मणिपुर। पिछले साल (2023) मई में शुरू हुई कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा के लगभग 10 महीने बाद भी अभी तक राज्य में शांति नहीं लौट पाई है। देश में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा भी हो चुकी है। इन सबके बीच अब राज्य का दूसरा प्रमुख आदिवासी समुदाय कुकी-जो आगामी लोकसभा चुनाव में अपना प्रतिनिधि नहीं उतारने की बात कर रहा है।
अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में बसे कुकी-ज़ो समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने सोमवार को जानकारी दी कि वह लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।
आपको बता दें कि राज्य में घाटी क्षेत्रों में बसे मैतेई समुदायों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद कुकी, नागा और मुस्लिम समुदाय के लोगों की बसाहट है। मैतेई बाहुल्य क्षेत्र घाटी है, जबकि कुकी बाहुल्य क्षेत्र पहाड़ी के हिस्से हैं। हिंसा शुरू होने के बाद यह दोनों हिस्से अलग-थलग पड़े हैं। दोनों समुदायों को जोड़ने वाले रास्तों और जगहों पर अभी तक भारी सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। इन सबके बावजूद राज्य में छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आती रही हैं।
कुकी बाहुल्य क्षेत्र चुराचांदपुर की निवासी मैरी हमर द मूकनायक को बताती हैं कि “राज्य सरकार पूरे कुकी-ज़ो समुदाय और उसके इतिहास को खत्म करने की कोशिश कर रही है। यह स्पष्ट है कि चाहे हमारा कोई प्रतिनिधि हो या न हो, अगर वह मणिपुर सरकार के अधीन है, तो कुकी-जो समुदाय के लिए इसका कोई फायदा नहीं है।”
चुराचांदपुर स्थित कुकी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के सदस्य गिन्ज़ा वुआलज़ोंग ने बताया कि, “संघर्ष के कारण हमारे मुद्दे अभी तक हल नहीं हुए हैं।”
ज्ञात हो कि मणिपुर में कुल 2 लोकसभा सीटें हैं। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने 1 सीट और एनपीएफ (naga people's front) ने 1 सीट जीती थी. आंतरिक मणिपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और बाहरी मणिपुर लोकसभा क्षेत्र से लोरहो एस. पफोज़े ने जीत हासिल किए थे।
कुकी क्षेत्र के निवासी सोंग्थिन सांग ने द मूकनायक से कहा कि, “हां.. यह सच है कि कुकी-ज़ो समुदाय से कोई उम्मीदवार नहीं है। हम सभी सदमे में हैं और ठीक से भी काम नहीं कर पा रहे है। मुझे विश्वास नहीं है कि अगर हम चुनाव लड़ेंगे तो हम जीतेंगे। अगर दूसरे चुने जाएंगे तो वे हमारी बात नहीं सुनेंगे। हमारी बात सुनने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत है।”
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