MP: आदिवासी विधायक ने आउटसोर्स भर्तियों में आरक्षण की उठाई मांग, जानिए क्या है आरक्षण का प्रावधान?

भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 का जिक्र करते हुए अनुसूची पांच में शामिल आदिवासी बहुल क्षेत्र में होरही आउटसोर्स भर्तियों में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता और आरक्षण देने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री समेत केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र।
विधायक कमलेश्वर डोडियार
विधायक कमलेश्वर डोडियार
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भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल इलाकों में आउटसोर्स भर्तियों में आरक्षण दिए जाने की मांग की जा रही है। भारत आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर यह मांग उठाई है। विधायक का यह भी आरोप है कि आउटसोर्सिंग कंपनियां अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को मौका न देकर गैर आदिवासियों की भर्ती कर रहीं हैं।

उन्होंने अपने पत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 का जिक्र करते हुए अनुसूची 5 में शामिल आदिवासी बहुल क्षेत्र में हो रही आउटसोर्सिंग भर्तियों में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता और आरक्षण देने की मांग की है।

विधायक डोडियार ने अपने पत्र में मुख्य मंत्री को लिखा, "मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न विभागों जैसे जल निगम (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी), विद्युत, कृषि विभाग, कृषि उपज मंडी, उद्यानिकी, शैक्षणिक संस्थाओं आदि में विभागीय योजनाओं एवं विभिन्न गतिविधिओं को संचालित करने के लिये मेरे विधानसभा क्षेत्र में आउटसोर्स के माध्यम से बाहरी लोगों को भर्ती किया जा रहा है, जबकि हमारे क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट युवा बेरोजगार होकर हताश निराश हैं। जो पढ़े लिखे शिक्षित युवाओं के साथ घोर अन्याय हैं।"

"महोदय आपसे अनुरोध हैं कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 की मूल भावना के अनुरूप शासन के सभी विभागों में क्षेत्र के जनजाति युवाओं को आउटसोर्स के माध्यम से की जाने वाली भर्ती में अवसर प्रदान करने का कष्ट करें," उन्होंने पत्र में लिखा।

विधायक कमलेश्वर डोडियार ने सीएम की लिखी चिट्ठी
विधायक कमलेश्वर डोडियार ने सीएम की लिखी चिट्ठी

विधायक ने उक्त मांग की चिट्ठी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित जनजाति कार्य विभाग के केंद्रीय मंत्री को भी लिखी है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधायक कमलेश्वर डोडियार ने बताया कि, पूरे मध्य प्रदेश की अभी 89 अनुसूचित ब्लॉक में आउटसोर्सिंग कंपनियां अनुच्छेद 244 का उलंघन कर रही है। इस अनुच्छेद में आदिवासियों को 5वीं अनुसूची के तहत अनुसूचित घोषित किए गए क्षेत्रों में आदिवासियों को प्राथमिकता होनी चाहिए, यहां शासन प्रशासन में भी आदिवासी होना चाहिए। लेकिन यहां कंपनियां बाहरी लोगों को नौकरी पर रख रही है।

डोडियार ने आगे कहा, "मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हमारे क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग कंपनियों की भर्तियों में प्राथमिकता और आरक्षण की मांग की है। अनुसूचित क्षेत्र का मतलब उस जगह आदिवासियों का राज होता है। यह हमारा अधिकार है जिससे हमें वंचित रखा जा रहा है।"

क्या है अनुच्छेद 244 और अनुसूचित क्षेत्र?

भारतीय संविधान की धारा 244 (1) की 5वीं अनुसूची के पैराग्राफ 6(1) के अनुसार, ‘अनुसूचित क्षेत्र’ अभिव्यक्ति का अर्थ ऐसे क्षेत्रों से है जिसे राष्ट्रपति अपने आदेश से अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।

संविधान की अनुसूची 5 के पैराग्राफ 6/(2) के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी समय राज्य के राज्यपाल की सलाह के बाद एक राज्य में किसी अनुसूचित क्षेत्र में वृद्धि का आदेश दे सकते हैं, किसी राज्य और राज्यों के संबंध में इस पैराग्राफ के अंतर्गत जारी आदेश और आदेशों को राज्य के राज्यपाल की सलाह से निरस्त कर सकते हैं और अनुसूचित क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिये नया आदेश दे सकते हैं।

अनुसूचित क्षेत्र को पहली बार 1950 में अधिसूचित किया गया था। बाद में 1981 में राजस्थान राज्य के लिये अनुसूचित क्षेत्रों को निर्दिष्ट करते हुए संविधान आदेश जारी किये गए।

नए ज़िलों के पुर्नगठन और सृजन के कारण तथा 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों की आबादी में परिवर्तन के कारण राजस्थान सरकार ने राजस्थान राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार का अनुरोध किया है।

अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने मानदंड क्या है?

  • जनजातीय आबादी की प्रधानता।

  • क्षेत्र की सघनता और उचित आकार।

  • एक व्यवहार्य प्रशासनिक इकाई जैसे-ज़िला, ब्लॉक या तालुका।

  • पड़ोसी क्षेत्रों की तुलना में क्षेत्र का आर्थिक पिछड़ापन।

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