भोपाल। मध्यप्रदेश के देवास में आदिवासी युवक को कलेक्टर ने जिला बदर कर दिया जिसके बाद आदिवासी संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है। आरोप था कि बीजेपी और आरएसएस के कहने पर आदिवासी नेता पर यह कार्यवाही की गई, जिसको निरस्त किया जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
देवास खातेगांव के डाकबंगला मैदान पर बुधवार को आदिवासी संगठनों द्वारा आंदोलन किया गया। आंदोलन आदिवासी नेता रामदेव काकोडिया के खिलाफ की गई जिला बदर की कार्रवाई को तत्काल वापस लेने के लिए किया गया। यहाँ मौजूद सैकड़ो की संख्या में आदिवसियों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मांग थी कि रामदेव पर की गई जिला बदर की कार्यवाही सरकार वापस ले।
इस आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए। प्रदर्शन में देवास जिले के साथ ही रतलाम, झाबुआ बड़वानी, कुक्षी, बैतूल और अन्य जिलों के आदिवासी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आदिवासी प्रदर्शन करने पहुँचे।
आंदोलन में जयस समेत कई आदिवासी संगठन के नेताओं ने शामिल होकर आदिवासी युवक की कथित पिटाई करने पर टीआई को निलंबित करने और 18 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की।
कथावाचक के "संविधान बदलने" वाले बयान पर सोशल मीडिया पर की थी पोस्ट
खातेगांव तहसील के हरणगांव क्षेत्र में रहने वाले भीम आर्मी के कार्यकर्ता राहुल वारबाल ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताया कि, घटना के कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश के एक कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शास्त्री के 'संविधान बदलने' वाले बयान पर टिप्पणी कराते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया था। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें थाने बुला कर बेरहमी से पीटा।
राहुल ने बताया कि, उन पर पुलिस ने धारा 151 के मामले में एफआईआर दर्ज की। राहुल ने बताया कि रामदेव उनका दोस्त है, और "जब वह मुझसे थाने में मिलने आया तब पुलिस ने रामदेव काकोडिया को भी पीटा और रामदेव पर भी मामला दर्ज कर दिया। इस मामले में राहुल, रामदेव और एक अन्य साथी तीन दिन जेल में रहे।" वहीं राहुल ने बीजेपी और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टरों ने उनका मेडिकल तक नही किया।
जिला बदर की कार्रवाई पर सवाल
आदिवासी नेता रामदेव काकोडिया ने द मूकनायक को बताया कि, पुलिस ने बीजेपी आरएसएस के कहने पर हमारे साथ मारपीट की और मामला दर्ज कर दिया। "मैं आदिवासी समाज के हकों की बात करते आ रहा हूं। मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं, जो अपने और बंचित शोषित समाज के अधिकारों के प्रति लड़ता रहा हूँ। मैं कोई अपराधी, डकैत, बदमाश नही था, जो सरकार ने मुझ पर जिला बदर जैसी कार्यवाही कर दी। समाज जागरूक हो रही थी बीजेपी को खतरा लग रहा था इसलिए मुझ पर जूठा मुकदमा दर्ज कर जिला बदर कर दिया गया," रामदेव ने कहा।
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