Ground Report मणिपुर हिंसा: स्थिति सामान्य फिर भी डर क्यों है बरकरार?

सुरक्षा के मद्देनजर पूरे राज्य में रात्रि कर्फ्यू जारी. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जगह भारी सुरक्षाबल मौजूद, विद्यार्थियों का महीनों से अध्ययन प्रभावित. शिक्षा रोजगार और चीजों के दाम ऐसे हुए हैं प्रभावित.
चुराचांदपुर में महिलाओं के साथ रेप की घटना के बाद राजधानी इम्फाल के मोयरोंग थोंग में स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया अस्थाई प्रदर्शन स्थल.
चुराचांदपुर में महिलाओं के साथ रेप की घटना के बाद राजधानी इम्फाल के मोयरोंग थोंग में स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया अस्थाई प्रदर्शन स्थल.फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक
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इम्फाल: मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच शुरू हुए हिंसक विवाद के लगभग 3 महीने पूरे हो गए है. राजधानी इम्फाल में जनजीवन सामान्य होता दिखाई दे रहा है। इम्फाल बाजार सहित शहर की गलियों में रोजमर्रा की जरुरत वाली दुकानें सज रही हैं. हालाँकि, सुरक्षा के मद्देनजर यहां रात्रि कर्फ्यू जारी है. 

इम्फाल के नोरेम थोंग (Naorem Thong) के रिहायशी इलाके के निवासी खैदम सुबसास (Khaidem Subsas) 42, काफी दिनों पहले अपने घर का निर्माण कार्य शुरू किये थे. उसी दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी. जिससे घाटी के रास्ते से आने वाले निर्माण सामग्री का आयात बहुत सीमित हो गया, और दुकानों पर निर्माण सामग्रियों की किल्लत हो गई. 

मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बाद इम्फाल शहर में खैदम सुबसास को घर बनवाने के लिए मैटेरियल नहीं मिल रहा है, मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं.
मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बाद इम्फाल शहर में खैदम सुबसास को घर बनवाने के लिए मैटेरियल नहीं मिल रहा है, मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

खैदम सुबसास द मूकनायक को बताते हैं कि, “अभी तो डर थोड़ा-बहुत कम हुआ है. यहां (इम्फाल शहर) तो थोड़ा ठीक है लेकिन जो हमारे लोग पहाड़ में हैं उनके सामने तो बहुत समस्याएं हैं. 2-3 महीने पहले हालात बहुत खराब थे. मकान बनवाने की शुरुआत किया था, उसी बीच यह सब हो गया. यहां दुकानों पर निर्माण सामग्री ही नहीं है. जिससे काम बंद होने की वजह से मजदूर भी अपने घरों को लौट गए हैं.” 

जो मजदूर शहर के हैं, और खैदम के यहां काम करने आते हैं, उनके बारे में वह बताते हैं कि, “काम करने वाले लोग मुश्किल से मिल रहे हैं क्योंकि उन्हें जल्दी अपने घर लौटना होता है. यहां शाम को कर्फ्यू लग जाता है”, वह बताते हैं कि, “घर के बच्चे एक सप्ताह में मुश्किल से एक या दो दिन ही स्कूल जा रहे हैं, अन्य दिनों के लिए स्कूल की ओर से छुट्टी कर दी जा रही है”. 

आपको बता दें कि मणिपुर में हिंसा की घटना के बाद राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया है. 40,000 सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को तैनात किया गया है। यहां शाम 6 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा रहता है. इस दौरान सिर्फ मेडिकल की दुकानें ही खुलीं होती हैं. यू कहें कि जैसे कोरोना के समय का लॉकडाउन लौट आया हो.

रिहायशी कालोनी में अपनी दुकान चलाकर अपने परिवार का पेट भरने वाले टिकेन शर्मा (Tiken Sharma) 60, को भी मणिपुर हिंसा के बाद उनकी दुकानदारी पर नकारात्मक प्रभाव महसूस होता है. वह बताते हैं कि, “कर्फ्यू की वजह से लोग अब घरों के बाहर कम ही निकलते हैं. पहले बाहर के ग्राहक काफी संख्या में आते थे, लेकिन अब दिन भर में कुछ ही लोग चीजों की खरीदारी के लिए आते हैं.”

टिकेन शर्मा जो अपनी छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं, हिंसा की घटनाओं के बाद स्थिति ऐसी हो गई है कि उनके दुकान पर ग्राहक बहुत कम आने लगे हैं. इसका प्रमुख कारण उन्होंने ने रात्रि कर्फ्यू और लोगों के मन में भय बताया.
टिकेन शर्मा जो अपनी छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं, हिंसा की घटनाओं के बाद स्थिति ऐसी हो गई है कि उनके दुकान पर ग्राहक बहुत कम आने लगे हैं. इसका प्रमुख कारण उन्होंने ने रात्रि कर्फ्यू और लोगों के मन में भय बताया. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

“अभी रोजमर्रा की चीजों के दाम जैसे दाल, चीनी, दूध, आलू, टमाटर अदि के दामों में बढ़ोतरी हुई है. क्योंकि पहाड़ी में हुई घटना के बाद से बाहर से आने वाली चीजों सीमित हो गई हैं. हिंसा के शुरूआत के दिनों में लोगों को एकदम घरों के बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था. जिन लोगों के पास सामान उस समय उपलब्ध था उन्होंने चीजों के दाम दोगुने या तीन गुने ज्यादा दाम पर बेचा”, टिकेन शर्मा ने द मूकनायक को बताया। 

द मूकनायक टीम ने इम्फाल बाजार में पूरे देश में चर्चा में रहे टमाटर की कीमत को जाना। एक महिला, जो टमाटर बेच रहीं थी उन्होंने 1 किलो टमाटर का दाम 140 से 150 रुपए प्रति किलो बताया। इसके अलावा यहां की कुछ स्थानीय सब्जियां भी थीं जो सामान्य दिनों की अपेक्षा थोड़ी महंगी थी. 

सरकारी स्कूल में हाईस्कूल की कक्षाओं में पढ़ाने वाले सरकारी रिटायर्ड अध्यापक ईमो शर्मा (Imo Sharma) 65, कक्षा 10 के छात्रों को पहले इंग्लिश और सोशल स्टडीज पढ़ाते थे. राज्य में हिंसा की घटनाओं के बाद प्रभावित होने वाले बच्चों की शिक्षा के बारे में वह बताते हैं कि, “अभी एक सप्ताह पहले कक्षा 11वीं, और 12वीं की कक्षाएं शुरू हुईं हैं. लेकिन अभी तक नर्सरी स्कूल नहीं शुरू हुए हैं. उम्मीद है कि वह भी जल्द खोल दिए जाएंगे। क्योंकि जिस स्कूल में बच्चे पढ़ने जाते थे वहां आर्मी के फोर्सेज भारी संख्या में रह रहे हैं.”

रिटायर्ड सरकारी अध्यापक इमो शर्मा बच्चों के स्कूली शिक्षा को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि बच्चों के स्कूलों में महीनों से भारी सुरक्षाबल ठहरे हुए हैं.
रिटायर्ड सरकारी अध्यापक इमो शर्मा बच्चों के स्कूली शिक्षा को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि बच्चों के स्कूलों में महीनों से भारी सुरक्षाबल ठहरे हुए हैं. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

“राज्य में बाहर से आने वाली चीजों का सप्लाई लाइन विवाद के चलते ब्रेक हो गया है. इसलिए दैनिक उपयोग की चीजें जो यहां के लोगों के लिए जरुरी हैं वह कम पहुंच पा रही हैं. अभी किसी सामान को लाने के लिए सरकार को प्राइवेट ट्रक और स्कॉर्ट की जरुरत पड़ रही है. कोई भी सामान राज्य में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के साथ राज्य की सीमा में प्रवेश कर रहा है”, इमो शर्मा ने द मूकनायक को बताया। 

शर्मा ने बताया कि अब धीरे-धीरे सभी सरकारी दफ्तर खुल रहे हैं. लोग अपने सरकारी दैनिक कार्यों पर पुनः लौट रहे हैं. 

इम्फाल बाजार एरिया में इलेक्ट्रिक ई-रिक्शा चलाकर अपना परिवार चलाने वाले पोईतांग की कमाई पहले की अपेक्षा आधे से भी कम हो गई है. प्रदेश में जातीय हिंसा के बाद सवारियां कम मिल रही हैं.
इम्फाल बाजार एरिया में इलेक्ट्रिक ई-रिक्शा चलाकर अपना परिवार चलाने वाले पोईतांग की कमाई पहले की अपेक्षा आधे से भी कम हो गई है. प्रदेश में जातीय हिंसा के बाद सवारियां कम मिल रही हैं. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

इम्फाल बाजार एरिया में इलेक्ट्रिक ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजारा करने वाले पोइतांग (Poitang) 45, रोजाना सुबह 9 बजे घर से सवारियों की तलाश में निकल जाते हैं. पोइतांग द मूकनायक को बताते हैं कि, “सामान्य दिनों में रोजाना की कमाई 800 रुपए या उससे ज्यादा हो जाती थी. लेकिन जब से यह सब हुआ (जातीय हिंसा की घटना) तब से सवारियां बहुत कम मिल रही हैं. अब रोजाना लगभग 300 रुपए के आस-पास ही कमाई हो पाती है”. 

पूरी राजधानी इम्फाल में लगभग हर काम में महिलाओं की गतिविधियाँ सबसे ज्यादा देखी गईं. इम्फाल बाज़ार में सब्जियां बेचती महिलाएं.
पूरी राजधानी इम्फाल में लगभग हर काम में महिलाओं की गतिविधियाँ सबसे ज्यादा देखी गईं. इम्फाल बाज़ार में सब्जियां बेचती महिलाएं. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

राजधानी में आधे से अधिक दुकानें महिलाएं चलती हैं

पूरे इम्फाल में द मूकनायक टीम ने पड़ताल किया जिसमें पाया कि सब्जी की दुकान, कपड़े के दुकान, रेहड़ी की दुकान, सड़क की पटरियों पर मछलियों की दुकान और यहां तक की घरेलू सहित अन्य कार्यों में सबसे अधिक महिलाओं की गतिविधि आपको देखने को मिलेगी। सामानों के मोलभाव करके उसे बेचने की बात हो या छोटी से लेकर बड़ी दुकान हो, सभी जगह अधिकांश महिलाएं ही हैं जो बेहतर नेतृत्व करते हुए अपना और अपने परिवार के जीविकोपार्जन में जुटी हुई हैं.

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