राजस्थान। निर्धन परिवारों के होनहार बच्चे अक्सर धनाभाव के कारण नीट की महंगी कोचिंग नहीं कर पाते और उन्हें अपने सपनों को यूँ ही छोड़ देने पर मजबूर होना पड़ता है लेकिन मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के लागू होने के बाद से स्थिति में व्यापक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। इस योजना का उद्देश्य राजस्थान राज्य के क्षेत्र में जातियों, जातियों में विशेष पिछडा वर्ग, अन्य पिछडा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के बी.पी.एल. परिवार के विद्यार्थियों को जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, और विभिन्न घटक परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं, उन सभी के लिए राजस्थान सरकार आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। सरकार का उद्देश्य उन सभी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करना है। इसी कड़ी में उदयपुर के माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (टीआरआई) में राज्य के कई जिलों की छात्राएं नि:शुल्क नीट कोचिंग प्राप्त कर अपना भविष्य संवार रही हैं तथा यहाँ उन्हें उत्कृष्ट सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत नीट की निशुल्क कोचिंग करने वालों में से एक सुनीता कुमारी मीणा पिता ऋषिकेश मीणा उदयपुर स्थित राजकीय बहूद्देशीय जनजाति छात्रावास में रह कर माणिक्य लाल आदिम जनजाति शोध संस्थान परिसर में प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान (एलेन) द्वारा कराई जा रही नीट की निःशुल्क कोचिंग कर रही हैं एवं डॉक्टर बनने की राह पर निरंतर अग्रसर हैं। सुनीता बताती हैं कि अगर मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना नहीं होती तो आज वे यहां नहीं होती।
सुनीता ने बताया कि वह एक निर्धन परिवार से है, परिवार में तीन बहने और दो छोटे भाई हैं एवं माता-पिता खेती करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनके गाँव में लोग कम पढे़-लिखे हैं, ऐसे में लड़कियों की शादी दसवीं पास होते ही कर दी जाती है लेकिन उनके पिता ऋषिकेश मीणा प्रगतिशील विचारों के समर्थक हैं। वे बेटों के साथ-साथ अपनी बेटियों को भी आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। जब उन्होंने अपनी बेटी को नीट की पढ़ाई के लिए बाहर भेजा तब लोगों ने उनके परिवार को खूब उलाहने दिए और कहा कि बेटी को पढ़ा कर क्या करोगे? लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी।
सुनीता ने बताया कि उन्हें आठवीं कक्षा से ही उन्हें विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न हो गई थी। अपने घर की कमजोर परिस्थितियों को देख उन्होंने आठवीं कक्ष में ही अपने माता-पिता से वायदा किया कि एक दिन ऐसा कुछ बन कर जरूर बताएगी जिससे अपने परिवार को मजबूत करे और नाम रोशन करे। उन्होंने जब अपने पिता को बताया कि उन्हें डॉक्टर बनना है तब पिता ने भी सहमति दे दी। स्कूली शिक्षा का सिलसिला चलता रहा एवं इसी बीच उन्हें उनके प्रधानाचार्य ने राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के बारे में बताया। इस योजना के तहत आवेदन करने के पश्चात् सुनीता का उदयपुर में स्क्रीनिंग टेस्ट हुआ जिसमें राज्यभर से जीव विज्ञान की 11वीं कक्षा की इच्छुक छात्राओं ने परीक्षा दी तथा कुल 200 छात्राओं में उनका चयन हुआ।
चयन के पश्चात उन्हें उदयपुर बुलाया गया और टीआरआई परिसर स्थित राजकीय जनजाति बहुउद्देशीय छात्रावास में दाखिला मिला।
सुनीता बताती हैं कि उन्हें विश्वास नहीं हुआ जब यह पता चला कि देश की एक सबसे प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में उनका नि:शुल्क कोचिंग हेतु चयन हुआ है। उनकी कोचिंग 18 अक्टूबर 2021 को शुरू हुई तथा तब से वे यहाँ नि:शुल्क कोचिंग कर रही हैं और छात्रावास में रहवास की उत्कृष्ट व्यवस्थाएं भी मिल रही हैं एवं यहां की वार्डन भी उनका पूरा ख्याल रखती हैं। सुनीता ने बताया कि वह एलन से कोचिंग पाकर बहुत उत्साहित हैं और एक सफल डॉक्टर बनने के दृढ़ निश्चय के साथ निरंतर तैयारी कर रही हैं।
सुनीता ने कहा है कि किसी भी माता-पिता को अपनी बेटियों को पढ़ाई से वंचित नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा दिन-रात महिला शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य करते हुए हर योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना लागू नहीं करते तो शायद वह कभी नीट की तैयारी ही नहीं कर पाती।
टीआरआई की अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी डॉ अमृता दाधीच ने बताया कि राज्य के कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थियों को प्रोफेशनल कोर्स एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी कराने के उद्देश्य से इस योजना की शुरूआत की गई थी। आशा के अनुरूप योजना की सफलता को देखते हुए गत वर्ष 2022-23 के बजट में लाभार्थियों की संख्या 10 हजार से बढ़ाकर 15 हजार की गई थी, जिसे वर्ष 2023-24 के बजट में बढ़ाकर 30 हजार कर दिया गया है।
अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत् विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए शैक्षणिक सत्र 2023-24 में कोचिंग करने के लिए अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन 20 अप्रैल तक मांगे गये है। उदयपुर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी खुशबू शर्मा ने बताया कि आवेदन करने के लिए आवेदक के माता-पिता या अभिभावक की वार्षिक आय 8 लाख रूपये से कम हो या माता-पिता राज्य सरकार के कार्मिक होने पर पे-मेट्रिक्स लेवल-11 तक का वेतन प्राप्त कर रहे हो।
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