भोपाल। मध्य प्रदेश के बैतुल के आठनेर ब्लॉक में सोमवार को आदिवासी संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. आदिवासी युवती की हत्या के मामले में अन्य आरोपियों पर कार्यवाही नहीं होने से आदिवासी समुदाय नाराज है। आदिवासी संगठनों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए युवती की हत्या से जुड़े अन्य आरोपियों पर कठोर कार्रवाई के साथ उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग को लेकर रैली निकाली और प्रदर्शन किया। इधर, रतलाम में आदिवासियों पर हुई जिला बदर की कार्रवाई वापस लेने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया है।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे आदिवासी समाज के लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर युवती को इंसाफ दिलाने की मांग की। आरोपी के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की भी मांग की गई। प्रदर्शन में शामिल बड़ी संख्या में लोगों ने कस्बे के बस स्टैंड पर एक घंटा तक चक्का जाम कर धरना दिया।
प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। इस मौके पर जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) और युवा आदिवासी विकास संगठन के पदाधिकारियों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज के खिलाफ अत्याचारों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार से आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और दोबारा ऐसी कोई गंदी घटना बहन-बेटियों के साथ नहीं हो इसके लिए दोषियों को तुरंत कठोर सजा देने की मांग की। धरना प्रदर्शन के बाद तहसीलदार को राष्ट्रपति के नाम तीन सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भी सौंपा गया। प्रशासन ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बैतूल के थाना क्षेत्र के सवासन गांव की एक आदिवासी युवती की हत्या के मामले में पुलिस ने पुसली गांव के युवराज पुत्र सुदामा नरवरे को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। पुलिस की जांच के अनुसार मामला प्रेम प्रसंग का है। इधर आदिवासी संगठनों का कहना है कि अन्य आरोपी भी इस घटना में शामिल थे। पुलिस को अन्य दोषियों को भी गिरफ्तार करके कार्रवाई करनी चाहिए।
मध्य प्रदेश के रतलाम में सोमवार को आदिवासी समुदाय के लोगों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। सैलाना विधानसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रतलाम पहुंचे। यहां उन्होंने रतलाम कलेक्ट्रेट के बाहर जमीन पर बैठकर धरना दिया और शासन के खिलाफ नारेबाजी की। दरअसल, आदिवासी समाज के दो लोगों को जिला बदर किए जाने क्षेत्र में आक्रोश था।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के समय समुदाय के दो लोगों को तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने गलत तरीके से जिला बदर कर दिया था। इनमें बाजना तहसील के लांबी सादड़ गांव के विलेश खराड़ी और देवली गांव के वीपी हारी शामिल हैं। दोनों सामाजिक नेता हैं। हमारी ग्राम सभा ने फैसला लिया है कि कलेक्टर की कार्रवाई गैर संवैधानिक है।
आदिवासी समाज के लोग 'न लोकसभा और न विधानसभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा' के बैनर के साथ रतलाम आए थे। प्रदर्शन के दौरान पहले अपर कलेक्टर आदिवासियों से बात करने आए, लेकिन वे कलेक्टर को बुलाने की बात पर अड़े रहे। इसके बाद कलेक्टर भास्कर लाक्षाकर वहां पहुंचे। जिला बदर आदिवासी युवक की मां ने कलेक्टर से पूछा कि ऐसी कौन सी गलती की मेरे बेटे ने, वो तो समाज की बात करता है, इसमें कौन सी गलती है?
काफी देर रात बातचीत के बाद आदिवासियों ने प्रशासन को सात दिन का मोहलत देकर प्रदर्शन खत्म किया। प्रदर्शन खत्म होने पर कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने कहा कि पूर्व में जो जिला बदर की कार्रवाइयां हुई हैं, उनके संबंध में लोग अपनी बात कहने आए थे। उन्हें समझाया है कि न्यायालय प्रक्रिया में अगर वे किसी आदेश से व्यथित हैं तो उसके लिए हाई कोर्ट ही सही रास्ता है।
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