राजस्थान: मां के कातिलों को सज़ा दिलवाने की ज़िद, अकेले सिस्टम से जूझ रही है एक आदिवासी बेटी

9 मई 2021 को गंगा देवी की हुई थी संदिग्ध मौत, अभी तक नहीं मिला न्याय
पीड़िता
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जयपुर। राजस्थान के पाली जिले की एक आदिवासी बेटी अपनी मां को न्याय दिलाने के लिए बीते दो साल से अकेले ही सिस्टम से लड़ रही है। 9 मई 2021 को सीता देवी भील की मां गंगादेवी की सोजत रोड पुलिस थाना क्षेत्र के सिनल गांव में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी। 

गंगादेवी की मौत के 15 महीने 10 दिन बाद, 19 अगस्त 2022 को बेटी सीतादेवी भील की रिपोर्ट पर सोजत रोड थाना पुलिस ने लगभग 15 लोगों को नामजद करते हुए हत्या के आरोप में प्राथमिकी भी दर्ज की। 

जांच में पुलिस ने आरोपों को झूठा मानते हुए 23 मार्च 2023 को एफआर लगा दी। पुलिस जांच से असंतुष्ट पीड़ित सीता देवी भील ने पुनः जांच की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक फाइल जांच के नाम पर धूल फांक रही है। आरोपी खुले में घूम रहे हैं।  

गंगा देवी का 3 जुलाई 2021 को जारी मृत्यु प्रमाण पत्र
गंगा देवी का 3 जुलाई 2021 को जारी मृत्यु प्रमाण पत्र

आपको बता दें कि पाली जिले के सोजत रोड थाना इलाके के सिनल गांव में गंगादेवी भील की 9 मई 2021 को संदिग्ध मौत हुई है। यह बात स्वयं को गंगादेवी की संतान बताने वाली सीतादेवी भील ने एफआईआर में कही है। 

अपनी मां की मौत को हत्या बताते हुए बेटी सीता ने पुलिस थाना सोजत रोड में लिखित रिपोर्ट देकर अपने चाचा वस्तराम व उसके परिवार के लोगों सहित वस्तराम के नातेदार व परिचितों पर भी अपनी मां की हत्या के षड़यन्त्र में शामिल होने का आरोप लगाते हुए नामजद एफआईआर दर्ज करवाई है। 

सीता का दावा है कि उसकी मां गंगादेवी की हत्या जमीन जायदाद हड़पने की गरज से की गई है। एक परिवाद की जांच में भी पुलिस ने माना है कि मृतक गंगादेवी के पति भंवरलाल के नाम गांव में 10 बीघा जमीन व मकान है। 

पति-पत्नी की मौत के बाद अब वस्ताराम जो खुद को भंवरलाल का भाई बताता है तथा सीता देवी भील जो स्वंय को भंवरलाल व गंगादेवी की पुत्री बता रही है, गीतादेवी की सम्पति पर हक जता रहे हैं। 

सीता कहती है कि मां की हत्या के काफी सबूत उसके पास है। पुलिस को भी वह सबूत दे चुकी है। खास बात यह है की मां की हत्या के साक्ष्य देने के बाद भी सीता देवी भील की पीड़ा को सरकारी सिस्टम सुनने को तैयार नहीं है। 

यह है मामला 

मां गंगादेवी के हत्या के 15 महीने बाद 19 अगस्त 2022 को पुत्री सीता देवी पत्नी ओमप्रकाश भील निवासी मझल, थाना समदड़ी जिला बाड़मेर की रिपोर्ट के आधार पर सोजत रोड पुलिस ने पीड़िता के चाचा वस्ताराम पुत्र पेमा, तेजप्रकाश पुत्र वस्ताराम, प्रेमदेवी पत्नी तेजप्रकाश, सुनिता पुत्री वस्ताराम भील निवासी सिनला तहसील मारवाड जंक्शन जिला पाली, दल्लाराम भील (तेजप्रकाश का ससुर), दिनेश पुत्र बल्लाराम ( तेज प्रकाश का साला) निवासी रामपुरा तहसील समदड़ी, जिला बाड़मेर, प्रवीण कुमार (वस्ताराम का जंवाई) निवासी गुडा, जिला जालोर, भोपाल सिंह पुत्र शैतान सिंह राजपूत, गोविन्द सिंह पुत्र धनसिंह राजपूत, हरिराम पुत्र गोमाराम मेघवाल,  प्रतापराम पुत्र दयाराम मेघवाल, मादाराम पुत्र रामाराम भील, लुम्बाराम पुत्र शिवदास बावरी,  मिश्रीलाल पुत्र वागाराम नायक निवासी मारवाड़ जंक्शन जिला पाली के खिलाफ हत्या सहित चोरी व धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया था। 

पुलिस के अनुसार पीड़िता ने बताया कि वह भंवर लाल और गंगादेवी की इकलौती औलाद है। सीता की शादी बाड़मेर जिले के मझल गांव में ओमप्रकाश के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही अपनी माता की सार संभाल करने आती रहती थी। सीता  के पिता भंवरलाल भील की 2012 में मृत्यु हो गई थी। पिता की मौत के बाद से पीड़िता की मां के हिस्से की संपति हड़पने के लिए आरोपी चाचा षड़यन्त्र रच  उसकी मां को परेशान करने लगे थे। 

पीड़िता ने बताया कि हत्या के आरोपी वस्तराम व उसके बेटे ने जालसाजी कर मां के बैंक खाते से एक लाख पचास हजार रुपये निकाल लिए। इसकी शिकायत पुलिस में करने पर आरोपियों ने थोडा-थोडा कर रुपये वापस लौटाया था। 

सीता देवी भील ने रिपोर्ट में बताया कि आरोपियों ने मां गंगादेवी को भंवरलाल की नाजायज पत्नी बताने की कोशिश भी की थी ताकि उसकी सम्पति को आसानी से हड़प सके। 

बेटी के आने से पहले कर दिया अंतिम संस्कार?

सीता देवी ने पुलिस को बताया कि 9 मई को उसकी बुआ ने फोन कर मां की मौत की सूचना दी थी। तब सीता अपने पति के साथ कोयम्बटूर में थी। सूचना मिलते ही पीड़िता गांव के लिए रवाना हो गई।

10 मई को पीड़िता के पति ने गांव के भोपाल सिंह राजपूत को फोन कर पूछा तो उन्होंने बताया कि डोकरी (गंगादेवी) तो सुबह 5 बजे ही मर गई। इस पर सीता देवी के पति ने भोपाल सिंह से 2 बजे तक बेटी के पहुंचने की बात कहकर शव को रोकने का आग्रह करते हुए कहा कि बेटी अपनी मां के अंतिम दर्शन कर लेगी। इस पर उन्होंने पीड़िता के चाचा वस्तराम से बात करने को कहा.

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इस पर आरोपी वस्तारान को फोन कर शव रोकने की बात कही तो, वस्ताराम ने पहले तो कहा कि इतनी दूर कोयम्बटूर से सीता कब पहुंचेगी। दो बजे तक ट्रेन से पहुंचने की बात कहने पर आरोपी ने शव सड़ने और बदबू मारने की बात कहकर अंतिम संस्कार में देरी से मना कर दिया।

वस्ताराम की इस बात पर सीता देवी भील के पति को सन्देह हुआ। उन्होंने तत्समय पुलिस थाना सोजत रोड के एक पुलिस कर्मी को फोन कर शव का अंतिम संस्कार रुकवाने की बात कही। पुलिस कर्मी ने खुद को बाहर होने की बात कहकर थाने के लैंड लाइन नम्बर पर बात करने को कहा। थाने पर फोन किया तो एसएचओ ने थाने आकर रिपोर्ट देने की बात कही। एसएचओ ने कहा रिपोर्ट देने के बाद ही कार्रवाई होगी। 

दफनाने की परंपरा है, लेकिन मां के शव को जला दिया 

पीड़िता मां के घर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था। तब तक आरोपी शव को श्मशान घाट ले जा चुके थे। मकान के ताला लगा था। बरामदा खुला था। आरोपियों ने पीड़िता बेटी को मां के अंतिम दर्शन करवाये बिना शमशान ले जा कर जला दिया था। जबकि पीड़िता के परिवार में शव को दफनाने को परम्परा है। आरोप है कि दफनाने की बजाय शव को जलाने के पीछे आरोपियों की मंशा सबूत नष्ट करने की रही है।

इस घटना के बाद पीड़िता 11 मई, 13 मई और 17 मई को सोजत रोड पुलिस थाने मुकदमा दर्ज करवाने गई, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कि। पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो, सीता देवी भील ने19 मई को  मुख्यमंत्री हेल्पलाईन नम्बर पर फरियाद की। तब जाकर 2 पुलिस वाले घर आए। पुलिसकर्मियों को पूरा घटनाक्रम बताया। इसके बाद पुलिस कर्मी एक कागज पर हस्ताक्षर करवा कर ले गए। और पुलिसकर्मियों ने वस्तराम द्वारा पीड़िता के मकान पर लगाए ताले को तोड़ ने को कहा। 

ताला तोड़ कर पीड़िता अंदर गई तो सारा कीमती  सामान गायब था। 5-7 किलो चांदी व करीब 6-7 तोला सोने के आभूषण पेटी में नहीं थे।  पेटी खुली थी। तथा रोकड रुपये व अन्य असल दस्तावेज व मकान से घरेलू सामान भी गायब थे। इसके बाद पीड़िता अपने पति के साथ 23 मई को थाने गई। पूर्व में दी गई लिखित रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई की कॉपी मांगी, लेकिन पुलिस कर्मियों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट देने से मना कर दिया।

पिता की मौत के बाद से मां को कर रहे थे प्रताड़ित

पीड़िता सीता देवी भील ने बताया कि पिता की मौत के बाद से आरोपी चाचा वस्ताराम व इसका परिवार मां की जमीन जायदाद के लिए उसको परेशान कर रहे थे। 

आरोप है कि प्रर्थिया ने मौत से कुछ दिन पहले ही अपनी मां से बात कर 10 मई तक गांव आने की बात कही थी। इसकी भनक लगते ही वस्ताराम व उसके परिवार वालों ने 4 मई को प्रार्थी की मां के फोन से सिम निकाल कर रख दी, ताकि बेटी से  फोन पर बात नहीं कर सके। 

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सीता देवी कहती है कि आरोपियों ने  07 मई 2021 को एक फर्जी वसीयत तैयार कर ली। घटना से कुछ दिन पहले बैंक से पैसे भी निकलवाये और पीड़िता सीतादेवी व पूजा की एलआईसी के पैसे भी इन्होंने बिना अनुमति के निकाल लिए।

उसके बाद आरोपियों ने ग्राम पंचायत से गंगादेवी की हत्या से पहले ही एक मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। उसके बाद पीड़िता की मा गंगादेवी की हत्या कर दी। हत्या के तीसरे दिन गांव में हाका ( सूचना) करदी कि डोकरी मर गई। 

पीड़िता ने आरोप लगाया कि गांव के कुछ लोगों ने उसकी मां के हाथ पैरो पर रस्सी बांधने के निशान देखे हैं। शव के बदबू मारने को बात भी कही है। आरोप यह भी है कि आरोपियों ने फर्जी वसीयत कराने के बाद डोकरी के हाथ पैर बांध कर कमरे में बंद कर दिया। वह भूख प्यास से तड़प कर मर गई। या टूपा देकर (गला घोंट) कर मार दिया। तथा आनन-फानन में कूटा (ताला) लगा कर चले गए। बदबू फैलने लगी तो आनन-फानन में शव को श्मशान घाट ले जा कर जला दिया। ताकि कोई राज न खुले और प्रार्थिनी के पहुंचने से पहले ही शव को जला कर सबूत नष्ट कर दिए।

फर्जी है गोदनामे की वसीयत

सीता देवी भील ने कहा वसीयत भी फर्जी व कूट रचित है। जिसमें गंगादेवी के दस्तखत / अंगूठ निशान भी फर्जी है। पीड़िता सीता देवी ने कहा कि 18 अक्टूबर 2016 को हक़ तर्क ( रिलीज डीड) लिख कर उसी दिन मां ने उसके ( पीड़िता) के पक्ष में रजिस्टर्ड उप पंजीयक मारवाड़ जंक्शन से पंजीबद्ध करवाई थी। ऐसे में पूर्व में बेटी के पक्ष में रिलीज डीड लिखी होने के बाद दोबारा वसीयत लिखने का सवाल ही नहीं होता। बेटी कहती है कि आरोपियों ने सुनियोजित षड़यन्त्र के तहत प्रार्थिया की माता को मार दिया। मारने के बाद भी तेजी से पैसा प्राप्त करने के लिए पीड़ित बेटी पर मुकदमे बाजी की। घर का सारा समान, कागजात चुरा लिया। मकान पर ताला लगा दिया तथा प्रार्थिया व प्रार्थिया के पति को भी मारपीट व जान से मारने का भय दिख कर वहां से भगा दिया। प्रार्थिया की रिपोर्ट दर्ज नहीं होने दी। 

अलग-अलग तारीख में दो मृत्यु प्रमाण पत्र?

सीता देवी ने कहा कि उसकी मां की वसीयत के आधार पर 8 दिसम्बर 2014 को ही नामांतरण उसके नाम खोल दिया गया था। गंगादेवी की मृत्यु के दिन को लेकर भी सन्देह है। एक मृत्यु प्रमाण पत्र में गंगादेवी की मौत 1 मई को होना बताया है। जबकि दूसरे मृत्यु प्रमाण पत्र मौत का दिन 10 मई है। सीतादेवी पुलिस को सौंपी रिपोर्ट में 9 मई को ही उसकी मां गंगादेवी की मौत होने का दावा कर चुकी है। 

गंगादेवी हत्या प्रकरण की जांच कर रहे सोजत सिटी वृत्ताधिकारी मृत्यंजय शर्मा से द मूकनायक ने बात कर सत्यता जानने का प्रयास किया। इस दौरान जांच अधिकारी ने अनुसन्धान से सम्बंधित किसी भी तरह की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया। 

हालांकि सूत्र बताते हैं कि अभी तक कि जांच में गंगादेवी की हत्या होने सम्बन्धी ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। जांच का परिणाम क्या होगा यह तो जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा।

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