राजस्थान: पिता ने कहा नाबालिग बेटी का रेप और मर्डर हुआ, पुलिस बिना पड़ताल किए मान रही आत्महत्या

बलुआ और सदकड़ी के 200 से अधिक ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, आईजी से लेकर मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने प्रदर्शन करते ग्रामीण
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने प्रदर्शन करते ग्रामीण
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सलुम्बर- राजस्थान के सलुम्बर जिले के सेमारी तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम बलुआ और सदकड़ी के ग्रामीणों ने पुलिस थाना सराडा की कार्यवाही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लगभग 200 से अधिक ग्रामीणों ने एकत्रित होकर न्याय की गुहार लगाई, आरोप है कि पुलिस थाना सराडा एक गंभीर हत्या के मामले को आत्महत्या साबित करने का प्रयास कर रही है।

प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब बलुआ गाँव में रहने वाली 17 वर्ष की दीपा कुमारी मीणा (परिवर्तित नाम) की 31 जुलाई 2024 को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। दीपा की बहन ने सबसे पहले उसे खाट की रस्सी से लटका हुआ पाया और घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर प्रारंभिक जांच की, लेकिन परिवार का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या मानते हुए जांच को गुमराह कर दिया है।

दीपा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है और इससे पहले उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के ही पप्पू उर्फ कालू और महेंद्र डामोर इस घटना के पीछे हैं। पिता ने बताया कि पप्पू उर्फ कालू, जो एक आदतन अपराधी है, दीपा के साथ लंबे समय से छेड़छाड़ कर रहा था और घटना के दिन भी वह मौके पर मौजूद था।

पिता ने बताया कि जब वह बदहवास स्थिति में घटना स्थल पंहुचा था जहां पुलिस थाना सराडा के अधिकारी घटना स्थल पर आये जिनके द्वारा घटना स्थल की फोटोग्राफी, विडिओग्राफी और नक्शा मौक़ा रिपोर्ट कर दीपा के मृत शरीर से रस्सी अलग की और पोस्टमार्टम हेतु ले गये और उससे कोरे कागज़ पर हस्ताक्षर करवाए, उक्त घटना के बाद परिवारजन द्वारा पुलिस थाना सराडा को उक्त प्रकरण में अभियुक्तगण पप्पू उर्फ़ कालू और महेंद्र के द्वारा दुष्कर्म कर हत्या किये जाने के संदर्भ में जानकारी दी किन्तु पुलिस थाना सराडा द्वारा उक्त प्रकरण में एफआईआर दर्ज नही की जाकर आत्महत्या किये जाने सम्बंधित मर्ग दर्ज कर उक्त प्रकरण में ह्त्या को आत्महत्या साबित करने पर आमादा है.

बताया गया कि पुलिस द्वारा दोनों ही अभियुक्तगण पप्पू उर्फ़ कालू और महेंद्र को पूछताछ हेतु बुलाया गया और पप्पू को पुलिस कस्टडी में रखते हुए महेंद्र डामोर को छोड़ दिया गया. तत्पश्चात जब लोगो ने महेंद्र डामोर से पूछताछ कि तो महेंद्र ने फले (मौहल्ले) के सामने खुद का बचाव करते हुए बताया की पप्पू अहारी पिछले तीन साल से मृतका के साथ खोटा काम करने के लिए पीछे पडा है और जब वह घर में अकेली थी तब पप्पू उसी घर में घुसा था. पप्पू उर्फ़ कालू आदतन चरस गांजे का आदि बताया जाता है. मृतका के पिता ने कहा कि उसने और महेंद्र ने मिलकर नाबालिग के साथ जबरदस्ती की और बाद में बात खुल जाने के डर से उसे जान से मार डाला और खुद को बचाने की गरज से खाट की रस्सी का फंदा बना उसके गले में डाल लटका दिया ताकि हत्या आत्महत्या लगे.

पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सभी तथ्यों की अनदेखी की है और हत्या को आत्महत्या का रंग देने की कोशिश कर रही है। ग्रामीणों ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि जब तक उचित कार्यवाही नहीं की जाती, तब तक मृतका का अग्नि संस्कार नहीं किया जाएगा। शव को दफनाया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे फिर से वैज्ञानिक तरीकों से जांच के लिए निकाला जा सके।

ग्रामीणों ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की
ग्रामीणों ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की

मामले में पीड़ित परिवार की ओर से एक्टिविस्ट और अधिवक्ता नरेन्द्र जोशी ने बताया कि एक नाबालिग युवती के साथ हुई इस दुष्कर्मी हत्या को पुलिस थाना सराडा के अनुसंधान अधिकारी मात्र मर्ग दर्ज कर आत्महत्या साबित करने पर आमादा है I

उदयपुर संभाग के आदिवासी क्षेत्रो में इस तरह मार कर लटका दिया जाना आम बात है किन्तु पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नही किये जाने पर आरोपियों के हौसले बुलंद हो रहे है और इस तरह की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढती जा रही है, उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा आत्महत्या बताते हुए पोस्टमार्टम करवा दिया गया जबकि उक्त घटना के अनुरूप कोई विस्तृत पोस्टमार्टम नही किया गया न ही विधि विज्ञान प्रयोगशाला एवं तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता ली जा रही है.

मृतका को न्याय मिल सके जिस कारण परिजनों एवं ग्रामवासियों द्वारा मृतका का अग्नि संस्कार नही किया गया है और उसे दफनाया गया है.

जोशी ने कहा मृतका के शरीर का साईँटिफिक तरीके से मेडिकल पोस्टमार्टम एवं सम्पूर्ण विस्तृत अनुसंधान किया जाना जरूरी है जो एक दुष्कर्म कर की जाने वाली हत्या की छानबीन में आवश्यक है. ग्रामीणों ने बताया मृतका महज 17 वर्ष की थी जिस पर कोई आर्थिक, सामाजिक एवं घरेलु जिम्मेदारी नही थी,और न ही कोई मानसिक अवसाद था कि उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े चूँकि पुलिस थाना सराडा द्वारा उक्त प्रकरण में एफआईआर दर्ज नही की जा रही है और उक्त घटना से सम्पूर्ण गाँव में रोष, भय एवं असुरक्षा का माहौल व्याप्त है जिस कारण ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया I

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