भोपाल। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में रेत माफियाओं के आतंक का एक और मामला सामने आया है, जिसमें एक आदिवासी किसान की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत हो गई। यह घटना बरका चौकी क्षेत्र के गन्नई गांव की है, जहां 46 वर्षीय इंद्रपाल अगरिया ने अपनी जमीन पर हो रहे अवैध रेत के परिवहन को रोकने की कोशिश की थी। इस विरोध के दौरान ट्रैक्टर चालक ने उन पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद से आदिवासी समुदाय में आक्रोश है।
मृतक के बड़े भाई सुरेश अगरिया ने बताया कि उनके गांव में लंबे समय से अवैध रेत का परिवहन हो रहा था, जिससे उनकी धान की फसल को नुकसान पहुंच रहा था। जब इंद्रपाल ने इसका विरोध किया, तो लाले वैश्य, जो कि बीजेपी युवा मोर्चा का पूर्व उपाध्यक्ष है, उसने उनके छोटे भाई पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। सुरेश का कहना है कि उनके भाई ने सिर्फ अपने खेतों की रक्षा करने की कोशिश की थी, लेकिन रेत माफियाओं की ताकत के आगे उनकी जान चली गई।
घटना के बाद पुलिस ने आरोपी लाले वैश्य के ट्रैक्टर को जब्त कर लिया है और आरोपियों की तलाश जारी है। हालांकि, बरका चौकी प्रभारी एसआई सूरज सिंह के अनुसार, वीडियो देखने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि इंद्रपाल की मौत कैसे हुई। एएसपी शिवकुमार वर्मा ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और सरकार को घेरते हुए कहा है कि प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में आदिवासी उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना भी उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें बीजेपी से जुड़े लोग शामिल हैं। पटवारी ने कहा, "लूट की छूट अपराध और अपराधियों को संरक्षण दे रही है। गृहमंत्री के रूप में आप चुप हैं। पुलिस प्रशासन भी माफिया की मदद कर रहा है।"
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश में आदिवासी अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि "कब रुकेगा अत्याचार?" कमलनाथ ने इस घटना को प्रदेश में कानून-व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बताया और कहा कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
इस घटना ने प्रदेश के आदिवासी समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग सरकार से न्याय की मांग कर रहे हैं और अवैध रेत खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि प्रदेश में आदिवासियों की सुरक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है।
सिंगरौली की यह घटना प्रदेश में रेत माफियाओं के बढ़ते आतंक का एक और उदाहरण है, जो यह दिखाती है कि कैसे सरकारी संरक्षण के चलते माफिया बेखौफ होकर अपने अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। आदिवासी समुदाय, जो पहले से ही शोषण और उत्पीड़न का शिकार है, अब और भी असुरक्षित महसूस कर रहा है। इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
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