नई दिल्ली। ट्रांसजेंडर्स को हमेशा ही समाज की मुख्यधारा से अलग समझा जाता है। लेकिन अब यही ट्रांसजेंडर अपने हकों के लिए आगे आ रहे हैं। काफी दिनों से चल रहे जैन कौशिक के मामले में थोड़ी राहत भरी खबर है। जैन काफी दिनों से अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में जैन कौशिक के मामले में हाल ही में सुनवाई हुई है।
सुनवाई के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, "शिक्षक के लिए कुछ करना होगा, जैसे ही वह नौकरी पर आती है, उसे नौकरी से हटा दिया जाता है, केवल एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से उसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया है और उसे एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए कहा गया है। हम इसे अंतिम निपटान के लिए अगले सोमवार को सुनवाई करेंगे।" इससे पहले शीर्ष अदालत ने गुजरात के जामनगर में स्कूल के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के खीरी स्थित एक अन्य निजी स्कूल के अध्यक्ष से जवाब मांगा था।
बेंच ने यूपी और गुजरात राज्य को इस बीच दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया। जैन की ओर से वकील ने बेंच को बताया कि जब उन्हें पता चला कि वह एक ट्रांसजेंडर है तो उन्होंने उसे स्कूल में आने से रोक दिया। उन्होंने उसे एक लेटर दिया जिसमें कहा गया कि आप अंग्रेजी की बहुत अच्छी शिक्षिका थीं, लेकिन सामाजिक शिक्षिका नहीं थी। लेटर में आगे यह भी कहा गया कि जब महिला छात्रावास को पता चलता कि वह एक ट्रांसजेंडर है तो वे सहज नहीं होते हैं।
'द मूकनायक' से बातचीत में जैन कौशिक ने बताया कि "2 फरवरी 2023 को हमारी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई थी। उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में बात की। उन्होंने मेरे साथ स्कूलों द्वारा हुए दुर्व्यवहार पर अफसोस भी जताया और इस पर कुछ करने के लिए भी कहा। आज सुप्रीम कोर्ट उस वर्ग के लिए बात कर रहा है, जिसे हमेशा समाज ने दबा कुचला समझा है। हम 2014 से अपनी मौलिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। क्योंकि हम भी इसी समाज का हिस्सा हैं। 2024 का आ गया है लेकिन अभी तक हमारी स्थिति में बहुत कम सुधार हुआ है। अभी भी समाज में हमारे लिए कोई नौकरी, रोजगार, स्कूलों में जगह नहीं है। हम अपना जीवन आगे कैसे बिताएंगे?"
सुप्रीम कोर्ट के बयान का जिक्र करते हुए जैन कहते हैं, "अब भविष्य में जरूर हमारे अधिकारों को समझा जाएगा। इस बात के बाद हमारे समाज के लोग, मेरे दोस्त सब बहुत खुश हैं। अभी और संघर्ष बाकी है। मुझे अभी तक डिप्रेशन है जो कुछ साल पहले हुआ था। जब मैं स्कूलों से निकाल दी गई थी। जब तक मुझे न्याय नही मिलता तब तक मेरी परेशानियां ऐसे ही बनी रहेगी।"
जैन कौशिक ने अपनी याचिका में बताया कि कैसे उन्हें यूपी में अपॉइंटमेंट लेटर दिया गया और वहां उन्होंने 6 दिनों तक पढ़ाया और फिर गुजरात में उन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया और उनकी लैंगिक पहचान जानने के बाद स्कूल में आने से रोक दिया गया। याचिकाकर्ता ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है। इसमें उन्होंने अपनी लैंगिक पहचान के कारण होने वाले भेदभाव और उत्पीड़न को बताया है। याचिका में केंद्र सरकार से उचित दिशानिर्देश की मांग की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी अन्य ट्रांसजेंडर को इन कठिनाइयों का सामना न करना पड़े जिनसे वह गुजर रही हैं।
ट्रांसजेंडर होने के कारण नहीं निकाला: स्कूल
प्राइवेट स्कूल की ओर से पेश वकील ने कहा कि टीचर को ऑफर लेटर दिया गया था और उसके बाद वह दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए आई थीं, लेकिन जब वेरिफिकेशन हुआ तो उसकी पहचान उजागर हुई थी। हम इस मामले में स्कूल से निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगे कि आखिर किस आधार पर टर्मिनेट किया गया। हमें जो बताया गया है, उसके मुताबिक टीचर का ट्रांसजेंड़र होना उन्हें न रखने का आधार नहीं है।
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