भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार आदिवासियों पर अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले सप्ताह में बैतूल जिले से दो घटनाओं के वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें आदिवासी युवक को उल्टा लटका कर पीटा जा रहा था। हाल ही में ताजा मामला सतना जिले से सामने आया है। जहां एक आदिवासी की जमीनी विवाद के चलते जमकर पिटाई कर दी गई, जिस कारण उसका पैर फ़्रैक्चर हो गया।
जानकारी के मुताबिक सतना शहर में आरोपियों ने एक आदिवासी की जमीन किराए पर ली थी, युवक जमीन पर कब्जा और पट्टा वापस लेने गया तो उस से जमकर मारपीट की गई। पीड़ित आदिवासी संतोष कोल की मां के नाम पर जमीन का पट्टा था। पट्टे की जमीन को आरोपियों ने दुकान खोलने के नाम पर किराए पर लिया था, लेकिन जब संतोष अपनी जमीन का कब्जा लेने गया तो, आरोपियों ने उसके ऊपर डंडे और रॉड से हमला कर दिया।
पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की इसके बाद घायल को पुलिस ने जिला अस्पताल लाकर भर्ती करा दिया, जहां उसका उपचार किया जा रहा है। सतना शहर थाना प्रभारी सुदीप सोनी ने बताया कि घूरडांग निवासी फरियादी ने थाने आकर शिकायत की है। संतोष ने बताया कि वह अपनी दुकान का पट्टा मांगने गया था।
जिसके बाद, आरोपी ज्ञानेंद्र नवल और रत्नेश का संतोष कोल से विवाद हो गया, आरोपियों ने संतोष के साथ मार-पीट कर दी। मारपीट के कारण उसके पैर पर काफी चोट आई है, आरोपियों के खिलाफ मार-पीट और एससी/एसटी एक्ट में अपराध पंजीबद्ध किया है, मामले की जांच की जा रही है।
मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ लगातार मामले सामने आ रहे हैं। बैतूल जिले में भी पिछले सप्ताह में पैसे को लेकर हुए विवाद में एक आदिवासी युवक को नग्न कर उल्टा लटकाकर पीटा गया था। इस घटना के ठीक दो दिन पहले बैतूल में ही एक युवक को बजरंगदल के पदाधिकारी द्वारा पीटा गया था, जिसका वीडियो वायरल हुआ था।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए आदिवासी एक्टविस्ट एडवोकेट सुनील आदिवासी ने कहा, "आदिवासियों के खिलाफ हरदिन घटनाएं सामने आती हैं। यह वह घटनाएं हैं जो दर्ज हो रही हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ घटनाओं का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, इनमें कई घटनाएं तो ऐसी हैं जो दर्ज नहीं हो रही। हम सरकार से मांग करते चले आ रहे हैं कि, आदिवासियों के खिलाफ हो रही घटनाओं के प्रकरणों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि आदिवासी समाज को जल्द न्याय मिले। आरोपियों को सजा मिलने के बाद ही घटनाएं कम हो सकती हैं।"
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में आदिवासियों पर हिंसा के 2979 मामले सामने आए जो कि पिछले साल के क्राइम के मुकाबले में 13 फीसदी अधिक हैं। पिछले तीन सालों से प्रदेश आदिवासी अत्याचारों में टॉप पर बना हुआ है। 2,521 मामलों के साथ राजस्थान दूसरे और 742 मामलों के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।
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