मध्य प्रदेश: भील चित्रकार अनिता ने पति और सास से सीखी चित्रकारी, अब आगे की पीढ़ियों तक ले जाना चाहतीं हैं पारंपरिक कला

भोपाल जनजातीय संग्रहालय में आयोजित 49वीं शलाका जनजातीय चित्र प्रदर्शनी में लगे भील चित्रकार अनिता अमलियार के चित्र।
चित्र को अंतिम स्वरुप देती भील चित्रकार अनिता अमलियार
चित्र को अंतिम स्वरुप देती भील चित्रकार अनिता अमलियार फोटो: अंकित पचौरी, द मूकनायक
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भोपाल। ब्रश की मदद से पर्यावरण और जीव-जंतुओं के चित्र बनाती भील समुदाय की चित्रकार अनिता अमलियार के द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी और विक्रय का संयोजन भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में किया गया है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए अनिता ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए हैं।

वह कहती हैं, "18 साल पहले मेरी शादी चित्रकार सुभाष अमलियार से हुई थी। शादी के पहले तक मुझे पेंटिंग करने का कोई अंदाजा नहीं था। घर में सास को देखती थी, वह पेड़ पौधे, चिड़िया के चित्र बनाती थी। उन्हें देखकर लगा कि मुझे भी अपनी पारम्परिक चित्रकला को सीखना चाहिये, पति और सास से मैंने भील चित्रकला सीखी है।"

युवा भील चित्रकार अनिता अमलियार का जन्म मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल झाबुआ जिले के ग्राम बैडावली में वर्ष 1989 में हुआ था। बचपन ग्रामीण वातावरण में गुजरा, फिर काम की तलाश में वह पिताजी के साथ भोपाल में आकर बस गई। पाँच भाई-बहनों में मँझली अनिता ने 8वीं तक औपचारिक शिक्षा हासिल की है। सुपरिचित भील चित्रकार सुभाष अमलियार से वर्ष 2006 में इनका विवाह हुआ था।

मानव संग्रहालय में कार्यरत वरिष्ठ भील चित्रकार गंगूबाई अमलियार अनिता की सास हैं। अनिता ने बताया कि पति एवं सास के सान्निध्य में रहकर इन्होंने पारंपरिक भील चित्र-शैली की बारीकियों को सीखा-समझा और समय के साथ धीरे-धीरे अपने अनुभवों के आधार पर अपनी स्वतंत्र शैली विकसित करने की कोशिश करने लगी।

चित्रकार अनिता ने साझा किए जीवन के अनुभव
चित्रकार अनिता ने साझा किए जीवन के अनुभव फोटो: द मूकनायक

उन्होंने कहा कि, चित्र बनाते समय वह अपने बचपन में गांव में बिताए समय को याद करती हैं। उन्हीं सब यादों से उन्हें नए चित्र विकसित करने की योजना तैयार हो जाती है। अनिता ने कहा- "हम जो देखते हैं महसूस करते हैं वहीं चित्र बना देते हैं। हम हमारी पारम्परिक चित्रकला को आगे की पीढियों तक ले जाना चाहते हैं।"

हजारों चित्र बना चुकी अनिता

भील चित्रकार अनिता अमलियार अभी तक हजार से भी ज्यादा चित्र बना चुकी हैं। वे पति के चित्रकर्म में भी सहायता करती हैं। अनिता कहती हैं कि, उनके पति सुभाष अमलियार उनके प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए वह अपनी कला के जरिये अपने जातीय गौरव के लिए कुछ बेहतर करने के लिए प्रयासरत हैं।

भील चित्र
भील चित्र

अनिता नागपुर, दिल्ली, केरल, लखनऊ, हैदराबाद आदि कई जगहों पर एकल एवं संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग ले चुकी हैं। अनिता अपनी सफलता का श्रेय अपने पति सुभाष अमलियार को देती हैं, जिनके प्रारम्भिक मार्गदर्शन ने आपकी कला को सुघड़ बनाया। उनके द्वारा बनाए गए चित्रों में प्रकृति और पर्यावरण सहित पशु-पक्षियों का चित्रण प्रमुखता से देखने को मिलता है।

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