भोपाल। संघर्षों में पली-बढ़ी गोंड चित्रकार सुनैना टेकाम के चित्रों की प्रदर्शनी इस बार शलाका जनजातीय चित्र प्रदर्शनी, जनजातीय संग्रहालय में लगाई गई है। द मूकनायक से बातचीत में सुनैना ने कहा, "मेरा जन्म डिंडोरी में हुआ, हम पांच बहनें और एक भाई हैं। परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी, हम 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे। गाँव के पास उस समय कोई स्कूल नहीं था। मैंने बड़े प्रतिकूल परिस्थितियों ने 12वी तक पढ़ाई की। आठ साल पहले मेरी शादी सचिन टेकाम से हुई वह एक चित्रकार है। शुरुआती दिनों में उनका चित्रकारी में सहयोग करती थी, बाद में पति के मार्गदर्शन में ही मैंने गोंड चित्रकला सीख ली।"
मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह 'लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा' में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में गोण्ड समुदाय की चित्रकार सुनैना टेकाम के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 52वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।
गोण्ड जनजाति की युवा चित्रकार सुनैना टेकाम का जन्म मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल डिण्डौरी जिले के तीतराही ग्राम में हुआ। जंगल-पहाड़ों से घिरे वातावरण और प्रकृति के सान्निध्य में बचपन गुजरा। खेती-किसानी वाले एक भरे-पूरे परिवार में सुनैना का लालन-पालन खूब लाड़-प्यार से हुआ, जिसमें पाँच बहनों और एक भाई के अलावा अन्य बड़े-बूढ़े भी थे। तमाम विपरीत हालात में भी उन्होंने बारहवीं तक की औपचारिक शिक्षा हासिल की है, क्योंकि गाँव में मात्र प्राथमिक स्तर तक का ही स्कूल था और आगे की पढ़ाई के लिए मीलों पैदल चलकर स्कूल जाना होता था।
गोण्ड चित्रकार सुनैना का विवाह उसी क्षेत्र के युवा गोंड चित्रकार सचिन टेकाम से लगभग आठ वर्ष पूर्व हुआ, जो कि गोंड कला के मूर्धन्य चित्रकार जनगढ़सिंह श्याम के परिवार से आते हैं। विवाह के पश्चात ही सुनैना ने अपने पति के चित्रकर्म में सहयोग करने लगीं। धीरे-धीरे पति की प्रेरणा और प्रोत्साहन से वह पिछले कुछ समय से स्वतंत्र चित्रकला कर रही हैं।
वर्तमान में सुनैना भोपाल में ही परिवार के साथ निवासरत हैं। इनकी दो बेटियाँ हैं, और वह उन्हें भी भविष्य में अपनी पारम्परिक चित्रकला की विरासत सौंपने की इच्छा रखती हैं। द मूकनायक से बातचीत में उन्होंने बताया कि ससुराल में सभी महिलाएं चित्रकारी करती हैं।
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