मध्य प्रदेश। सिवनी जिले में गौमांस की तस्करी की आशंका में दो आदिवासियों की मॉब लिंचिंग कर हत्या के मामले को लेकर सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में सिवनी एसपी के साथ-साथ चौकी के पूरे स्टाफ को हटा दिया, साथ ही जांच के लिए एसआईटी (SIT) का भी गठन करने का निर्देश दिया है। एसआईटी की टीम रविवार को सिवनी पहुँच कर मामले की जांच की। एसआईटी मामले की रिपोर्ट 10 दिनों में राज्य सरकार को सौंपेगी।
क्या था पूरा मामला?
2 मई की देर रात को करीब 15 लोगों ने सिवनी कुरई थाना अंतर्गत सिमरिया में आदिवासी समाज के धनसा और संम्पत बट्टी को घेर लिया। दोनों को गौमांस की तस्करी करने की शंका के चलते लाठी डंडो से बेरहमी से पीटा गया। साथ ही उसी गांव के ब्रजेश बट्टी को भी रात को घर से निकाल कर पीटा गया। सूचना पाकर घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तीनों आदिवासियों को उनके हवाले कर दिया, लेकिन सुबह होते ही संम्पत बट्टी और धनसा की पिटाई के कारण मौत हो गई।
द मूकनायक की टीम ने सेमरिया मॉब लिंचिंग के मामले में ग्राउंड रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। सिवनी लिंचिंग में शामिल 9 आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि, यह कार्यवाही तब हुई जब गांव आदिवासियों के एक समूह ने मंगलवार जबलपुर-नागपुर नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी जिसके बाद प्रशासन ने 9 लोगों के खिलाफ हत्या की धराओं सहित एट्रोसिटी का मामला दर्ज किया।
मामले पर द मूकनायक ने पुलिस का पक्ष जानना चाहा तो कुरई थाना अंतर्गत बादलपार पुलिस चौकी के प्रभारी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस मामले में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करने को कहा। वहीं अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में एसआईटी गठित की है, जोकि 10 दिन में इस पूरी घटना की जांच करेगी। साथ ही एसपी सहित कुरई थाने और बादलपार चौकी के पूरे स्टाफ को बदल दिया गया है।
आपको बता दें कि, सिवनी आदिवासी हत्याकांड की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के चीफ एसीएस गृह राजेश राजौरा हैं। एसआईटी के सदस्यों के रूप में एडीजी राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल अखेतो सेमा, सचिव माध्यमिक शिक्षा मंडल श्रीकांत भनोट को शामिल किया गया है। इस संबंध में गृह विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए है। यह एसआईटी घटना के कारणों, पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई, घटनाओं को रोकने के उपाय के बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी। इस टीम को 10 दिन में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपनी है।
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