भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह (Damoh) जिले में नौरादेही अभयारण्य (Nauradehi Sanctuary) क्षेत्र से गाँव को विस्थापित नहीं किए जाने की मांग को लेकर ग्रामीण सड़कों पर उतर आए हैं। नौरादेही विस्थापन संघर्ष समिति के बैनर तले लोग बुधवार को कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। इन ग्रामीणों ने एक दिन पहले प्रशासन को यह जानकारी दी थी कि उन्हें विस्थापित ना किया जाए नहीं तो वह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे। जिन चार गाँव को विस्थापित किया जा रहा है वह आदिवासी बाहुल है।
इसके बाद जब प्रशासन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो सुबह ही सैकड़ों ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे और कलेक्टर के नाम ज्ञापन देने के बाद धरने पर बैठ गए। इन लोगों का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य को विकसित करने के लिए उनके गांव उजाड़े जा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कई पीढियां इन्हीं गाँवों में रहीं हैं। वह भी इन गांव में रह रहे हैं, जहां उनका जीवन यापन चलता है और अब उन्हें प्रशासन हटा रहा है जिसे तत्काल रोका जाए। जब तक विस्थापन की प्रक्रिया नहीं रुकेगी उनका धरना जारी रहेगा। इस धरना प्रदर्शन में पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं हैं। कलेक्ट्रेट पहुंचे इन ग्रामीणों से दमोह एसडीएम आरएल बागरी ने ज्ञापन लिया है और प्रशासन तक ग्रामीणों की बात पहुंचाने का आश्वासन दिया।
टाइगर रिजर्व के लिए सेंचुरी के विस्तार की जरूरत है। ऐसे में सेंचुरी के आस-पास के कुल 90 गांवों को विस्थापित किए जाने का लक्ष्य रखा है। इसमें करोड़ों रुपए का बजट हर साल वन विभाग को दिया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो विस्थापित हो रहे एक परिवार को 15 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। इसमें यदि पिता-पुत्र और उसका परिवार अलग-अलग है तो उन्हें दो यूनिट में गिना जाएगा।
नौरादेही अभयारण्य के कोर जोन में आने वाले तीन जिलों के 6 गांवों को विस्थापित किया जाना है, उनमें नरसिंहपुर के पटना मोहली, घाना व मलकुटी, सागर जिले का खपरा खेड़ा, सर्राबरई, दमोह जिले का मुनाली खेडा गाँव शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि अब तक 90 में से 22 गांव विस्थापित किए जा चुके है।
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