रांची। "भाजपा की डबल इंजन सरकार में आदिवासियों की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। न तो हमारे पास अपनी जमीन है और न ही हमारी संस्कृति सुरक्षित है" - यह गंभीर आरोप रांची प्रेस क्लब में हाल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में तीन राज्यों से आए आदिवासी नेताओं ने लगाया। लोकतंत्र बचाओ अभियान द्वारा आयोजित इस वार्ता में असम, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी कार्यकर्ताओं ने अपने राज्यों में डबल इंजन सरकार के शासन में आदिवासियों की दयनीय स्थिति का खुलासा किया।
ऑल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन के एमानुएल पूर्ति ने बताया कि असम में लाखों झारखंडी आदिवासियों की स्थिति दयनीय है। "चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासी मजदूरों को महज 150-225 रुपये दैनिक मजदूरी मिलती है। न तो अनुसूचित जनजाति का दर्जा है और न ही जमीन का अधिकार। जबकि हिमंत बिसवा सरमा झारखंड में आदिवासी हितैषी बनने की कोशिश कर रहे हैं," उन्होंने व्यंग्य किया।
पूर्ति ने कहा, "जहां झारखंड में सीएनटी-एसपीटी कानून आदिवासियों को सुरक्षा देता है, वहीं असम में ऐसा कोई कानून नहीं। भाजपा सरकार में न तो भाषा-संस्कृति का संरक्षण है और न ही जल, जंगल, जमीन पर अधिकार।"
"डबल बुलडोजर सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार की सीमा नहीं रही," मध्य प्रदेश से आए आदिवासी नेता राधेश्याम काकोड़िया ने यह गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने एक चौंकाने वाली घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक आदिवासी पर सवर्ण व्यक्ति द्वारा पेशाब करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
"भाजपा और आरएसएस द्वारा आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था और त्योहारों को खत्म किया जा रहा है। बांध, खनन और उद्योगों के लिए बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है, लेकिन न तो उचित मुआवजा मिल रहा है और न ही पुनर्वास," काकोड़िया ने कहा।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने बताया कि भाजपा सरकार बनते ही हसदेव अरण्य में सुरक्षा बलों की तैनाती कर जंगल की अंधाधुंध कटाई शुरू कर दी गई। "सिर्फ हसदेव में अदानी के लिए तीन खनन परियोजनाओं में 9 लाख पेड़ों की कटाई का खतरा है। बिना ग्राम सभा की सहमति के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खनन किया जा रहा है।"
"विरोध करने वालों को माओवादी घोषित कर एनकाउंटर किया जा रहा है। केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार मिलकर सभी संसाधनों को पूंजीपतियों को सौंप रही है," शुक्ला ने कहा।
लोकतंत्र बचाओ अभियान की एलिना होरो ने कहा कि भाजपा आदिवासियों के मूल मुद्दों से भटका रही है। "सीएनटी-एसपीटी कानून, सरना कोड, और खतियान आधारित स्थानीय नीति पर चुप्पी साधे हुए हैं। सोशल मीडिया पर करोड़ों खर्च कर झूठ और सांप्रदायिकता फैलाई जा रही है।" हाल में जारी हुई शोध रिपोर्ट ने भाजपा के नफरती एजेंडा काफिर से पोल खोल दिया है. भाजपा सोशल मीडिया पर करोड़ों खर्च करके विभिन्न शैडो अकाउंट के माध्यम से झूठ व साम्प्रदायिकता फैला रही है. और आदिवासी मुख्यमंत्री को जानवर, मच्छर, हैवान आदि के रूप में चित्रित कर रही है, दिखा रही है. इस परिस्थिति में लोकतंत्र बचाओ अभियान का आव्हान है कि राज्य में डबल बुलडोजर भाजपा राज न आए बल्कि अबुआ राज बने.
कर्नाटक से आईं सामाजिक कार्यकर्ता तारा राव सहित तीनों राज्यों के कार्यकर्ताओं ने झारखंड के लोगों को सचेत किया कि वे किसी भी कीमत पर "डबल इंजन भाजपा राज" न आने दें और अबुआ राज कायम करें।
प्रेस वार्ता में यह भी उजागर हुआ कि चुनाव आयोग इन मुद्दों पर मूकदर्शक है। प्रधानमंत्री से लेकर हिमंत बिस्व सरमा तक सभी भाजपा नेता केवल सांप्रदायिक भाषण दे रहे हैं, जबकि आदिवासियों के असली मुद्दे दरकिनार हैं।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि रघुवर दास सरकार में झारखंड पहले ही डबल इंजन सरकार का दर्द झेल चुका है। अब भाजपा के सांप्रदायिक चुनावी अभियान से साफ है कि वह आदिवासियों के अधिकारों की बजाय धार्मिक ध्रुवीकरण पर ध्यान दे रही है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.