आदिवासियों के दमन व अत्याचार के मामलों में शीर्ष पर एमपी-NCRB रिपोर्ट

आदिवासियों के दमन व अत्याचार के मामलों में शीर्ष पर एमपी-NCRB रिपोर्ट
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भोपाल। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने ताजा रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के मामले लगातार बढ़े हैं, इसके चलते प्रदेश ऐसी घटनाओं में देश में शीर्ष पर पहुंच गया है। इसके साथ ही बच्चे और महिलाओं पर भी आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं।

एससी/एसटी एक्ट में 2627 मामले हुए दर्ज

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक प्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी पिछली बार की तरह बढ़े हैं। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था को उजागर कर रहा है। इस मामले में द मूकनायक से बात करते हुए आदिवासी एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय कहते कि घटनाएं वर्षों से आदिवासियों पर होती चली आ रही हैं। अब जागरूकता के कारण इनकी शिकायत की जाती है। डॉ. राय ने बताया कि आदिवासियों के खिलाफ घटी घटनाओं पर कार्यवाही के लिए जयस संगठन आगे आकर पुलिस में मामले दर्ज करवाता है। घटनाएं पहले भी हो रही थीं और आज भी हो रही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब मामले दर्ज हो रहे हैं।

रिपोर्ट में मध्यप्रदेश की स्थिति-

एनसीआरबी की वर्ष 2021 रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में सबसे अधिक महिला, बच्चे अपराध के शिकार हो रहे हैं। 8 बच्चियों सहित रोज 17 महिलाओं से रेप की घटनाएं हो रही हैं। चाइल्ड क्राइम में भी एमपी पहले स्थान पर है। हर तीन घंटे में एक मासूम के साथ रेप हो रहा है।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले एमपी में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी प्रदेश पहले स्थान पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे।

आदिवासी नेत्री मोनिका बट्टी ने कहा, "गृह मंत्री आदिवासी होता तो पीड़ा समझता"

आदिवासियों के खिलाफ प्रदेश में बढ़ी घटनाओं को लेकर द मूकनायक ने अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और आदिवासी नेत्री मोनिका शाह बट्टी से बातचीत की। मोनिका के मुताबिक प्रदेश की सरकार आदिवासियों के प्रति असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की जगह कोई आदिवासी दलित होता तो शायद आदिवासियों की पीड़ा समझता।

इस पैटर्न में घट रही घटनाएं

लिंचिंग-मध्यप्रदेश के सिवनी सिमरिया में 2 मई 2022 की रात को बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने गौ मास की तस्करी की शंका में तीन आदिवासियों को पीटा था, जिसमें 2 की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था।

महिला हिंसा- इसी साल प्रदेश के गुना जिले में आदिवासी महिला को जिंदा जलाने का मामला सामने आया था। महिला खेत में थी। आरोपियों ने कथित तौर पर डीजल डालकर उसे आग लगा दी। इससे वह 80 प्रतिशत तक झुलस गई थी। महिला बचाने की गुहार लगाती रही। आरोपी उसका वीडियो बनाते रहे। महिला को गंभीर हालत में जिला अस्पताल ले जाया गया था।

हत्या-मध्य प्रदेश के मंडला जिले में मई 2022 में ही एक आदिवासी परिवार के तीन सदस्यों की गला रेंतकर हत्या कर दी गई थी। पति-पत्नी और उनकी बेटी की नृशंस हत्या की गई थी। मोहगांव थाने के पातदेरी में एक आदिवासी परिवार के सदस्य नर्मद सिंह, उसकी पत्नी सुकरती और बेटी महिमा छत पर सो रहे थे। तीनों की गला रेत कर हत्या कर दी गई। वहीं आरोपी महिला का सिर काट कर ले गए थे।

बाल अपराधः- मध्य प्रदेश में फरवरी 2021 में उमरिया जिले के एक गांव में नाबालिग आदिवासी को किडनैप कर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया था। यहां 28 वर्षीय एक व्यक्ति ने 10 वर्षीय आदिवासी बालिका का अपहरण किया और गांव के पास स्थित एक स्कूल में लेकर गया। उसने स्कूल में ही उसके साथ बलात्कार किया था।

सम्पत्ति विवादः- मध्यप्रदेश के देवास के नेमावर में आदिवासी परिवार के पांच व्यक्तियों की हत्या करके खेत में गाड़ दिया गया था। 29 जून 2021 को खेत की खुदाई के बाद एक परिवार के पांच लोगों के शव मिले थे। शव 1 महिला, 3 युवती और 1 युवक का था। 13 मई 2021 से सभी लापता हुए थे। जांच में सम्पत्ति विवाद सामने आया था।

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