राजस्थानः आदिवासी मीना समाज ने सामाजिक बुराइयों को त्यागने का लिया संकल्प

आदिवासी मीना सेवा संघ ने जयपुर में किया मंथन तो बैरवा महासभा ने सवाईमाधोपुर में की बैठक आयोजित
सामाजिक उत्थान पर चर्चा करते आदिवासी मीना सेवा संघ के लोग।
सामाजिक उत्थान पर चर्चा करते आदिवासी मीना सेवा संघ के लोग।
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जयपुर। मृत्यु भोज व दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को त्याग कर शिक्षा को बढ़ावा देने पर राजस्थान आदिवासी मीना सेवा संघ ने जयपुर में मंथन किया। इस दौरान आदिवासी मीना सेवा संघ प्रदेशाध्यक्ष एवं गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीना सहित प्रदेश से आए आदिवासी मीना समाज के लोग जयपुर स्थित गोनेर मीना धर्मशाला में जमा हुए। यहां संघ के जयपुर जिलाध्यक्ष एवं बस्सी के पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीना की अध्यक्षता में सामाजिक उत्थान के हर पहलू पर गहनता से चर्चा हुई।

समाज सुधार के साथ ही समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं फिजूलखर्ची को रोकने के सम्बन्ध में व्यापक रूप से विचार-विमर्श हुआ। आदिवासी मीना पंचों से विचार विमर्श के बाद मृत्यु भोज को पूर्णतः बन्द कर अपने परिवार तक सीमित रखने तथा दहेज प्रथा को सख्ती से बन्द करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। इसी तरह बारात में कम से कम संख्या में लोगों को ले जाने, बाल विवाह पर प्रतिबन्ध लगाने का भी सर्व सम्मति से निर्णय पारित हुआ।

आदिवासी मीना सेवा संघ प्रदेशाध्यक्ष एवं गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीना ने समाज की जाजम पर बैठे पंचों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही अनुसूचित जनजाति के 12 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने की मांग को लेकर समाज का एक प्रतिनिधिमण्डल उनके नेतृत्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर अपना पक्ष रखेगा।

कार्यालय के लिए भूमि आवंटन पर चर्चा

आदिवासी मीना सेवा संघ कार्यालय के लिए जयपुर में भूमि आवंटन पर भी चर्चा हुई। जयपुर जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक बस्सी कन्हैया लाल मीना ने कहा कि इस संबंध में भूमि चिन्हित करने के बाद चाही गई जमीन का निस्तारण जयपुर विकास प्राधिकरण के स्तर पर लंबित है, जिसको तत्काल हल कराने के लिए मुख्यमंत्री से मिलेंगे। साथ ही समाज के युवाओं ने आदिवासी विकास बोर्ड बनाने की मांग रखी। इस सम्बन्ध में भी समाज का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर अनुरोध करेगा। इसी तरह आंमागढ़ किले पर आदिवासी समाज के पूजनीय देवी-देवताओं के स्थानों तक जाने के रास्ते का निर्माण भी अभी तक भी सरकार द्वारा नहीं कराया गया है, जिससे भक्तगणों एवं यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर भी सरकार को आगाह कर मांग रखने का निर्णय लिया गया।

15 मार्च तक होगा सम्मेलन

सभा में 15 मार्च तक पूरे राजस्थान के आदिवासी समाज का दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन करवाने का निर्णय लिया गया। सभा में प्रस्तावित मांगों पर सरकार ने सार्थक निर्णय नहीं लिया तो इन सभी मुद्दों को प्रान्तीय सम्मेलन में समाज के सामने रख कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी। सभा में जयपुर जिले के नवनिर्वाचित 20 तहसील अध्यक्षों ने भाग लिया

मृत्यु भोज बन्द करने का फैसला

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के खण्डार ब्लॉक में भी अनुसूचित जाति वर्ग में आने वाले बैरवा समाज की बैठक हुई। बैरवा महासभा के तहसील अध्यक्ष कैलाश बैरवा की अध्यक्षता में हुआ बैठक में समाज सुधार पर चर्चा करते हुए सर्वप्रथम मृत्यु भोज को पूर्णतः बन्द करने का निर्णय लिया गया। अब यहां बैरवा समाज का कोई भी व्यक्ति नुक्ता प्रथा का निर्वाह नहीं करेगा। समाज के चौरासी व सत्ताईसा परिक्षेत्र के लोगांे ने सहमति देकर पंचों के इस निर्णय पर मुहर लगाई।

बैरवा महासभा के राष्ट्रीय संरक्षक एवं खण्डार सरपंच हंसराज बैरवा ने कहा कि सामाजिक उत्थान के लिए परिवर्तन जरूरी है। हमें मृत्युभोज नुक्ता प्रथा की परंपरा को त्याग कर समाज की तरक्की की पहली सीढ़ी पार करनी होगी।

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