मध्य प्रदेशः आदिवासियों ने वनाधिकार का पट्टा मांगा, प्रशासन ने नहीं दी तवज्जो!

बालाघाट जिले का मामला, कलक्टर ऑफिस पहुँचे सैकड़ों आदिवासी, मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी।
बालाघाट. पैदल मार्च कर कलक्टरी जाते आदिवासी।
बालाघाट. पैदल मार्च कर कलक्टरी जाते आदिवासी।The Mooknayak
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले (Balaghat district) के सैकड़ों आदिवासी जमीन का पट्टा मांगने के लिए जिला मुख्यालय पहुँचे। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि पर वर्षों से काबिज गोंड और बैगा जनजाति के लोग वनाधिकार पट्टे से वंचित है। वनवासी विकास परिषद के बैनर तले गत मंगलवार को आदिवासी समुदाय (Tribles) के लोग जमीन का पट्टा देने सहित अन्य मांगों को लेकर करीब सात सौ की संख्या में बालाघाट कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और वनाधिकार पट्टा दिये जाने की मांग की।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए वनवासी विकास परिषद के सदस्य लखन मरावी ने बताया कि बैहर तहसील के बिरसा विकासखंड अंतर्गत कई ऐसे गाँव हैं, जहां आज भी निवासरत ग्रामीणों को शासन के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण पट्टा(Land Right) नहीं मिल सका है।

मारवी ने बताया साल 2006 में लागू किया गया वनाधिकार अधिनियम कहता(Forest Right Act) है कि 13 दिसंबर 2005 के पूर्व से निवासरत ग्रामीणों को वनाधिकार का पट्टा दिया जाना चाहिए, लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के चलते आज भी आदिवासी अपने हक और अधिकार से वंचित है। उन्हें भूमि पर अधिकार नहीं मिल रहा है।

आदिवासियों को भूमि से बेदखल कर रहा वन विभाग

मरावी ने आगे बताया कि जिस भूमि पर आदिवासी परिवार कई वर्षों से रह रहे है। वहाँ खेती कर रहें हैं। उस भूमि से वन विभाग उन्हें बेदखल कर रहा है। वे हमेशा भूमि स्वामी हक का पट्टा दिखाए जाने की मांग करते हैं। पट्टा नहीं दिखाए जाने पर भूमि से उन्हें हटा रहे हैं। जबकि शासन ने उन्हें अभी तक पट्टा नहीं दिया है। कलेक्टर कार्यालय पहुँचे आदिवासियों ने कहा कि वन विभाग कितना भी प्रयास कर ले वह जल, जंगल, जमीन को नहीं छोड़ेंगे। पट्टे की इस मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते रहेंगे।

कलेक्टर कार्यालय पहुँचे आदिवासी

बालाघाट ग्रामीण अंचल के दूरदराज के करीब सात सौ से भी ज्यादा संख्या में लोग आदिवासी समाज युवा, महिलाएं और बुजुर्ग लोग जिला मुख्यालय पहुंचे। कलेक्टर कार्यालय पहुँचे लोगों ने यहाँ प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों की मांग पर कलेक्टर ने 15 दिनों में पट्टे की समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए लखन ने बताया हमने प्रशासन को 15 नवंबर तक का समय दिया है, जिसके बाद 16 नवंबर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने बताया कि गांवों में जनजातीय समाज, कृषि व्यवसाय का काम करता है। कृषि पर पूर्णरूप से निर्भर है। यदि खेती नहीं करेंगे तो साल भर उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो जाएगा।

इन गाँव के लोग हुए शामिल

बालाघाट के बैहर तहसील के बिरसा विकासखंड अंतर्गत मछुरदा, धामनगांव, ढांगाटोला, नावाटोला, भीतरी पानी, तेंदुडीह, लालपुर, गिडोरी, कोंगो, रंजमा, महुआपानी व उसरी के करीब सात सौ आदिवासी जिला मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय पहुँचे। उन्होंने जल्द जमीन के पट्टे दिए जाने की मांग की है।

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