सुकमा। माओवादियों की दक्षिण बस्तर डिविजन कमेटी ने एक प्रेस वक्तव्य भी जारी किया। इस प्रेस नोट में लिखा गया कि दक्षिण बस्तर के पामेड़ में किस्टारम, सरहदी इलाक़ों में मड़क गुडा, मेट्टागुड्डा, बोट्टेतोगं, साकिलेर सहित कई जगह जंगल पहाड़ों को निशाना बनाते हुए, ड्रोन हेलिकॉप्टर द्वारा तेलंगाना, छत्तीसगढ़ के पुलिस समन्वय में हवाई बमबारी कर रहे हैं। आगे लिखा गया कि पिछले साल 15 अप्रैल को भी इस इलाके में बमबारी की गयी थी। आगे लिखा गया कि भीषण बमबारी से जनता अपने खेतों में नहीं जा पा रही है। लोगों में अत्यंत डर का माहौल बना हुआ है।
प्रेस नोट में आगे यह भी उल्लेखित है कि केन्द्रीय गृहमंत्री ने यह घोषणा भी की है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले माओवादी पार्टी को जड़ से मिटायेंगे। इसी योजना अंतर्गत 'घेरा डालो उन्मूलन करो' अभियान संचालित करते हुए, हमारी पार्टी पीएलजीए, क्रांतिकारी जन कमेटियों एवं जनता का सफाया करने की योजना पर केंद्र की ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादी सरकार एवं छत्तीसगढ़ की जनविरोधी व आदिवासी विरोधी कांग्रेस सरकार के दिशानिर्देश में आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
इस मामले के तथ्यान्वेषण के लिए इस क्षेत्र में कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गनाइज़ेशन की 25 सदस्यीय टीम (CDRO) भी गयी, जिसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल से छत्तीसगढ़ और दिल्ली कैंप चौकी पर रोका गया। फोरम अगेन्स्ट कॉरपोरेटाइजेशन एन्ड मिलिटराइजेशन (FACAM) दिल्ली के एक दस्तावेज में ऐसा बताया गया। दस्तावेज यह भी बताता है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के डबबटोटा शहर में 1 फरवरी को उन्हें (टीम को) लगातार प्रताड़ित भी किया जा रहा था।
यह उल्लेख करना उचित है कि यह टीम बीजापुर और सुकमा के विभिन्न गांवों में बमबारी के मामले की जांच के लिए 'फैक्ट फाइंडिंग मिशन' पर थी।
यह पहली दफा नहीं है कि माओवादियों को खत्म करने के लिए इन जगहों में हवाई बमबारी अभियान चलाया गया है। विगत 2 वर्षों में अप्रैल 2021 और 2022 में हवाई बमबारी देखी गई है। इस बार कई गाँवों पर बमबारी की गई है, इससे यह खतरनाक है कि लोगों पर हवाई हमले और युद्ध छेड़ दिया जाता है, माओवादी आंदोलन या नक्सलियों का मुकाबला करने के नाम पर, जिसे अब तक माना जाता था।
इस मामले पर प्रशासन का विचार जानने के लिए द मूकनायक ने सुकमा प्रशासन से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन अधिकारियों की तरफ से स्पष्ट बयान नहीं आया। वहीं अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में, एक अधिकारी का बयान आया कि यह मामला फोर्स को बदनाम करने की नक्सलियों की साजिश थी। अधिकारी आगे कहते हैं कि, माओवादियों की ताकत अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इसलिए वह बौखलाए हुए हैं।
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