उत्तर प्रदेश। राजधानी लखनऊ से 135 किमी दूर रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर डलमऊ तहसील का दीनशाहगौरा ब्लॉक। ब्लॉक कार्यालय से लगभग 5 किमी अंदर मंगतन का डेरा गांव।
करीब 100 घरों में 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में मुख्यतः थारू अनुसूचित जनजाति के लोग बसते हैं।
8 जुलाई 2023 को इस गांव में दिल दहलाने वाला एक वाक्या घटित हुआ। सुबह-सुबह बारिश में भीगते खेलते मस्ती करते मासूमों की खिलखिलाहट चीखों में तब्दील हो गयी। गांव के तालाब की मिट्टी खिसकने से पानी के किनारे खेल रहे 8 बच्चे लबालब तालाब में जा गिरे। बदकिस्मती से पांच बच्चे काल का ग्रास बन गए जबकि 3 बच्चों की जान एक 12 साल की बच्ची सोनिका के अदम्य साहस और सूझबूझ से बच गई।
सीएम योगी ने भी घटना का संज्ञान लेकर शोक व्यक्त किया। पीड़ित परिवार को चार-चार लाख की सहायता दी। अब इस मामले को लेकर रायबरेली के विधायक मनोज कुमार पांडेय ने मानसूत्र सत्र के दौरान इस घटना में पीड़ित परिवार को 20 लाख की सहायता देने की मांग की है। इसके साथ ही तीन जीवन बचाने वाली बच्ची को राष्ट्रपति वीरता पदक दिलाने की मांग की। वहीं इस मामले में संसदीय कार्यक्षेत्र मंत्री सुरेश खन्ना ने पूरे मामले में जिलाधिकारी राय बरेली से रिपोर्ट मांगी है।
द मूकनायक के प्रतिनिधि मंगतन का डेरा गांव पहुंचे जहां ना केवल उस वीर बाला और उसके पिता से बात की बल्कि गांव के रहवासियों की शोचनीय दशा, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की स्थितियों का भी जायज़ा लिया।
मंगतन का डेरा मजरे बांसी रिहायक गांव के निवासी दीपू ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया, "8 जुलाई की सुबह 10 बजे बारिश हो रही थी। धान लगाने का समय था। गांव के अधिकांश लोग अपने खेतों में व्यस्त थे। जिनके पास काम नहीं था वह बारिश के कारण अपने घरों में थे। मैं भी खेत में था। गांव वालों ने मुझे बताया कि सोनू की बेटी सोनम (8) और बेटा विक्की (6) विक्रम की बेटी वैशाली (9), रुपाली (7),जीतू की बेटी रितु (10) अभिषेक (6) खुशी (5) चंद्रिका (9) तालाब में डूब गए हैं। इनमें पांच बच्चों की मौत हो गई है। तीन बच्चों को पुआल की रस्सी से मेरी बेटी सोनिका ने किसी तरह बचा लिया है।"
दीपू की आंखों में अपनी नन्ही बेटी के लिए वात्सल्य के साथ गर्व के आंसू छलक पड़ते हैं।
इस मामले में सोनिका (12) साल ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताया, "वह बकरियों के साथ छप्पर के नीचे बैठी बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी। उसने जब बच्चों को डूबते हुए देखा तो धान रोपने के लिए बनाई गई पुआल की रस्सी डालकर तीन बच्चों को बचा लिया। तालाब से निकले बच्चों ने जब बताया कि तालाब में कई और बच्चे भी हैं तो वो भीगते हुए गांव की तरफ दौड़ी और पूरी घटना बताई।" सोनिका ने कहा "मैं बकरी चरा रही थी। गांव के पास के तालाब में ही मुझे तीन बच्चे तालाब में छटपटाते दिखे। मैंने तुरंत उनको बचाने के लिए पास में पड़ी पुआल की रस्सी फेंक दी। किसी तरह अभिषेक (6) खुशी (5) चंद्रिका (9) को बचा लिया। मैंने जब उनसे पूछा कि तालाब में और कोई है? इस पर पता चला सोनम (8), विक्की (6) वैशाली (9), रुपाली (7), रितु (10) भी हैं। वह मुझे तालाब में दिख नहीं रहे थे मैं गांव की तरफ दौड़ी और सभी को ये बात बताई। जिसके बाद उन्हें निकाला गया। सभी लोग कह रहे थे कि पांचों मर गए है।"
एक साथ पांच बच्चों की मौत से गांव में मातम छा गया और पीड़ित परिवारों में कोहराम मच गया। हादसे की सूचना पर एसपी आलोक प्रियदर्शी के साथ ही एडीएम, एसडीएम समेत राजस्व विभाग की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर पड़ताल की।
जानकारी के मुताबिक मंगतन का डेरा मजरे बांसी रिहायक गांव के किनारे बना तालाब करीब आठ साल पुराना है। इसमें बांसी रिहायक मुरैथी माइनर से पानी आता रहता है। इसमें मंगता लोग मछली भी पालते हैं। बारिश से तालाब उफन गया। गांव के बाहर सुबह बच्चे खेलकूद रहे थे। पूर्वाह्न 10 बजे गांव के आठ बच्चे तालाब में नहाने उतर गए थे। नहाते समय बच्चों को तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं लग पाया और एक के बाद एक डूब गए।
मृतक वैशाली, सोनम प्राथमिक स्कूल बांसी रिहायक में कक्षा दो, रुपाली, रीतू, अमित आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ाई कर रहे थे। हादसे की जानकारी पर उपजिलाधिकारी डलमऊ आशाराम वर्मा, नायब तहसीलदार शिवम सिंह राठौर, गदागंज प्रभारी शरद कुमार फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे थे।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके शोक जताया था। उन्होंने ट्वीट में कहा था जिन परिवारों के बच्चों की जान गई है उन्हें चार-चार लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। वादे के मुताबिक इन बच्चों के परिवार को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।
द मूकनायक ने बांसी रिहायक गांव के मंगतन का डेरा मजरे में उन तीन परिवारों की स्थिति जानी जिन्होंने हादसे में अपने बच्चे खोए हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। परिवार के पास 5 से 10 बिसवां से अधिक खेत नहीं है। परिवार का पेट पालने के लिए इस परिवार की महिलाएं भीख मांगती है। जबकि पुरुष मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं।
रायबरेली में 8 जुलाई को हुए इस मामले को लेकर 10 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय ने तीन बच्चों की जान बचाने वाली बच्ची सोनिका को राष्ट्रपति पदक दिए जाने की मांग की है।
इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है। वहीं इस मामले में संसदीय कार्यक्षेत्र मंत्री सुरेश खन्ना ने पूरे मामले में जिलाधिकारी राय बरेली से रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में रायबरेली जिलाधिकारी ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया-'तीन जान बचाने वाली बेटी को राष्ट्रपति पदक दिलाने के लिए पत्राचार किया जा रहा है।'
सोनिका अनुसूचित जनजाति परिवार की बेटी है। सोनिका के पिता दीपू (45) दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं। सोनिका की मां गांव-गांव जाकर मांगकर आजीविका कमाती हैं। सोनिका के परिवार में उसके 6 भाई बहन और हैं। सोनिका पढ़ने जाती है,लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण शिक्षा सही से नहीं हो पाती है। सोनिका और उसके चार भाई-बहन स्कूल जाते हैं। जबकि तीन की उम्र छोटी है।
द मूकनायक जब सोनिका के गांव पहुंचा। गांव के कोने में एक घर के बाहर चारपाई पर बैठी सोनिका किताबों के पन्ने पलट रही थी। द मूकनायक प्रतिनिधि ने सोनिका से बातचीत की। सोनिका ने बताया वह कक्षा छह की छात्रा है। लेकिन जब सोनिका से किताब पढ़ने के लिए कहा गया तो वह पढ़ पाने में अक्षम थी। सोनिका द मूकनायक प्रतिनिधि को बताती हैं, "तीन साल तबीयत खराब हो जाने के कारण उसकी पढ़ाई छूट गई। वह पढ़ लिखकर पुलिस अफसर बनना चाहती है."
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