महाराष्ट्र। पुणे जिले में चोरी के आरोप में एक आदिवासी घरेलू कामगार महिला की पुलिसकर्मियों द्वारा चौकी में बंद करके बर्बरता से पिटाई करने का मामला सामने आया है। महिला के शरीर पर चोट के निशान पुलिस की क्रूरता को स्पष्ट कर रहे थे। आरोप है कि महिला ने जब पीने के लिए पानी मांगा तो पुलिसकर्मियों ने पेशाब पीने के लिए कहा।
परिजनों का आरोप है कि, परिजन महिला को खोजने गए तो पुलिस उन्हें गुमराह करती रही। परिजनों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर आक्रोश जाहिर किया है। इस मामले में शिकायत उच्चाधिकारियों से की जिसके बाद तीन पुलिसकर्मियों को इस मामले में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है।
पुणे शहर के मगरपट्टा इलाके के एक घर में यह महिला काम करती थी। जानकारी के मुताबिक जिस घर में महिला काम करती थी उस घर में पैसे और चार तोला सोना चोरी हो गया था। जिसके बाद घर का मालिक मगरपट्टा थाने में शिकायत लेकर गया था। व्यक्ति ने अपनी नौकरानी पर इसका शक जताया था। जिसके बाद, नौकरानी को मुंडवा स्थित उसके आवास से पुलिस ने उठाया लिया और मगरपट्टा पुलिस चौकी ले गए। आरोप है कि पुलिस ने महिला को चौकी में बंद करके साढ़े चार घंटे तक बेरहमी से पिटाई की।
परिजनों का कहना है कि पुलिस महिला को पूछताछ के लिए ले गई थी। शाम तक नहीं लौटी तो गुमशुदगी दर्ज कराने गए। इस पर पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें यह भी नहीं बताया कि वह मगरपट्टा पुलिस चौकी पर है। पुलिस लगातार गुमराह करती रही।
इस मामले में महिला ने द मूकनायक को बताया कि, "पुलिस मुझे चौकी पर ले गई थी। मैंने चोरी नहीं की है। यह बात मैंने पुलिस को बताई। वह मुझ पर जबरन जुर्म कबूलने के लिए दबाव बना रहे थे। जब मैं नहीं मानी तो मुझे बुरी पीटा। मुझे प्यास लग रही थी। मैंने पीने के लिए पानी मांगा तो पुलिसकर्मियों ने मुझे पेशाब पीने के लिए कहा। पुलिस की पिटाई से मेरे हाथ और पैरों में काफी चोटें आई है।" महिला ने दावा किया है महिला की पिटाई करने वालों में एक सब-इंस्पेक्टर और दो महिला अधिकारियों सहित चार पुलिसकर्मी शामिल थे।
महिला को देखकर साफ़ पता चल रहा था कि पुलिसकर्मियों ने उसके साथ बहुत ज्यादा बर्बरता की है। वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। पुलिस की पिटाई उसके हाथ-पैर काले नहीं पड़ गए। इस मामले में उद्धव बालासाहेब ठाकरे समूह के पदाधिकारियों ने संयुक्त पुलिस आयुक्त प्रवीण पवार से मुलाकात की और उन्हें इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने महिला के साथ ऐसा व्यवहार करने वाली पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की। संयुक्त आयुक्त ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। शाम तक यह घटना पुणे के स्थानीय मीडिया में आग की तरह फैल गई। बढ़ते दबाव के जवाब में, डीसीपी आर. राजा ने मामले तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
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