मध्य प्रदेश: आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार की क्यों हो रही है चर्चा!

आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश के इकलौते विधायक निर्वाचित हुए हैं।
आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार
आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियारफोटो- द मूकनायक
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भोपाल। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार बाइक से 350 किलोमीटर की यात्रा कर राजधानी भोपाल पहुँचे। वे भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश के इकलौते विधायक निर्वाचित हुए हैं। वर्तमान में जब चुनाव रुपया-पैसा, महंगी गाड़ियां और दबदबे के बल पर लड़ा जाता है, लेकिन कमलेश्वर ने इन सबके अभाव में भी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।

सोशल मीडिया पर कमलेश्वर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो एक बाइक पर सवार होकर भोपाल विधानसभा में पंजीकरण करने जा रहे हैं। उनकी बाइक पर 'MLA' लिखा हुआ है। आज के समय में जब नेता बड़ी-बड़ी गाड़िया लेकर चलते हैं। उस समय उन्होंने बाइक से ही राजधानी तक का सफर तय किया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के विधानसभा चुनाव में निर्वाचित होकर नई विधानसभा में पहुँचें 89% यानी कुल 205 सदस्य करोड़पति हैं। हर विजेता उम्मीदवार की औसत संपत्ति 11.77 करोड़ रुपए है। इनमें से बीजेपी के 163 विधायकों में 82% यानी 144 विधायक करोड़पति हैं। वहीं, कांग्रेस के 92% नवनिर्वाचित विधायक करोड़पति हैं। कांग्रेस पार्टी के 66 विजेताओं में करोड़पतियों की संख्या 61 है। वहीं सभी विधायकों में सबसे गरीब विधायक सैलाना विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार हैं। उन्होंने 12 लाख रुपए कर्ज और चंदा लेकर चुनाव लड़ा।

आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार मोटरसाइकिल पर सवार
आदिवासी नेता कमलेश्वर डोडियार मोटरसाइकिल पर सवारफोटो- द मूकनायक

33 वर्षीय कमलेश्वर डोडियार का जन्म एक मजदूर परिवार में हुआ और वह मजदूरी के बीच पले-बढ़े हैं। वे अपने 6 भाई और 3 बहनों में सबसे छोटे हैं। पढ़ाई में रुचि होने के कारण उन्होंने ग्रेजुएशन किया, लेकिन इसके बाद वह कोटा चले गए थे। जहां उन्होंने मकान के निर्माण कार्य में मजदूरी का काम किया। बचपन से लेकर अब तक उन्होंने गरीबी को नजदीक से देखा और जाना है। कोटा से वापस अपने घर लौटने पर उन्होंने लगातार आदिवासियों के मुद्दों को उठाया जिसकी वजह से वे अपने क्षेत्र में चर्चित हो गए।

डोडियार का बचपन गरीबी और मुसीबत में गुजारा है। अपनी पढ़ाई के लिए उन्हें एक मजदूर और टिफिन डिलीवरी बॉय के रूप में काम करना पड़ा। वह आज भी एक झोपड़ी के घर में रहते हैं। डोडियार ने बताया कि बारिश होने पर इसकी छत से पानी टपकता है। उनके पास कोई चार पहिया वाहन नहीं है। वह फिलहाल एक बाइक से ही क्षेत्र में लोगों के बीच आते-जाते थे। इसी बाइक से वह भोपाल पहुँचे।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए डोडियार ने कहा कि उनके पास ठीक से खाना-खाने तक के पैसे नहीं थे। वह आदिवासी समाज के पिछड़ेपन को देख कर हमेशा से चिंतित रहे। 12वीं तक की पढ़ाई रतलाम जिले के सैलाना ब्लॉक में हुई। इसके बाद लॉ की पढ़ाई करने दिल्ली यूनिवर्सिटी चले गए।

लेकिन वह राजनीति में जाकर आदिवासी समाज के उत्थान और विकास के लिए काम करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू की इसके पहले वह सांसद और विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन वह अपने तीसरे विधानसभा चुनाव में जीत गए। उन्होंने कहाँ लोगों के बीच जागरूकता लानी है। यह सिर्फ उनके बीच काम करके ही संभव हो सकता है। आदिवासी समाज भोला-भाला है राजनीतिक पार्टियों की चालों को समझ नहीं पाता।

वह सकारात्मक राजनीति करना चाहतें हैं। वह किसी वाद-विवाद में न पड़ते हुए सिर्फ आदिवासियों की समस्याओं पर और उनके विकास पर काम करेंगे। डोडियार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिले हैं। सीएम से मुलाकात कर मंत्री बनाए जाने के लिए निवेदन किया है। सीएम का कहना है कि अभी काम सीखिए।

डोडियार ने कहा, "यह मतदाताओं की जीत है। मतदाताओं ने भरपूर साथ देकर सैलाना विधानसभा में इतिहास रचा है। जन अपेक्षाओं पर खरा उतर कर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाऊंगा। क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखूंगा।"

डोडियार की जीत खास है क्योंकि वह पूरे प्रदेश में एक मात्र गैर भाजपा-कांग्रेस विधायक हैं। आदिवासी बहुल सैलाना विधानसभा सीट पर जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) से जुड़े डोडियार ने भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के बैनर तले चुनाव जीता है। उनकी जीत ने सभी को चौंका दिया है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर चुनाव जीता है, वहीं भाजपा का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा।

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