मध्य प्रदेश: विंध्य और बुंदेलखंड के बाद आदिवासी विधायक ने शुरू की भील प्रदेश गठन की मांग

इससे पहले मध्य प्रदेश में विंध्य और बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग चली आ रही है। मांग के आधार पर राज्यों के गठन हुए तो मध्य प्रदेश तीन हिस्सों में विभाजित हो जाएगा.
मध्य प्रदेश: विंध्य और बुंदेलखंड के बाद आदिवासी विधायक ने शुरू की भील प्रदेश गठन की मांग
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भोपाल। राजस्थान और गुजरात के बाद मध्य प्रदेश में भी भील प्रदेश की मांग तेज हो रही है। इस मांग को लेकर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के इकलौते विधायक कमलेश्वर डोडियार ने अभियान शुरू किया है। वह जल्द ही पश्चमी मध्य प्रदेश के भील जनजाति बहुल इलाकों में जाकर युवाओं को एकजुट करेंगे। इधर, पहले से ही मध्य प्रदेश में विंध्य और बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग चली आ रही है। मांग के आधार पर राज्यों के गठन हुए तो मध्य प्रदेश तीन हिस्सों में विभाजित हो जाएगा.

आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार विधानसभा के विशेष सत्र में भील प्रदेश की मांग कर चुके हैं। बीते माह प्रदेश की 16वीं विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन विधायक डोडियार ने कहा था कि राज्य और केंद्र सरकार को भील प्रदेश के गठन की मांग पर गौर करना चाहिए।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि लोगों ने उन्हें विधानसभा तक पहुँचाया है तो उनका सबसे पहला मुद्दा भील प्रदेश की मांग है। डोडियार ने बताया कि वह अपने कार्यकाल में क्षेत्र की समस्याओं, मूलभूत जरूरतों के मुद्दे के साथ भील प्रदेश बनाएं जाने की मांग प्रमुखता से करेंगे।

इन पांच सालों में उनका लक्ष्य है कि वह भील प्रदेश गठन के प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराएं। इसी तरह से राजस्थान में उनके पार्टी के तीन विधायक राजस्थान विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित कराएंगे।

मध्य प्रदेश विधानसभा में उठ चुकी है मांग

विधायक ने पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए कहा था कि आदिवासियों के विकास के लिए भील प्रदेश की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान व गुजरात और केंद्र में भाजपा की ही सरकार है। इस मांग पर विचार किया जाना चाहिए।

डोडियार ने विधानसभा में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी छोटे राज्यों के गठन के पक्षधर थे। उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड, मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ और बिहार से झारखंड राज्य बना। इन राज्यों के गठन के बाद तेजी से विकास हुआ। इसलिए भील प्रदेश भी बनना चाहिए।

होगा आदिवासियों का विकास

डोडियार का कहना है कि जिस तरह मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़, और बिहार से झारखंड अलग-अलग राज्य बने और उनमें विकास हुआ। इसी तरह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ जिलों को जोड़कर भील प्रदेश बनाया जा सकता है और इससे आदिवासी समाज का विकास भी होगा।

बुंदेलखंड और विंध्य प्रदेश की भी मांग

मध्य प्रदेश में पूर्व से ही बुंदेलखंड राज्य और विंध्य प्रदेश बनाने की चली आ रही है। इस बार 2023 के चुनाव में विंध्य क्षेत्र में तो भाजपा के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य जनता पार्टी तक का गठन कर लिया है। इसी पार्टी से उन्होंने मैहर विधानसभा से चुनाव लड़ा पर हार गए। नारायण त्रिपाठी और उनकी पार्टी का एजेंडा ही विंध्य प्रदेश बनाए जाने को लेकर है। इधर, बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग भी दो दशकों से चली आ रही है। बुंदेलखंड राज्य को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के जिले में मांग उठ रही है।

108 साल पुरानी है मांग

गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भील प्रदेश को लेकर भारत आदिवासी पार्टी के साथ विभिन्न सामाजिक संगठन इसे उठाते रहे हैं। 108 साल पुरानी यह मांग जिसकी शुरुआत राजस्थान से हुई थी वह अब मध्य प्रदेश तक आ पहुंची है। आदिवासी विधायक इस मांग को तेज कर रहे हैं। विधानसभा में इसकी मांग के बाद से ही पश्चिम मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में मांग तेज हो रही हैं।

इन दोनों प्रदेशों में बीएपी के चार विधायक-

विधानसभा चुनाव 2023 में राजस्थान में बीएपी को 3 और मध्य प्रदेश में 1 सीट पर जीत मिली है। बीएपी राजस्थान विधानसभा की 4 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। बांसवाड़ा-डूंगरपुर इलाके में पार्टी का वोट प्रतिशत 27 के आस-पास रहा।

इन जिलों को शामिल करने की मांग

भील प्रदेश गठन के लिए गुजरात उत्तर पूर्व, राजस्थान के दक्षिण और मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग को शामिल करने की मांग की जा ही है। जिलों के हिसाब से देखा जाए तो इसमें करीब 20 जिलों का पूर्ण हिस्सा और 19 जिलों का आंशिक हिस्सा शामिल किए जाने की मांग की जा रही है। राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद और चित्तौड़गढ़, जालो, बाड़मेर व.पाली इलाके में भील प्रदेश की मांग समय.समय पर उठती रही है। इसी के साथ मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, धारए, बुरहानपुर, बडवानी, खंडवा, खरगोन जैसे जिले में इसकी अलग प्रदेश बनाने की मांग हो रही है। दरअसल इनमें से कुछ जिले के हिस्से गुजरात की शीमा से सटे हुए हैं।

कब शुरू हुई भील प्रदेश की मांग

भारत में भील सबसे पुरानी जनजाति है, जिसकी आबादी करीब 1 करोड़ के आस-पास है। भील द्रविड़ का वील शब्द से बना हुआ है, जिसका मतलब होता है धनुष। भील जनजाति के लोग अपने लिए लंबे वक्त से अलग प्रदेश की मांग कर रहे हैं। साल 1913 में पहली बार मानगढ़ में सामाजिक कार्यकर्ता और खानाबदोश बंजारा जनजाति के गोविंदगिरी ने अपने 1500 समर्थकों के साथ अलग प्रदेश की मांग रखी थी।

रिहा होने के बाद गोविंदगिरी के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने मानगढ़ के पास बड़ा आंदोलन किया। आंदोलन को खत्म करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने अंग्रेजों से सहायता मांगी। इसके बाद की पुलिसिया कार्रवाई में कई भील आदिवासी मारे गए थे। घटना के बाद गोविंदगिरी और पुंजा धीरजी को गिरफ्तार कर अंडमान जेल भेज दिया गया। आजादी के वक्त भी भील प्रदेश की मांग को लेकर सुगबुगाबहट हुई, लेकिन शुरू में इस मांग को ज्यादा तरजीह नहीं दी गई। इसके बाद से ही समय-समय भील प्रदेश की मांग उठने लगी।

कैसे होता है राज्यों का गठन

भारत के संविधान में राज्य के पुनर्गठन या गठन का अधिकार केंद्र को दिया गया है। केंद्र सरकार संसद में प्रस्ताव लाकर राज्यों का गठन कर सकती है। संविधान के अनुच्छेद-3 में केंद्र को इसका अधिकार दिया गया है।

केंद्र सरकार राज्य पुनर्गठन आयोग 1955 की सिफारिश के आधार पर राज्यों का गठन करती है। भारत में आखिरी बार लद्दाख का पुनर्गठन हुआ था। 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। भारत के संविधान में राज्य गठन की वजह का साफ-साफ जिक्र नहीं किया गया है। आमतौर पर 4 आधार पर अब तक राज्यों का गठन किया गया है।

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