रांची - झारखंड में भाजपा के नेताओं ने हाल के महीनों में लगातार यह दावा किया है कि संथाल परगना में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये आकर बस गए हैं। इन घुसपैठियों पर आरोप लगाया गया है कि वे आदिवासियों की ज़मीन कब्जा रहे हैं, आदिवासी महिलाओं से विवाह कर रहे हैं और इस कारण आदिवासियों की जनसंख्या घट रही है। इन दावों के समर्थन में भाजपा ने हाल की कई हिंसात्मक घटनाओं को बांग्लादेशी घुसपैठियों से जोड़ा है। इस संदर्भ में झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान ने क्षेत्रीय तथ्यों का विश्लेषण करने के लिए एक विस्तृत तथ्यान्वेषण किया।
तथ्यान्वेषण दल ने संथाल परगना क्षेत्र के प्रमुख गांवों और घटनास्थलों का दौरा किया, जिनमें गायबथान, तारानगर-इलामी, गोपीनाथपुर, कुलापहाड़ी और केकेएम कॉलेज शामिल हैं। दल ने स्थानीय लोगों, पीड़ितों, आरोपियों, ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विस्तृत बातचीत की।
इसके साथ ही, 1901 से अब तक की जनगणना के आंकड़े, सेन्सस रिपोर्ट, गजेटियर, और क्षेत्रीय डेमोग्राफी से संबंधित शोध पत्रों का अध्ययन किया गया। तथ्यों को हाल ही में प्रेस क्लब, रांची में मीडिया के समक्ष साझा किया गया. दल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ज़मीनी हकीकत भाजपा के संप्रदायिक दावों से कोसो दूर है.
गायबथान
गायबथान गांव में आदिवासी और मुसलमान परिवार के बीच लगभग 30 वर्षों से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। 18 जुलाई को विवाद के दौरान मारपीट हुई। इसके बाद 27 जुलाई को केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्र संघ ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके एक रात पहले पुलिस ने कॉलेज के छात्रावास में छात्रों की पिटाई की।
तारानगर-इलामी
तारानगर-इलामी में एक हिंदू लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने के बाद हिंदू परिवारों ने एक मुसलमान परिवार पर हमला किया। इस घटना के बाद अफवाह फैली कि मुसलमान महिला की मौत हो गई है, जिससे मुसलमानों ने हिंदू टोले में तोड़-फोड़ की।
गोपीनाथपुर
गोपीनाथपुर में बकरीद के दौरान कुरबानी को लेकर विवाद हुआ। इस विवाद में मुसलमानों और हिंदुओं के बीच हिंसा हुई।
फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बनाने वाले दल का कहना है कि भाजपा के राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय नेता जो बोल रहे हैं कि बंगलादेशी मुसलमान घुसपैठिये इन घटनाओं के लिए जिम्मेवार है. लेकिन तथ्यान्वेंशन के दौरान दल ने यह पाया कि जो भी घटना हुई है, वहीं के रहने वाले समुदायों व स्थानीय लोगों के बीच हुई है इन सभी गावों के किसी भी ग्रामीण आदिवासी, हिंदू या मुसलमान ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के बसने की बात नहीं की.
यहां तक कि तारानगर इलामी में रहने वाले भाजपा के मंडल अध्यक्ष भी बोले कि उनके क्षेत्र में सभी मुसलमान वहीं के निवासी है. इसी गाँव के मामले को निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हिंसा का मामला बनाकर उछाला था. दल ने कई गावों का दौरा किया एवं सभी गावों में ग्रामीणों, शहर के लोगों, छात्रों, जन प्रतिनिधियों आदि से पूछा कि किसी को आजतक एक भी वांग्लादेशी घुसपैठी की जानकारी है या नहीं. सबने बोला कि नहीं है. जब पूछा गया कि घुसपैठी की बात कहां सुने हैं- सबने कहा कि सोशल मीडिया पर सुने हैं लेकिन आजतक देखे नहीं हैं. चाहे जमीन लेकर बसने की बात हो, आदिवासी महिलाओं से शादी की बात हो या हाल के हिंसा की बात हो, इनमें बांग्लादेशी घुसपैठी का कोई सवाल ही नहीं है
सामाजिक विवादों का सांप्रदायिककरण: भाजपा के नेताओं द्वारा स्थानीय विवादों को बांग्लादेशी घुसपैठियों से जोड़कर सांप्रदायिक मुद्दा बनाया गया है। आदिवासी महिलाओं के निजी जीवन को सांप्रदायिक बयानों से जोड़कर उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। क्षेत्र में आदिवासी महिलाओं द्वारा हिंदू व मुसलमान गैर-आदिवासियों से शादी करने के कई उदहारण है. पर इन महिलाओं ने अपनी सहमति और आपसी पसंद से शादी की है यह भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि राजनैतिक दलों और लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर महिलाओं की सूची और उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी बातों को प्रसारित करना उनकी निजता के अधिकार का व्यापक उल्लंघन है.
भाजपा यह फैला रही है कि बांग्लादेशी मुसलमान ज़मीन लूटने के लिए आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं. इस सम्बन्ध में अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य व भाजपा नेता आशा लकड़ा ने 28 जुलाई को प्रेस वार्ता कर एक सूची जारी की जिसमें संथाल परगना क्षेत्र की 10 आदिवासी महिला जन प्रतिनिधियों और उनके मुसलमान पति के नाम थे . उन्होंने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान व बांग्लादेशी घुसपैठिये आदिवासी महिलाओं को फंसा रहे हैं. तथ्यान्वेषण दल ऐसी कई महिलाओं से मिला. ऐसा एक भी मामला नहीं मिला जिसमें बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिये से शादी हुई हो. स्थानीय ग्रामीणों को भी ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है. इन 10 में 6 महिलाओं ने स्थानीय मुसलमानों से शादी की है और चार के पति तो आदिवासी ही हैं.
असत्य दावे: तथ्यान्वेषण में यह पाया गया कि भाजपा द्वारा उठाए गए मुद्दों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई प्रमाण नहीं मिला। स्थानीय लोग और क्षेत्रीय अधिकारी भी इन दावों को खारिज करते हैं।
आदिवासी ज़मीन का उल्लंघन: संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का व्यापक उल्लंघन हो रहा है। आदिवासी अपनी ज़मीन गैर-आदिवासियों को अनौपचारिक और गैर-कानूनी तरीकों से बेच रहे हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति की कमजोरी को दर्शाता है।
संथाल परगना में आदिवासियों की सामाजिक आर्थिक समस्याएं पूर्व व वर्तमान राज्य सरकार की विफलता को भी दर्शाती है. संथाल परगना समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों के मूल मुद्दे जैसे आदिवासियों की कमज़ोर आर्थिक स्थिति, गैर-आदिवासियों का SPTA का उल्लंघन कर जमीन खरीदना, सरकारी नौकरियों पर गैर-आदिवासियों और अन्य राज्यों के लोगों का कब्जा, अपर्याप्त पोषण, अपर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था, आर्थिक तंगी के कारण आदिवासियों का अधिक मृत्यु दरआदि पर सरकार की कार्यवाई निराशाजनक है.
आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट: भाजपा लगातार बोल रही है कि बांग्लादेशी घुसपैठिये के कारण पिछले 24 सालों में आदिवासियों की जनसँख्या 10-16% कम हुई है. रिपोर्ट के अनुसार पहली बात तो बांग्लादेशी घुसपैठी के बसने का ही कोई प्रमाण नहीं है. दूसरी बात, जनगणना के आंकड़ों के अनुसार संथाल परगना क्षेत्र में 1951 में 46.8% आदिवासी, 9.44% मुसलमान और 43.5% हिंदू थे , वही 1991 में 31.89% आदिवासी थे और 18.25% मुसलमान.
आखिरी जनगणना (2011) के अनुसार क्षेत्र में 28.11% आदिवासी थे, 22.73%% मुसलमान और 49% हिंदू थे. 1951 से 2011 के बीच हिन्दुओं की आबादी 24 लाख बढ़ी है, मुसलमानों की 13.6 लाख और आदिवासियों की 8.7 लाख.
आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारणों में अपर्याप्त पोषण, स्वास्थ्य व्यवस्था, और आर्थिक तंगी शामिल हैं। बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी इन कारणों में शामिल नहीं है।
भाजपा के सांप्रदायिक दावे और असलियत: भाजपा द्वारा प्रस्तुत आंकड़े और दावे असत्य हैं। आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट के वास्तविक कारणों को समझने की जरूरत है।
झारखंड जनाधिकार महासभा व लोकतंत्र बचाओ अभियान राज्य सरकार से निम्न मांगे करते हैं:
भाजपा व अन्य किसी भी नेता या सामाजिक संगठन द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग, जो विभिन्न घटनाओं को इनके साथ जोड़ने व साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए करती है, उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई हो. किसी भी परिस्थिति में समाज के तानेबाने को तोड़ने न दिया जाए.
गायबथान, तारानगर-इलामी, गोपीनाथपुर, कुलापहाड़ी व केकेएम कॉलेज घटना में पुलिस दोषियों के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई करें. केकेएम कॉलेज के छात्रावास में छात्रों पर हुई हिंसा के लिए दोषी पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई हो.
संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का कड़ाई से पालन हो. किसी भी परिस्थिति में आदिवासी ज़मीन गैर-आदिवासी को बेचा न जाए. जल्द से जल्द revisional survey को पूरा कर सर्वे रिपोर्ट जारी हो.
पांचवी अनुसूची और पेसा प्रावधानों का कड़ाई से पालन हो. साहिबगंज व पाकुड़ समेत संथाल परगना के अन्य ज़िला प्रशासन द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठी की जनता द्वारा जानकारी देने के लिए स्थापित फ़ोन व्यवस्था को तुरंत रद्द किया जाए.
संथाल परगना समेत राज्य के सभी पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों की आर्थिक स्थिति, कम जनसँख्या वृद्धि दर के कारण, गैर-आदिवासियों का बसना, गैर आदिवासियों का नौकरियों पर कब्ज़ा, आदिवासियों का पलायन आदि पर अध्ययन के लिए राज्य सरकार एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे.
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