भोपाल। मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी/कर्मचारी संघ (अजाक्स) ने पदोन्नति में आरक्षण के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर यह पूछा है कि अजाक्स के सम्मेलन में की गई घोषणा का पालन कब किया जाएगा? दरअसल मुख्यमंत्री ने साल 2016 में अजाक्स सम्मेलन में हजारों की संख्या में मौजूद एससी/एसटी अधिकारी कर्मचारियों से पदोन्नति में आरक्षण देने का वादा किया था।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांतीय प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण ने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण संबंधी राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश में स्पेशल कौंसिल एवं उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट मनोज गौरकेला से बनवाए गए नए नियम अब तक लागू नहीं किए गए हैं। इसका मसौदा तैयार रखा है। इसके बावजूद सरकार का इस ओर ध्यान नहीं हैं।
संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर याद दिलाया है की 12 जून, 2016 को टीटी नगर दशहरा मैदान में हुए अजाक्स के प्रांतीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने वक्तव्य में पदोन्नति में आरक्षण देने की बात कही थी। यह भी कहा था कि उनके रहते पदोन्नति में आरक्षण कोई समाप्त नहीं कर सकता।
मुख्यमंत्री के वादे के सात साल बाद भी मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को प्रोमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जानकारी अनुसार जल्द ही अजाक्स आंदोलन कर सकता है। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अधिकारी, कर्मचारी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि अजाक्स अगस्त तक एक बड़ा सम्मेलन भोपाल में आयोजित कर सकता है। जिसमें वर्ग कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों और लंबित मांगो को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं।
2016 हाईकोर्ट जबलपुर ने मध्य प्रदेश में प्रोमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी थी। सरकार इस हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन मध्य प्रदेश सरकार से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश में "यथास्थिति बनाए रखने" को कहा, जिसमें राज्य सरकार की नौकरियों में पदोन्नति में कोटा रद्द कर दिया गया था।
इसके बाद ने प्रदेश में सात साल से प्रोमोशन पर लगी रोक को हटाने के लिए सरकार ने पदोन्नति नियम 2022 तैयार किया। पदोन्नति प्रस्ताव में आरक्षित वर्ग एसटी से 20 फीसदी और एससी से 16 फीसदी कुल पदों का 36 प्रतिशत आरक्षित कर बाकि पदों को अनारक्षित से भरना तय किया गया है। इस मसौदे को कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी तक यह ठंडे बस्ते में पड़ा है।
मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 से पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। इन सात साल के दौरान प्रदेश में करीब 80 हजार से अधिक कर्मचारी पदोन्नति का लाभ बगैर ही रिटायर हो गए हैं। जबकि प्रदेश के सवा तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति का इंतजार है। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। उसकी याचिका पर फैसला आना है।
राजधानी भोपाल में 12 जून वर्ष 2916 में तीती नगर दशहरा मैदान में आयोजित किए गए अजाक्स के सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मेरे रहते कोई भी माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। उन्होंने कमेटी बनाकर आरक्षण के नए नियम बनाकर लागू किए जाने के लिए आश्वस्त किया था।
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अचानक अजाक्स सम्मेलन में पहुँच गए थे। उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने तत्कालीन प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर आरक्षण के नए नियम बनाने की घोषणा की। सीएम ने कहा था कि वे प्रदेश में आरक्षण को समाप्त नहीं होने देंगे।
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