मध्य प्रदेश: गरीबी और पिछड़ेपन से जुड़े हैं आदिवासी लड़कियों के लापता होने के राज!

आदिवासी समुदाय के गरीबी और पिछड़ेपन का फायदा उठाकर आदिवासी समुदाय की लड़कियों को शादी, घरेलू कार्य और देह व्यापार के लिए दूसरे जिलों या राज्यों में ले जाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश: गरीबी और पिछड़ेपन से जुड़े हैं आदिवासी लड़कियों के लापता होने के राज!
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भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार महिलाओं और बच्चों के लापता होने के मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर यह मामले आदिवासी इलाकों से अधिक मात्रा में दर्ज किए जा रहे हैं। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले, झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम, बालाघाट, डिंडोरी, मण्डला, शहडोल और अनूपपुर जिले में बच्चों के लापता होने की घटनाएं सर्वाधिक हैं। जिनमें 85 प्रतिशत लड़कियां लापता हुई हैं। लापता हुईं लड़कियों में ज्यादातर मामले मानव तस्करी से जुड़े हैं।

जानकारों के अनुसार, आदिवासी समुदाय के गरीबी और पिछड़ेपन का फायदा उठाकर आदिवासी समुदाय की लड़कियों को शादी, घरेलू कार्य और देह व्यापार के लिए दूसरे जिलों या राज्यों में ले जाया जा रहा है। प्रदेश से हर साल गायब होने वाले बच्चों में से 50% से भी ज्यादा आदिवासी और पिछड़े जातियों के हैं। प्रदेश में मानव तस्करी रोकने की दिशा में काम कर रहे विशेषज्ञों की मानें तो आदिवासी जिलों की लड़कियां तस्करों का सबसे आसान शिकार होती हैं।

दरअसल बच्चों की गुमशुदगी को लेकर एनजीओ- चाइल्ड राइट्स एंड यू ने साल 2023 में लापता बच्चों की सर्वे रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में मध्य प्रदेश में हर दिन औसतन 32 बच्चों के लापता होने की जानकारी है मिली है। वहीं बीते साल 2023 में भी लड़कियों के लापता होने की घटनाएं दर्ज हुईं हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में बच्चों के लापता होने के 11,717 मामले सामने आए। इनमें से 8,844 मामले लड़कियों के लापता होने के और 2873 मामले लड़कों के लापता होने के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में लापता बच्चों की स्थिति को समझने के लिए, चाइल्ड राइट्स एन्ड यू संस्थान ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार और राज्य पुलिस विभाग से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के माध्यम से डेटा इकट्ठा किया।

रिपोर्ट के बताया गया है कि वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में तीन गुना अधिक थी। राज्य में रजिस्टर्ड लड़कियों के लापता होने के मामले 8844 थे। जबकि ऐसे मामलों की संख्या 2,873 थी जिनमें लड़के लापता हुए। इस मामले में द मूकनायक ने मध्य प्रदेश जनजातीय कल्याण विभाग के आयुक्त संजीव सिंह को फोन किया लेकिन बात नहीं हो सकी।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए चाइल्ड राइट्स एन्ड यू की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने कहा, "जो बच्चे लापता हो जाते हैं, उनकी तस्करी की संभावना काफी ज्यादा होती है। मध्य प्रदेश के आंकड़ों और फैक्ट से पता चलता है कि 2022 में लापता हुए बच्चों में से 75% से अधिक लड़कियां थीं, जिनकी संख्या में 8,844 है। लापता बच्चों में लड़कियों की संख्या काफी अधिक होने की प्रवृत्ति पिछले 5 वर्षों से बनी हुई है।" सोहा ने कहा, लड़कियों के लापता होने के पीछे घरेलू नौकरों की बढ़ती मांग, व्यावसायिक यौन कार्य वजह हो सकते हैं। इसके अलावा घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा के कारण लड़कियां खुद भी घर छोड़ कर भाग जाती हैं।

मध्य प्रदेश में सर्वाधिक लापता हुए बच्चे

दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 2016 में देश में गायब हुए बच्चों में सबसे ज्यादा बच्चे मध्य प्रदेश के थे। मध्य प्रदेश से गायब हुए कुल 8,503 बच्चों में से 6,037 लड़कियां हैं। बेहतर लिंगानुपात वाले प्रदेश के दूसरे आदिवासी बहुल जिलों से भी लड़कियां लगातार गायब हो रही हैं। पिछले दस साल में ही प्रदेश के नौ जिलों से 7,448 लड़कियों की गुमशुदगी के मामले सामने आए हैं।

मध्य प्रदेश में 5 वर्षों में बच्चों के गायब होने की प्रवृत्ति (सोर्स- एनसीआरबी (2018-2021) और आरटीआई (2022) से आधारित आंकड़ें।

वर्ष लड़कियाँ लड़के कुल

2018 7545 2464 10038

2019 8572 2450 11022

2020 7230 1521 8751

2021 9407 2200 11607

2022 8844 2873 11717

द मूकनायक से बातचीत करते हुए आदिवासी एक्टविस्ट, एडवोकेट सुनील आदिवासी ने बताया कि आदिवासियों पर घट रही घटनाएं कम होने के बजाए बढ़ रहीं हैं। गाँव में रह रहे आदिवासी आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। वह मजदूरी करने के लिए पलायन भी करते हैं। आदिवासियों का सरल स्वभाव उनके शोषण का कारण है। प्रदेश के आदिवासी लड़कियों का लापता हो जाना चिंता का विषय है।

यह मामले आए सामने

केस 1- सतना जिले के मैहर जिले के रामनगर की नाबालिग लड़की का अपहरण कर 62 हजार रुपए में बेचने में मुख्य भूमिका निभाने वाले आरोपी को पुलिस ने छह महीने बाद गिरफ्तार किया था। यह मामला जुलाई 2023 का है। आरोपी का नाम दिनेश उर्फ देवनारायण गौर है। अब तक इस मामले से जुड़े पांच आरोपियों को पुलिस सलाखों के पीछे भेज चुकी है। सभी आरोपियों के खिलाफ रामनगर थाने में पहले अपराध क्रमांक 277/22 धारा 363 कायम था. नाबालिग के मिलने के बाद धारा 366(क), 376(2जी), 370, 120 बी, 34 भादवि. 5/6 पाक्सो एक्ट बढ़ाई गई थी।

केस 2- घटना दिसंबर 2023 की है। मध्य प्रदेश के देवास जिले में पिता ने अपनी 13 साल की नाबालिग बेटी का सौदा 50 हजार रुपये में कर दिया था। खरीदने वाले उससे मजूदरी कराते, मारपीट करते और भूखा रखते थे। इस बर्बरता का खुलासा उस वक्त हुआ जब युवती ने अपना वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया। लड़की ने वीडियो में कहा कि उसे खरीदने वाले उसे रोज प्रताड़ित कर रहे हैं। ये वीडियो महिला एवं बाल विकास अधिकारी तक पहुंच गया। उसके बाद अधिकारी ने पुलिस की मदद से युवती को बरामद किया। नाबालिग लड़की को फिलहाल बाल गृह में है।

केस 3- बीते साल ही मध्य प्रदेश के सागर जिले में महिला द्वारा मानव तस्करी का सनसनीखेज मामला सामने आया था। पुलिस ने दो गुमशुदा बच्चियां बरामद किया था। इस मामले में गिरफ्तार महिला और उसके गिरोह का कोलकाता से जुड़े थे। कोलकाता निवासी एक युवक भी सागर में गिरफ्तार हुआ है। इस मामले में मानव तस्करी के तार कई जगह से जुड़े होने की बात सामने आ रही है।

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