भोपाल। देवास जिले के नेमावर थाने पर पदस्थ टीआई राजाराम वास्कले की रविवार को स्टॉप डैम में डूबने से मौत हो गई। टीआई राजाराम स्टॉप डैम में शव निकालने के लिए कूदे थे, लेकिन पानी के भंवर में फंस गए। रस्सी की मदद से उन्हें निकालकर गंभीर हालत में हरदा जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पिछले ही महीने वह बेटी के पिता बने थे। घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन अचानक उनकी मौत से उनके घर सहित पुलिस विभाग में मातम पसर गया।
दरअसल रविवार को जामनेर नदी से एक लाश निकालते वक्त यह घटना घटित हुई जिसमें थाना प्रभारी राजाराम वास्कले की नदी में ड्यूटी के दौरान डूबने से मौत हो गई। नदी से लाश को निकालने के लिए वह खुद नदी में कूद गए, लेकिन वे स्टॉप डेम में फंस गए, थाना प्रभारी वास्कले तैराकी जानते थे। जानकारी के अनुसार टीआई वास्कले को ग्रामीणों ने जामनेर नदी के स्टॉप डेम में एक लाश होने की सूचना दी थी। इसके बाद वे मौके पर पहुंचे और खुद लाश को निकालने के लिए नदी में कूद गए। वे नदी में फंस गए और बाहर नहीं निकल पाए। यदि वे पहले से रस्सी या अन्य सुरक्षा के इंतजाम के साथ नदी में जाते तो उनकी जान बच सकती थी, लेकिन उन्हें तैरना आता था, इसलिए वे बगैर सुरक्षा इंतजाम के ही नदी में शव निकालने के लिए कूद गए। स्टॉप डेम पर नदी का बहाव तेज था। वे बहाव में वह फंस गए। मौके पर मौजूद जवानों और ग्रामीणों ने उन्हें रस्सी की मदद से बाहर निकाला और अस्पताल ले गए, लेकिन देर तक डूबने की वजह से उनके फेफड़ों में पानी भर गया था। हरदा अस्पताल के डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उनकी मौत की सूचना मिलते ही उनके गांव में सन्नाटा पसर गया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार बड़वानी जिले के उनके पैतृक गांव में हुआ। थाना प्रभारी राजाराम वास्कले बड़वानी जिले के कोयडिया गांव में आदिवासी किसान परिवार में जन्मे थे। उनके पिताजी राजन वास्कले गांव में खेती करते थे। वह ऐसे गाँव से निकलकर पुलिस अधिकारी बने जिस गांव में सिर्फ प्राथमिक स्कूल था। 11 साल की नौकरी में राजाराम वास्कले ने दो एनकाउंटर किए। अपहृत किए 27 नाबालिगों को भी उन्होंने छुड़ाया था।
राजाराम वास्कले 2011 में पुलिस में एसआई के पद पर नियुक्ति हुए थे। इसके पहले वह शिक्षक और पटवारी रहे। वास्कले की रुचि पढ़ने के साथ पढ़ाने में भी रही है। उन्होंने बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया। पुलिस की नौकरी से पहले वे शासकीय शिक्षक भी रहे। इसके बाद पटवारी बने। पटवारी रहते उन्होंने पुलिस भर्ती की परीक्षा पास की। पुलिस से पहले भी दोनों विभागों में उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई। वास्कले की 2012 में सागर जिले के बीना में पहली पोस्टिंग हुई। उनके कार्य को अधिकारियों ने खूब पसंद किया। नौकरी के शुरुआती दिनों में यूपी और एमपी बार्डर पर स्थित बीना में ट्रैक्टर चोरी की वारदातों का पर्दाफाश किया। वे इंदौर तथा उज्जैन रेंज में भी रहे, जहां कई बड़ी वारदातों का पर्दाफाश करने में उन्हें सफलता मिली। राजाराम वास्कले ने उज्जैन जिले में पदस्थ रहते हुए दो एनकाउंटर किए। उदयनगर थाना क्षेत्र से अपहृत हुए 27 नाबालिगों को तलाशकर उनके घर तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की। घटनाओं में लगकर उनको सरलता से सुलझाने के कारण पुलिस विभाग में उनकी काफी प्रशंसा भी हुई।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए नेमावर थाने के हेड कॉन्स्टेबल योगेश मालवीय ने बताया कि थाना प्रभारी राजाराम वास्कले थाने के सभी पुलिसकर्मियों को परिवार की तरह ही मानते थे। विभाग से सम्बंधित कामों को वह अपनी निगरानी में पूरा कराते थे। उनके रहते हुए कभी काम के प्रेशर से जूझना नहीं पड़ा। उनके निधन पर पूरे थाने में शोक का माहौल है।
राजाराम वास्कले अपने पीछे एक चार साल का बेटा और एक महीने पहले जन्मी बेटी को छोड़कर गए है। पांच साल पहले उनकी शादी हुई थी। उनकी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ वह थाने के पुलिस आवास में ही रहते थे। मौत की खबर सुनने के बाद उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टीआई के परिवार को 1 करोड़ रुपए की सम्मान निधि देने की बात कही है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी उनकी आकस्मिक मृत्यु पर शोक प्रकट किया। कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, "देवास जिले के नेमावर थाने में पदस्थ टीआई राजाराम वास्कले के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। आदिवासी समाज के वीर सपूत श्री वास्कले जामनेर नदी पर बने स्टॉप डैम में एक शव निकालने के लिए पानी में कूद गए थे। उनके निधन से पुलिस विभाग ने एक बहादुर अधिकारी खो दिया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि दिवंगत पुलिस अधिकारी के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तत्काल दी जाए।"
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