MP आदिवासी जमीन घोटाला: नीमच और रतलाम के कलेक्टर सहित, अन्य अधिकारियों पर अवैध विक्रय अनुज्ञा देने का आरोप!

मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 181 के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को दी गई शासकीय पट्टे की जमीनों को बेचने के लिए बड़े पैमाने पर अनुज्ञाएं जारी कीं। नीमच में कलेक्टर रहते हुए, अजय सिंह गंगवार ने 24 से अधिक अनुज्ञाएं दीं, इसके साथ ही धारा 165 के तहत 100 से अधिक जमीनों की बिक्री की अनुमति देने का भी आरोप है।
सांकेतिक फ़ोटो
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भोपाल। मध्य प्रदेश के नीमच और रतलाम जिलों में अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों से जुड़े भूमि घोटाले ने राज्यभर में खलबली मचा दी है। मामले की जड़ में उन शासकीय पट्टे की जमीनों का अवैध रूप से बिक्री करने का आरोप है, जिन्हें वंचित वर्गों के उत्थान के लिए आवंटित किया गया था। नीमच के पूर्व कलेक्टर अजय सिंह गंगवार और रतलाम के पूर्व एडीएम कैलाश बूंदेला पर सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने आरोप लगाया है कि, इन अफसरों ने आदिवासियों की जमीनों को गलत तरीके से बेचने की अनुमति दी है।

यह आरोप न केवल संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि उन गरीब और हाशिए पर खड़े समुदायों के अधिकारों का खुला हनन है, जिन्हें इन जमीनों का मालिकाना हक देकर मुख्यधारा में लाने की कोशिश की गई थी।

इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 181 के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को दी गई शासकीय पट्टे की जमीनों को बेचने के लिए बड़े पैमाने पर अनुज्ञाएं जारी कीं। नीमच में कलेक्टर रहते हुए, अजय सिंह गंगवार ने 24 से अधिक अनुज्ञाएं दीं, इसके साथ ही धारा 165 के तहत 100 से अधिक जमीनों की बिक्री की अनुमति देने का भी आरोप है। रतलाम में एडीएम कैलाश बुंदेला के खिलाफ भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं।

विधायक डोडियार ने लोकायुक्त से की शिकायत।
विधायक डोडियार ने लोकायुक्त से की शिकायत।

इस मामले को लेकर सैलाना विधानसभा के आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्य सचिव एवं लोकायुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। पत्र में उन्होंने इन अधिकारियों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने की बात कही है। उनका कहना है कि इन जमीनों की बिक्री से अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। यह घोटाला गरीबों के हितों पर गहरा आघात है और इसे रोकना अत्यंत आवश्यक है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए, विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा, "मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 165 (6) अनुसूचित जाति और जनजाति के खातेदारों की भूमि के संरक्षण के लिए बनाई गई थी। यह सुनिश्चित किया गया था कि उनकी जमीनें बेची न जाएं, ताकि उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकार सुरक्षित रहें। इसके बावजूद, धारा 165 (6) के प्रावधानों की अनदेखी कर जमीनों की बिक्री की अनुमति दी गई, जो स्पष्ट रूप से गंभीर कानूनी उल्लंघन है। मैंने पत्र लिखकर मुख्य सचिव और लोकायुक्त से इस संबंध में जांच कर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।"

विधायक डोडियार ने बताया, इससे पहले उज्जैन और रतलाम जिलों में भी ऐसी ही जमीन बिक्री की अनुमति दी गई थी, जिसे तत्कालीन संभागायुक्त एम बी ओझा ने निरस्त किया था। इसी प्रकार की घटनाओं के उजागर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि जमीन बिक्री के मामलों में अनियमितताएं गहरी हैं, और यह गरीब लोगों को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित करने का एक संगठित प्रयास हो सकता है।

भू-माफियाओं की संलिप्तता की आशंका!

डोडियार इसे आदिवासी जमीन घोटाला का नाम दे रहे हैं। इस घोटाले में भूमि माफिया की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। आरोप है कि भू माफिया अनुसूचित जाति और जनजाति के गरीब लोगों की जमीनें सस्ते दामों में खरीद कर महंगे दामों पर पूंजीपतियों को बेच रहे हैं। विधायक डोडियार का आरोप है, यह प्रक्रिया गरीबों को कर्ज में धकेलने और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर बनाने का जरिया बन गई है। उन्होंने कहा, "इस घोटाले के कारण कई परिवारों की आजीविका पर प्रतिकूल असर पड़ा है और उन्हें कर्ज में डूबने पर मजबूर होना पड़ा है।"

विधायक कमलेश्वर डोडियार ने इन सभी आरोपों की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त से पूरी जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जिन भी कलेक्टरों और अधिकारियों ने अवैध रूप से भूमि बेचने की अनुमति दी है, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, उन अनुमतियों को तत्काल निरस्त करने की आवश्यकता है, ताकि वंचितों के हितों की रक्षा की जा सके।

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