जयपुर। शासन की अनदेखी का असर हुआ न प्रशासन की प्रताड़ना जिद को मोड़ सकी। दुनिया को डरा रहा बिपरजॉय तूफान भी कार्तिक के परिवार के हौसलों को नहीं तोड़ सका. कार्तिक भील के बुजुर्ग पिता कपूराम भील की जिद है कि जब तक बेटे के हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेज देते। घर की तरफ नहीं लौटेंगे।
कपूराम कहते हैं मेरे बेटे कार्तिक ने समाज के लिए लड़ते हुए प्राण त्याग दिए। अब उसके अबोध बच्चे न्याय के लिए समाज की ओर देख रहे हैं।
प्रवीण भील (कार्तिक के भाई) ने द मूकनायक को बताया कि कार्तिक की पत्नी बच्चों के साथ 7 महीने से कलक्टरी परिसर में डेरा डाले हुए हैं। पत्नी अपने पति के न्याय के लिए मासूम बच्चों के साथ यहां से गुजरती अफसरों की गाड़ियों की तरफ न्याय की उम्मीद से देखती है। बुजुर्ग पिता भी पथराई आंखों से सरकारी दफ्तरों को निहारते रहते हैं, लेकिन कहीं से न्याय की उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आती।
आम आदमी की आवाज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव भंवर आदिवासी ने बताया कि कार्तिक भील का परिवार पिछले सात महीनों से सिरोही जिला मुख्यालय पर धरना देकर बैठा है। सात महीने के दरमियान में इस परिवार ने कई प्रताड़ना झेली है। पिता की हत्या पर न्याय के लिए कार्तिक के बच्चों ने हाड कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड की काली रातें सड़क पर गुजारी है। गर्मी में झुलसा देने वाली धूप में तपे। मासूम बच्चों को धूप से बचाने के लिए कपड़ा बांधा गया। इससे भी राजनीतिक दबाव में लोग हटाने पहुंचे। प्रताड़ित करने के लिए रोड लाइट तक बन्द करवा दी गई। ताकि यह परिवार अंधेरे में रहे और मजबूर होकर धरना छोड़ कर चला जाए।
न्याय के लिए कार्तिक के परिवार ने हर सितम सहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। अब बीते तीन दिनों से अंधी तूफान और बारिश के कहर से परेशान है।
कार्तिक के भाई प्रवीण भील कहते हैं कि बारिश होने से चूल्हा नहीं जल रहा था। पिता के न्याय के लिए धरना देकर बैठे मासूम बच्चे भूख से तड़प रहे थे। मजबूरी में धरना स्थल पर पानी से बचने के लिए तिरपाल लगा लिया।
इसी के नीचे चूल्हा जला कर रोटियां बना रहे हैं। प्रवीण कहते हैं कि हमेशा डर लगा रहता है कि कब बरसते पानी में आकर प्रशासन के लोग तिरपाल भी हटा दें। पहले धूप से बचने के लिए लगाया कपड़ा भी हटाने आ गए थे।
7 महीने से धरने पर बैठे कार्तिक भील के परिवार के समर्थन में गत सोमवार 19 जून को सिरोही जिला मुख्यालय पर बहुजन समाज की बड़ी जन आक्रोश सभा होना प्रस्तावित था, लेकिन बिपरजॉय तूफान के चलते बहुजन नेताओं को सभा टालनी पड़ी।
कार्तिक भील को न्याय दिलाने के लिए दलित-आदिवासी संगठनों के प्रदेश प्रतिनिधियों ने रविवार से ही सिरोही में पहुंचना शुरू कर दिया था। यह सभी आंदोलन की रणनीति को लेकर पहले से तैयारी में थे, लेकिन बिपरजॉय तूफान ने किए कराए पर पानी फेर दिया। तूफान के चलते बहुजन आंदोलन टलने से सिरोही प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि विभिन्न बहुजन संगठनों के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को एक मांग पत्र सौंपा है।
आजाद विद्रोही संवैधानिक विचार मंच के संस्थापक गिगराज जोडली ने द मूकनायक को बताया कि हम धरना स्थल पर पहुंचे है। 7 महीने से यह धरना चल रहा है। यहां शासन-प्रशासन कतई नहीं चाहता कि कार्तिक के परिवार को न्याय मिले। 7 महीने पहले जो मांग थी आज भी वही मांग है। हत्या के शेष आरोपियों की गिरफ्तारी हो, परिवार को 50 लाख का मुआवजा, सरकारी नौकरी और जिस भूमि के कारण कार्तिक की हत्या करवाई गई उस भूमि का पट्टा दिया जाए। इन मांगों को लेकर सिरोही जिला प्रशासन को ज्ञापन भी दिया है। मांग पूरी नहीं होगी तब तक धरना जारी रहेगा।
धरना स्थल पर तमिलनाडु से आए रमणा स्वामी अयप्पा ने कहा कि अब यह लड़ाई न्याय के साथ आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के स्वाभिमान की हो गई है। इस लिए कार्तिक भील के परिवार को न्याय दिलाने के साथ स्वाभिमान की रक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आंदोलन से जुड़े।
भीम आर्मी संगठन मंत्री मोतीलाल हीरागर ने कहा कि कार्तिक के परिवार की जायज मांगे है। सरकार इन मांगो को पूरा करें। हमारा संगठन कार्तिक के परिवार के साथ न्याय की लड़ाई में हमेशा अग्रणी रहेगा।
भीम आर्मी से जुड़े रहीश अहमद मलिक ने कहा कि हमने पूरे भारत में कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन यहां कांग्रेस जातिवादी मानसिकता के साथ काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्तिक के हत्यारोपियों की जाति के कारण ही, उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। रहीश अहमद ने कहा मुख्यमंत्री पश्चिमी राजस्थान से आते हैं। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा अत्याचार दलित, आदिवासी और मुसलमानों पर हो रहा है।
जोधपुर से आए सामाजिक कार्यकर्ता जीतू भील ने कहा कि 19 जून को यहां आंदोलन का आह्वान किया गया था। मौसम के कारण स्थगित करना पड़ा। कार्तिक भील की लड़ाई के साथ बहुजन समाज अब जातिवादी जहर के खात्मे की लड़ाई भी लड़ेगा।
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