मध्य प्रदेश/सिवनी। मध्य प्रदेश से एक बार फिर आदिवासियों के उत्पीड़न व उनके साथ बर्बरता की खबरें सामने आईं हैं. ताजा मामला मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का है. जहां भीड़ ने गौ हत्या के शक में दो आदिवासियों को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया.
क्या है पूरा मामला?
सिवनी जिले के सिमरिया गांव में 3 मई को 15-20 लोगों की भीड़ ने संपत लाल वट्टी (60) और धानसाय इनवाती (54) नाम के दो आदिवासियों को पीट- पीट कर मार डाला. उनके साथ बृजेश नाम के एक और आदिवासी को भी पीटा गया जिसका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है, और उसकी हालात गंभीर है.
स्थानीय पुलिस को सूचना मिली थी कि, भीड़ द्वारा 3 लोगों को गौ मांस तस्कती के शक में पकड़ा गया है. लेकिन जब तक पुलिस मौके पर पहुंची तब तक संपत लाल और धानसाय को भीड़ ने बुरी तरह पीट कर मार दिया था, और बृजेश बुरी तरह से घायल था ज़िसे अस्पताल ले जाया गया.
इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ज़िसमें दो व्यक्तियों को भीड़ ने चारों और से घेरा हुआ है. भीड़ के हाथ में लाठी डंड़े हैं. दोनों व्यक्ति हाथ जोड़ कर उनको छोड़ने की गुहार भी लगा रहे हैं.
मामले के नौ आरोपी हिरासत में
घटना के बाद गांव के लोगों ने इस मामले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और जबलपुर-नागपुर नेशनल हाईवे को जाम भी कर दिया था. घटना के बाद हरकत में आई पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नौ आरोपियों को हिरासत में ले लिया. इसके साथ ही पुलिस मृतकों के खिलाफ लगे गौ मांस तस्कारी के आरोपों की भी जांच कर रही है.
घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों में भारी गुस्सा देखने को मिल। वरिष्ट पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है कि, "आरएसएस ने सत्ता के लिए देश को ये बना दिया है। देश के सबसे पुराने बाशिंदों के साथ ये सलूक। इस घटना की अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया होनी चाहिए। ऐसी घटनाओं का होना राष्ट्रीय एकता के लिए ख़तरनाक है।"
भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आजाद ने लिखा है कि, "मध्यप्रदेश के सिवनी में कथित गो-रक्षा के नाम पर दो आदिवासी भाइयों की पीट- पीट कर हत्या कर दी जाती है। मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj जी आरोपियों के विरुद्ध चुप्पी साधे है। नेमावर,नीमच के बाद सिवनी में आदिवासी नरसंहार, पशुओं के नाम पर इंसानों की हत्या, ये अन्याय कब तक चलेगा जवाब दो।"
सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज मीणा लिखते हैं कि, "मध्यप्रदेश के सिवनी में दो गरीब आदिवासियों की पीट पीटकर हत्या कर दी जाती है। संघी सरकार चुप। जातीवादी मीडिया चुप। धर्म के ठेकेदार चुप। अगर यही घटना ब्राजील, कनाडा, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी लोगों के साथ घटित होती तो अब तक ये इंटरनेशनल चर्चा का विषय होता। #TribalLivesMatter"
इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज होती दिख रही है। कांग्रेस ने इस लिंचिंग का आरोप बजरंग दल पर लगाया है. कांग्रेस ने घटना से सम्बंधित वीडियो भी ट्वीट किया है जिसमें हाथों में लाठी लिए कुछ लोग दोनों आदिवासियों को घेर कर उनसे पूछताछ करते नजर आ रहे हैं.
कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं और राज्य सरकार इन्हें रोक नहीं पा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्य सरकार से इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाने, दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने, पीड़ित परिवारों की मदद करने और घायल युवक के इलाज की सरकारी खर्च पर संपूर्ण व्यवस्था की मांग की है.
क्या कहते हैं आंकड़ें!
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2020 में भारत में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले (2,401) मध्य प्रदेश में ही दर्ज किए गए थे. 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रदेश में 21 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, जो बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
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