MP: लॉकअप में आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत, पुलिस पर हत्या का आरोप!

मृतक की पत्नी रानू बाई ने पुलिस के दावे को खारिज करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि धर्मेंद्र को सिविल ड्रेस में आए पुलिसकर्मी घर से उठा कर ले गए थे, और तीन दिनों तक उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया। रानू बाई का आरोप है कि पुलिस ने उनके पति को मारकर फांसी पर लटका दिया।
MP: लॉकअप में आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत, पुलिस पर हत्या का आरोप!
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भोपाल। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना थाने के लॉकअप में बंद 32 वर्षीय आदिवासी युवक धर्मेंद्र पिता गुमान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस का दावा है कि धर्मेंद्र ने कंबल से फंदा बनाकर आत्महत्या की, जबकि मृतक की पत्नी और आदिवासी संगठनों ने इसे पुलिस की हत्या करार दिया है। इस घटना ने प्रदेश में एक बार फिर आदिवासी अत्याचार और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस की थ्योरी, परिवार का आरोप

पंधाना पुलिस के अनुसार, धर्मेंद्र को बाइक चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का दावा है कि पूछताछ में धर्मेंद्र ने तीन बाइक चोरी की बात कबूली, जिसके बाद उसे लॉकअप में बंद कर दिया गया। देर रात उसने कंबल से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। पुलिसकर्मी उसे तुरंत जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

दूसरी ओर, मृतक की पत्नी रानू बाई ने पुलिस के दावे को खारिज करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि धर्मेंद्र को सिविल ड्रेस में आए पुलिसकर्मी घर से उठा कर ले गए थे, और तीन दिनों तक उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया। रानू बाई का आरोप है कि पुलिस ने उनके पति को मारकर फांसी पर लटका दिया। उन्होंने इसे पुलिस की साजिश बताया और न्याय की मांग की है।

नेता प्रतिपक्ष ने की कार्रवाई की मांग

घटना के बाद प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, "प्रदेश में आदिवासी अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। खंडवा के पंधाना थाने में आदिवासी युवक की मौत बेहद चिंताजनक है। कांग्रेस पार्टी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को सहन नहीं करेगी और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करती है।"

आदिवासी संगठनों का विरोध

धर्मेंद्र की मौत के बाद खंडवा-खरगोन के आदिवासी संगठन सक्रिय हो गए हैं। जय टंट्या भील आदिवासी युवा संगठन ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया और पुलिस पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की। संगठन ने प्रदेश सरकार से मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है। संगठन के नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

घटना के बाद बढ़ते जनाक्रोश और आदिवासी संगठनों के दबाव को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने पंधाना थाने के चार पुलिसकर्मियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया है, जिनमें थानेदार भी शामिल हैं। इसके अलावा, डीएसपी और एएसपी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल को जिला अस्पताल और थाने में तैनात किया गया है। मौके पर उपस्थित एएसपी राजेश रघुवंशी ने बताया कि घटना की निष्पक्ष जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

धर्मेंद्र का पोस्टमार्टम मजिस्ट्रेट की निगरानी में डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा किया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा। पुलिस का कहना है कि अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई संदिग्ध तथ्य सामने आते हैं, तो उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

आदिवासी समाज का विरोध प्रदर्शन

घटना के बाद आदिवासी समाज के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। बड़ी संख्या में ग्रामीण और आदिवासी समाज के लोग जिला अस्पताल और थाने के बाहर इकट्ठा हो गए। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की। समाज के वरिष्ठ नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर समय रहते न्याय नहीं मिला, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

यह घटना प्रदेश में आदिवासी अत्याचार के बढ़ते मामलों और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस मामले में पुलिस की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं। राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस मामले में त्वरित और सख्त कदम उठाए ताकि आदिवासी समाज में बढ़ते असंतोष को शांत किया जा सके। इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद नाजुक है, और इसके सुधार की सख्त जरूरत है।

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