जयपुर। राजस्थान के सिरोही जिले का बहुचर्चित कार्तिक भील हत्या कांड अभी तक लोगों के जहन में ताज़ा है। हालांकि सरकार ने कार्तिक भील के परिवार को भुला दिया है। 4 महीने से कार्तिक भील के मासूम बेटे अपनी मां व बुजुर्ग दादा-दादी के साथ सिरोही जिला कलक्टर कार्यालय के बाहर धरना देकर बैठे हैं।
कार्तिक भील का पांच वर्षीय पुत्र भावेश भील व डेढ़ वर्षीय बेटा शैलेश मा संतोष देवी, 78 वर्षीय दादा कपूराराम, 75 वर्षीय रतिदेवी तथा चाचा चाची के साथ सिरोही कलक्टर कार्यालय के बाहर बैठकर 4 महीने से न्याय मांग रहे हैं। अपने सरपरस्त की मौत से अनजान मासूम बच्चे व बुजुर्ग मां बाप की बेबस निगाहें हर दिन यहां आते जाते अधिकारियों को बड़ी उम्मीदों से देखती हैं, लेकिन कोई भी इनकी तरफ पलट कर नहीं देखता।
अपने भाई कार्तिक भील उर्फ कांतिलाल भील के आश्रितों को न्याय के लिए परिवार के साथ धरने पर बैठे प्रवीण कुमार भील ने द मूकनायक से कहा कि जब तक उसके भाई का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था, तब तक अफसरों ने सभी मांगे पूरी करने के वादे किए, शव का पोस्टमार्टम होते ही अंतिम संस्कार भी करवा दिया। "कार्तिक के अंतिम संस्कार के बाद किसी ने भी परिवार की तरफ पलट कर नहीं देखा। कार्तिक की हत्या के आरोप में बरलूट में 8 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें 4 नामजद व चार नकाब पोश भी शामिल थे, लेकिन पुलिस ने खानापूर्ति कर दो लोगों की गिरफ्तारी कर मामले को रफा दफा कर दिया। जबकि नकाब पोश लोग साजिशन कार्तिक की हत्या करने आए थे। पुलिस ने आज तक नकाबपोश बदमाशों को गिरफ्तार कर इनके नामों का खुलासा नहीं किया है," प्रवीण ने कहा।
प्रवीण कुमार ने द मूकनायक से बातचीत में आगे बताया कि कार्तिक की हत्या को लेकर उसके पिता कपूराराम ने पुलिस थाने में तहरीर दी थी, लेकिन राजनीतिक दबाव में पुलिस ने कार्तिक के पिता की तहरीर पर एफआईआर दर्ज नहीं की। प्रवीण का आरोप है कि कार्तिक भील हत्याकांड के मुख्य आरोपियों की पुलिस ने मदद की है।
कार्तिक भील के भाई रूपाराम ने द मूकनायक से कहा कि कार्तिक भील के पोस्टमार्टम करने से पूर्व प्रशासन ने भरोसा दिलाया था कि पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद के साथ ही पत्नी को संविदा पर नौकरी देंगे। शिवगंज कस्बे में बने मकान का पट्टा अभी तक नहीं बनाया गया। कार्तिक की पत्नी को अभी तक नौकरी नहीं दी गई। बच्चों को भी अभी तक राज्य सरकार ने आर्थिक मदद नहीं दी। जो भी मांग थी एक भी पूरी नहीं की गई।
रूपाराम कहते है कि हमारी मांग है कि कार्तिक के बच्चों की पढ़ाई का खर्च राज्य सरकार वहन करे। पत्नी को सरकारी नौकरी व एक करोड़ रुपये आर्थिक मदद की जाए। साथ ही शिवगंज कस्बे के मकान का पट्टा जारी किया जाए। ताकि कार्तिक के मासूम बच्चों का भविष्य संवर सके।
उन्होंने कहा कि इस बीच धरना स्थल से जयपुर पहुंचे कार्तिक के पिता ने कार्तिक के अबोध बच्चों व पत्नी के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने न्याय के लिए उन्हें भरोसा भी दिया था, लेकिन सीएम अभी तक कार्तिक के परिवार को न्याय नहीं दिला सके। यहां भी कोई भी अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
कार्तिक भील उर्फ कांतिलाल भील अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद युवा प्रकोष्ठ सिरोही जिलाध्यक्ष था। स्थानीय जिला सहित प्रदेश भर में कहीं भी दलित व आदिवासियों पर अत्यचार होता तो बहुजनों की आवाज बन कार्तिक न्याय के लिए लड़ता था।
पिता कपूराराम नम आंखों से भर्राई आवाज में कहते हैं, "कार्तिक हमेशा कहता था कि वह समाज के लिए पैदा हुआ है। उसकी हर सांस समाज के न्याय के लिए है।"
कपूराराम कहते हैं कि शिवगंज में उनका पुशतैनी मकान है। कार्तिक परिवार के साथ वर्षों से रह रहे हैं आस पास बड़े पक्के मकान है। इनके बीच उनका अकेला केलूपोश घर है। उनके आदिवासी होने के कारण कुछ लोगों को बड़े-बड़े पक्के मकानों के बीच ये केलू का घर पसंद नहीं था।
उन्होंने आगे कहा कि उनके पास मकान का पुराना पट्टा भी है। इसके बावजूद नगरपालिका प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में साजिश के तहत उनके मकान को सड़क पर अतिक्रमण बताते हुए तोड़ने की कवायद शुरू कर दी थी। कपूराराम कहते हैं कि किसी नेता ने कार्तिक को घर छोड़ने के लिए तीन करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी, लेकिन कार्तिक ने मोटी रकम छोड़ कर अपने आशियाने को बचाने की लड़ाई शुरू की। इससे वह दबंगों की आंख की किरकिरी बन गया था। आरोप है कि 19 नवम्बर 2022 को राजनीतिक षडयंत्र के तहत कार्तिक की हत्या की गई है। हालांकि कार्तिक की मौत के बाद प्रशासन ने घर को तोड़ने की प्रक्रिया को रोक दिया।
कपूराराम कहते हैं कि मंगलवार को ही उन्होंने जिला कलक्टर से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक न्याय मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बुजुर्ग ने आरोप लगाया कि एक विधायक के दबाव में जिला प्रशासन उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि हालांकि मंगलवार को कलक्टर भंवरलाल ने कार्तिक की पत्नी की पेंशन चालू करने का भरोसा दिया है, लेकिन उनकी मांग नौकरी की है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई व परवरिश का जिम्मा सरकार उठाये। परिवार को एक करोड़ की आर्थिक मदद के साथ ही शिवगंज वाले घर का पट्टा बनाकर दे। इस संबंध में द मूकनायक ने जिला कलक्टर सिरोही से बात करने का प्रयास किया, लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका।
आपको बता दें कि, कार्तिक भील की हत्या के बाद न्याय की मांग को लेकर चले आंदोलन में भरतीय ट्राइबल पार्टी से विधायक राजकुमार रोत की अहम भूमिका रही थी। कार्तिक भील के परिवार को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन में भागीदारी भी निभाई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
कार्तिक भील के मामले को लेकर द मूकनायक ने बुधवार को चौरासी विधायक राजकुमार रोत से बात की।
विधायक रोत ने बिना नाम लिए कहा कि स्थानीय विधायक के दबाव में प्रशासन मदद नहीं कर रहा। मुख्यमंत्री के नजदीक होने से विधायक कार्तिक के परिवार को लेकर सीएम को गलत फीडबैक देने के भी आरोप लगाए।
द मूकनायक से बात करते हुए उन्होंने साफ कहा कि वहां के एक स्थानीय विधायक नहीं चाहते कि कार्तिक के परिवार को किसी तरह की मदद मिले। कार्तिक के परिवार को इस स्थिति में लाने में उसी विधायक का हाथ होने से इनकार नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा कि, "2012 या 2013 में मास्टर प्लान बना था। मास्टर प्लान बनने से पहले से शिवगंज में कार्तिक के पिता का घर बना हुआ है। कार्तिक ट्राइबल कम्युनिटी से होने के कारण अधिकारियों ने जानबूझ कर मास्टर प्लान बनाने के दौरान यहां सड़क दर्शा दी। मेरी मंत्री से बात हुई है। इस मास्टर प्लान में कुछ राहत देने का अश्वाशन मिला है।"
रोत आगे कहते हैं कि जहां तक परिवार को आर्थिक मदद का सवाल है, पीड़ित परिवार को केवल एट्रोसिटी के कारण राशि मिली है। इसके अलावा सरकार से कोई राहत नहीं मिली। सरकार ध्यान नहीं दे रही है। रोत ने फिर दोहराया कि कुछ लोगों ने एक तरफा जातिवादी माहौल बना रखा है। इसी पर वह अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। लेकिन हम आदिवासियों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। कार्तिक के परिवार को न्याय दिलाने के लिए कुछ भी करेंगे।
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