भोपाल। मध्य प्रदेश के रीवा में एक खुले बोरवेल में 6 साल का आदिवासी बच्चा गिर गया है, जिसको बचाने का प्रयास लगभग 16 घंटे से जारी है, लेकिन बच्चे को गिरे 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। बचावकर्मियों के मुताबिक, बोरवेल लगभग 160 फीट गहरा है, फिलहाल बच्चे का कोई मूवमेंट नहीं दिख रहा है।
एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन द्वारा लगातार मयंक को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। बताया जा रहा है कि बच्चे के ऊपर मिट्टी गिरने से वह और नीचे चला गया है। यह घटना पहली नहीं है, इससे पहले भी करीब एक वर्ष के भीतर ही तीन घटनाएं पेश आ चुकी हैं।
बोरवेल में गिरे 6 वर्षीय मयंक की माँ का रोरकर बुरा हाल है, मौके पर पहुँचे डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के पीड़ित परिवार ने पैर पकड़ लिए। डिप्टी सीएम ने कहा घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आदिवासी परिवार को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।
इधर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- "हमने रेस्क्यू टीम लगाई हुई है, लेकिन बारिश से मिट्टी गीली होने के कारण काफी कठिनाई आ रही है। बच्चे को बचाने के लिए जो भी जरूरत पड़ेगी वो सब करेंगे। हमारे विधायक सिद्धार्थ तिवारी मौके पर हैं। कलेक्टर और एसपी से मेरी बात हुई है। रेस्क्यू टीम लगी हुई है, उम्मीद कर रहे हैं कि हम सफल हों।"
"मैंने प्रशासन को पहले भी निर्देश दिए हैं, पुनः निर्देश दे रहा हूं कि किसी भी क्षेत्र में अगर खुले हुए बोरवेल हों तो उनको तुरंत बंद कराए। खासकर ऐसे सूखे बोरवेल जिनमें पानी नहीं आता है। इससे जिंदगी का बहुत बड़ा नुकसान होता है। इससे बचना चाहिए। हम उम्मीद करेंगे कि आने वाले समय में ऐसी घटना न हो।" -डॉ. यादव ने कहा।
प्रशासन के अनुसार- बच्चे के पास कैमरा और ऑक्सीजन पाइप नहीं पहुंच पा रहा है, जिसकी वजह से बोरवेल में फंसे मयंक की स्थिति नहीं देख पा रहे है। बोरवेल के अंदर कैमरे से तस्वीर लेने की कोशिश नाकाम रही, क्योंकि अंदर मिट्टी और पराली होने की वजह से तस्वीर साफ़ नहीं आई। वहीं मयंक को बाहर निकालने के लिए चार पोकलेन और आठ जेसीबी खुदाई करने में जुटी है। प्रशासन और पुलिस की टीम को सहयोग देने के लिए देर रात बनारस से एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची है। फिलहाल बचाव अभियान जारी है।
रीवा के एडिशनल एसपी अनिल सोनकर ने बताया- मयंक अपने दोस्तों के साथ खेतों में कटी हुई गेहूं की फसल पर खेल रहा था, इसी दौरान वह बोरवेल में गिर गया। बाकी बच्चों ने उसकी मदद करने की कोशिश की। जब वे नहीं कर सके तो तुरंत बच्चे के माता-पिता को सूचित किया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस और प्रशासन को सूचना दी, सूचना मिलते ही थाना प्रभारी और एसडीएम मौके पर पहुंचे। बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर निकालने के लिए 60 फिट की पैरलल लेन बनाई जा रही है।
दरअसल, हीरामणि मिश्र के खेत में हार्वेस्टर से गेहूं की फसल कटाई की जा रही थी। इसमें मयंक के पिता भी काम कर रहे थे, पिता की सहायता के लिए मयंक और उसके कुछ दोस्त भी खेत में बालियां बीन रहे थे। इसी दौरान मयंक खेलते हुए खेत में बने खुले बोरवेल में गिर गया। यह घटना शुक्रवार को हुई। बताया जा रहा कि हीरामणि मिश्र ने आज से तीन साल पहले यह बोरवेल खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं आने की वजह से उसे खुला छोड़ दिया था। इस हादसे के बाद से खेत का मालिक फरार है।
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा, हम बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। बोरवेल की गहराई 70 फीट है। 50 फीट की खुदाई के बाद और कैमरे आदि के माध्यम से हमें जो जानकारी मिली है। बच्चा संभवतः 45-50 फीट की गहराई पर फंसा हुआ है। एनडीआरएफ की टीम बच्चे तक पहुंचने के लिए क्षैतिज सुरंग खोद रही है।
अव सवाल यह है कि जब प्रशासन ने निर्देश दिए हैं तो ऐसे बोरवेल जो सूखे पड़े हैं। उन्हें बन्द क्यों नहीं किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सहित देशभर से प्रतिवर्ष ऐसी ही घटनाएं सामने आती रहतीं हैं, जिनमें बच्चे सूखे बोरवेल में गिर जाते हैं। ज्यादातर मामलों में बोरवेल में फसे बच्चे की मौत होती है। एक साल के भीतर प्रदेश के सीहोर और अलीराजपुर से घटनाएं सामने आई थी जहां बोरवेल में गिरे बच्चों की जान नहीं बच सकी।
दिसंबर 2023 में अलीराजपुर जिले के ग्राम खंडाला में एक खेत में स्थित बोरिंग में पांच साल का एक मासूम गिर गया था। बच्चा बोरिंग में 20 फीट नीचे जाकर फंस गया। प्रशासन ने उसे बाहर निकालने के लिए तत्काल रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया। करीब साढ़े चार घंटे बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका। हालांकि इससे पहले ही उसकी मौत हो गई थी।
जून 2023 में सीहोर जिले के मुंगावली में तीन दिन तक ढाई साल की बच्ची सृष्टि बोरवेल में गिर कर फस रही थी। 300 फीट गहरे बोरवेल था, तीन दिन तक रेस्क्यू चला बच्ची को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला, लेकिन डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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