पर टाल रहे हैं। जब तक इआरसीपी राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं होती। हम सरकारों से लड़ते रहेंगे। परसादी पर महिला से दुर्व्यहार करने का भी आरोप है।
मौका भुनाने की फिराक में राजनैतिक पार्टियां
ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ अब धरातल पर भी जोर पकड़ने लगी है। किसान लम्बे समय से योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग कर रहे है। कांग्रेस-बीजेपी भी इस योजना के बहाने किसानों की हमदर्दी बटोरने का प्रयास कर रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार द्वारा ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करने की स्थिति में राजस्थान सरकार द्वारा योजना को पूर्ण करने का वादा कर चुके है। वहीं भाजपा योजना को अटकाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है। यह भी सच है कि ईआरसीपी आने वाले चुनाव में राजस्थान की राजनीति की दशा व दिशा तय करने वाली है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.