भोपाल। मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले की ग्राम पंचायत आक्याबिका में इस बार आदिवासी महिला को गांव के लोगों ने निर्विरोध सरपंच चुना है। आदिवासी महिला मांगीबाई का परिवार 30 साल पहले मजदूरी करने इस गांव मे आया था। लेकिन, गाँव की सरपंच पद की सीट आदिवासी महिला आरक्षित होने के कारण गाँव के लोगों ने मांगीबाई को निर्विरोध सरपंच बना दिया।
द मूकनायक को मांगीबाई बताती हैं कि, उनका परिवार 30 साल पहले आक्याबिका गांव में मजदूरी करने आया था। मजदूरी ठीक मिली तो यहीं रहने लगे और आज 30 साल बाद एसा मौका आया की पंचायत चुनाव प्रकिया मे गांव मे आदिवासी महिला की सीट आरक्षित हुई। मांगीबाई ने कहा, पूरे गांव मे उनका ही परिवार एक मात्र आदिवासी परिवार है। सभी गांव वालो ने निर्विरोध सरपंच उन्हें चुन लिया।
द मूकनायक से बात करते हुए मांगीबाई के पति धन्नालाल ने बताया कि, "30 साल पहले प्रदेश के राणापुर के उबेराप गांव से यहां अपने पिता के साथ मजदूरी करने आए थे तब वे छोटे थे। आक्याबिका गांव में सरकारी स्कूल के बरामदे में रहते थे, स्कूल खुला तो पास में ही झोपड़ी बनाकर रहने लगे। गांव में पटेल साहब के यहा हाली बनकर सालो से काम किया।"
जिले के मल्हारगढ विकासखण्ड के आक्याबिका और बांसखेड़ी गांव की एक ग्राम पंचायत आक्याबिका है। गांव की चार हजार आबादी में करीब डेढ़ हजार मतदाता हैं। पंचायत चुनाव के लिए वार्डो से 17 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। गांव में हर वर्ग के लोग हैं लेकिन, आदिवासी वर्ग का एक ही परिवार यहां है। इसीलिए यहां आरक्षित आदिवासी की सीट पर मांगीबाई का एकल नामांकन दाखिल हुआ है।
निर्विरोध सरपंच चुनी जाने वाली मांगीबाई ने बताया कि, उनकी पहली प्राथमिकता गांव में नल-जल की व्यवस्था करना है। उनका सपना है कि गांव में पानी की टँकी हो और हर घर मे नल हो। वहीं महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का भी वादा किया।
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